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MP DAP Crisis: DAP संकट पर कमलनाथ ने सरकार को घेरा, कृषि मंत्री बोले- बाधाएं हैं पर पर्याप्त उवर्रक उपलब्ध कराएंगे

DAP Crisis IN Madhya Pradesh: दरअसल, प्रति टन की आयतित कच्चे माल की कीमत सभी खर्च मिलाकर लागत 61,000 रुपए प्रति टन आती है, जबकि कंपनियों की आमदनी 53,900 रुपए प्रति टन है. इस लिहाज से कंपनियों को 7100 रुपए का घाटा भी उठाना पड़ रहा है.

MP DAP Crisis: DAP संकट पर कमलनाथ ने सरकार को घेरा, कृषि मंत्री बोले- बाधाएं हैं पर पर्याप्त उवर्रक उपलब्ध कराएंगे

MP DAP Crisis: मध्य प्रदेश में जारी कथित डाई अमोनिया फास्फेट यानी DAP खाद संकट को लेकर पूर्व सीएम कमलनाथ ने डा. मोहन यादव के नेतृ्त्व वाली भाजपा सरकार पर हमला बोला है. पूर्व सीएम ने कहा कि प्रदेश में डीएपी खाद का संकट अपने चरम पर है. किसानों को दिन रात खाद के लिए क़तार में लगना पड़ रहा है फिर भी खाद नहीं मिल रही है. इसके जवाब में खुद कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने कहा है कि प्रदेश में उर्वरकों की कोई कमी नहीं है. राज्य सरकार ने खरीफ में किसानों को आवश्‍यक मात्रा में उर्वरक उपलब्‍ध कराया है और रबी में भी इसी प्रकार से किसानों की आवश्‍यकतानुसार उर्वरक उपलब्‍ध करायेगें. 

सीएम कमलनाथ ने कहा कि इस मुद्दे को कांग्रेस पार्टी कई बार सरकार के संज्ञान में ला चुकी है, लेकिन मोहन यादव सरकार इस पर ध्यान ही नहीं दे रही है. ज़िम्मेदार मंत्री समस्या का निदान करने की जगह यूक्रेन की बातें करने लगते हैं. 
पूर्व सीएम कमलानथ का ट्वीट

पूर्व सीएम कमलानथ का ट्वीट

सरकार आधे दाम में किसानों को दे रही है डीएपी: कृषि मंत्री

दूसरी तरफ इसी मसले पर कृषि मंत्री ने सफाई दी है.  उन्होंने कहा है कि फसलों के लिये नाईट्रोजन, फास्‍फोरस और पोटास की आवश्यकता होती है,डीएपी से नाइट्रोजन एवं फास्फोरस की ही पूर्ति हो पाती है, जबकि एनपीके के उपयोग से नाइट्रोजन, फास्‍फोरस एवं पोटाश तीनों तत्‍वों की पूर्ति हो जाती है, इसलिये किसानों को कृषि वैज्ञानिकों द्वारा डीएपी के स्थान पर एनपीके के उपयोग की सलाह दी जा रही है. 

इसके साथ कृषि मंत्री ने ये भी जोड़ा कि केन्‍द्र सरकार ने डीएपी उर्वरक पर सब्सिडी बढ़ा दी है जिससे कि किसानों को किसी तरह की समस्‍या न हो. बाजार में एक बैग यूरिया की कीमत 2 हजार 265 रूपये है,जबकि सरकार इसे सस्ते दर पर किसानों को 266.50 रूपये में उपलब्‍ध करा रही है, इसी प्रकार DAP के एक बैग की कीमत 2 हजार 446 रूपये है, जबकि सरकार इसे किसानों को 1 हजार 350 रूपये प्रति बैग उपलब्‍ध कराती है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष अंतर्राष्‍ट्रीय बाजारों में डीएपी की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव का कारण यूक्रेन और इजराइल संघर्ष है, इनके संघर्ष के कारण आपूर्ति में बाधाओं का सामना करना पड़ा है, फिर भी किसानों को पर्याप्‍त उर्वरक उपलब्‍ध कराने की योजना तैयार की गई है. 

रबी की फसलों के लिए बेहद जरूरी है डीएपी खाद

दरअसल, अक्तूबर से नवंबर के बीच देश और प्रदेश के कई हिस्सों में रबी की फसलों के लिए डाई अमोनिया फास्फेट यानी डीएपी खाद की जरूरत होती है, लेकिन डिमांड से कम सप्लाई होने के चलते प्रदेश के कई जिलों में किसान लंबी-लंबी कतारों में खड़े होकर डीएपी खरीदने को मजूबर हैं.  

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि किसानों के प्रति यह सरकार की अमानवीय लापरवाही है.मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए कमलानाथ ने कहा कि,जब समय पर खाद नहीं मिलेगी, तो किसान खेती कैसे करेगा. आप खाद की आपूर्ति तत्काल सुनिश्चित कराएं. 

स्टॉक कम, किसानों में डीएपी खाद की मांग है ज्यादा

देश में डीएपी का स्टॉक अक्टूबर में 21.76 लाख मीट्रिक टन का बताया गया है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 15 लाख मीट्रिक टन कम है. पिछले साल इस डीएपी (DAP Stock) खाद का स्टॉक देश के पास 37.45 लाख मीट्रिक टन था. वहीं अंतर्राष्ट्रीय बाजार में डीएपी और कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि हुई है. समझा जा रहा है कि इसी की वजह से आयात में रिकॉर्ड कमी आई है.

5 माह में महज 15.9 लाख टन डीएपी का आयात 

इस वित्त वर्ष के पहले 5 महीनों में अप्रैल से अगस्त में देश में 15.9 लाख टन डीएपी का आयात हुआ है. जबकि पिछले साल यह 32.5 लाख टन आयात किया गया था. सरकार का अनुमान है कि इस रबी सीजन में करीब 52 लाख मीट्रिक टन डीएपी की मांग होगी, इसमें से 20 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का लक्ष्य है, बाकी का आयात किए जाने की योजना है.

दरअसल, प्रति टन की आयतित कच्चे माल की कीमत सभी खर्च मिलाकर लागत 61,000 रुपए प्रति टन आती है, जबकि कंपनियों की आमदनी 53,900 रुपए प्रति टन है. इस लिहाज से कंपनियों को 7100 रुपए का घाटा भी उठाना पड़ रहा है.

घाटे में जा रही हैं कंपनियां, EV में बढ़ रहा इस्तेमाल

अंतरराष्ट्रीय बाजार में जून से सितंबर में डीएपी की कीमतें 509 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 620 से 640 डॉलर प्रति टन है. घरेलू बाजार में डीएपी की अधिकतम खुदरा कीमत 27,000 रुपए प्रति टन है. सरकार 21,676 रुपए टन की सब्सिडी देती है. बताया जाता है कंपनियों को लागत से आमदनी कम होने से डीएपी बनाने में रूचि कम होती है. 

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