MP News: विकास की बात तो है दूर, MP के इस गांव में नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं, टार्च और लालटेन के सहारे पढ़ाई करने को हैं मजबूर

Umaria: आखिरी बार प्रशासन की तरफ से साल 2014 में सोलर सिस्टम के माध्यम से गांव को रोशन करने का प्रयास हुआ था. महज छह महीने में ही सोलर प्लेट बिगड़ गई तब से लेकर अब तक 10 साल बीत गए, कलेक्टर से लेकर विधायक व मंत्रियों का दौरा हुआ लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

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Umaria News: जिले का ये गांव अब भी तरस रहा है बिजली को

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में विधानसभा चुनावों (Vidhan Sabha Election) के बाद अब लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) चल रहें है. सभी राजनीतिक पार्टियां दावा कर रही हैं कि अगर उनकी सरकार आएगी तो वो विकास कराएंगे. लेकिन मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के आदिवासी बाहुल्य उमरिया जिले (Umaria) में आजादी के कई दशक बीतने के बाद भी लोगों के जीवन से अंधकार की काली राते नहीं बदली हैं. बिजली की सुविधा से महरूम बिछिया गांव में लोग रात होते ही घने अंधेरे में डूब जाते हैं. जी हां इस गांव में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है. 

2014 में सोलर सिस्टम से रोशन करने का हुआ प्रयास

आखिरी बार प्रशासन की तरफ से साल 2014 में सोलर सिस्टम के माध्यम से गांव को रोशन करने का प्रयास हुआ था. महज छह महीने में ही सोलर प्लेट बिगड़ गई तब से लेकर अब तक 10 साल बीत गए, कलेक्टर से लेकर विधायक व मंत्रियों का दौरा हुआ. सभी ने आश्वासन भी दिया लेकिन बिजली के दर्शन नहीं हो सकें हैं. नतीजा गांव की युवा पीढ़ी टार्च व लालटेन के सहारे रात में पढ़ने के लिए मजबूर है.

गांव के लोगों ने लगा रखे हैं छोटे-मोटे बैटरी

गांव के लोगों द्वारा निजी खर्चे से छोटे-मोटे सोलर बैटरी घरों में लगा रखे हैं. जिससे छुटपुट घरेलू काम तो हो जाते हैं लेकिन जैसे ही आसमान में बादलों की चहलकदमी होती है वो भी निष्क्रिय हो जाते हैं. लिहाजा आज तक गांव को बिजली के अभाववश नल-जल योजना नहीं मिल पाई. शासन की योजनाओं का लाभ लेने के लिए कई किलोमीटर दूर दूसरे गांव के चक्कर लगाने पड़ते हैं.

कब होगा विकास यहां

गर्मी के सीजन में लोग पानी के लिए  नदी, नाले व हैण्ड पम्प में कतार लगाकर पानी भरते हैं. मई व जून की भीषण गर्मी में इनका जल स्त्रोत भी सूख जाता है. ऐसे में महिलाएं व पुरूष खुद के परिवार के साथ ही मवेशियों की प्यास बुझाने जूझते रहते हैं. गांव के लोग अब हताश हो चुके हैं उनका कहना है जिला प्रशासन से लेकर मंत्री विधायक को अपने दर्द के बारे में बता दिया है लेकिन ना जाने कब उनकी रातों में विकास का नया सबेरा आ पाएगा.

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