अकाउंट में थे मात्र 3000 रुपये, बायोमैट्रिक सिस्टम में नहीं मिला फिंगरप्रिंट, तो मायूस किसान ने पत्थर से कुचल डाली उंगलियां

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से मंगलवार को हैरान करने वाली खबर सामने आई है. दरअसल, यहां एक किसान अपने खाते में जमा पैसे बायोमेट्रिक में फिंगरप्रिंट काम नहीं करने पर नहीं निकाल पा रहा था. तो तंग आकर इस किसान ने अपनी उंगलियों को ही पत्थरों से कुचल दिया.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

Betul Latest News: बैतूल के नज़दीकि गांव से डिजिटल फीताशाही का एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है.  यहां एक किसान ने बायोमेट्रिक फिंगरप्रिंट (Biometric Fingerprint) मैच नहीं होने से पैसे निकालने में विफल रहने पर समीपस्थ ग्राम पंचायत सराढ निवासी 52 वर्षीय आदिवासी किसान मिश्रू कुमरे ने गुस्से में अपनी ही उंगलियां पत्थर से कुचल डाली.

दरअसल, पेशे से किसान मिश्रू कुमरे का बचत खाता स्थानीय उप डाकघर में है. वह कई दिनों से अपने ही खाते से पैसे निकालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन बायोमेट्रिक फिंगरप्रिंट मैच नहीं हो रहे थे. बार-बार असफल रहने पर वह परेशान हो गया, क्योंकि उसे पैसों की सख्त जरूरत थी. लिहाजा, उसने परेशान होकर अपने हाथ की उंगलियों को पत्थर से कुचल दिया. उनका मानना है कि अगर उनकी उंगलियां ही पैसे निकालने में बाधा बन रही हैं, तो उन्हें खत्म कर देना ही बेहतर होगा. वहीं, इस घटना के बाद खेड़ी सांवलीगढ़ के डाक पाल कहते हैं कि मिश्रू मेरे पास नहीं आया. मेडम से ज़रूर मिला, लेकिन मेरे पास आता, तो वैकल्पिक व्यवस्था बना लेते.

Advertisement

अब पोस्ट ऑफिस के अफसर दूसरे विकल्प की कह रहे हैं बात

मिश्रू कुमरे को महाशिव रात्रि के पहले घर मे रंग रोगन के लिए कुछ रुपये की ज़रूरत थी. अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए पोस्ट ऑफिस में जमा रकम निकालने के लिए पहुंचा, लेकिन जब खाते से पैसा नहीं निकला, तो उसने खौफनाक कदम उठाते हुए अपनी उंगलियों को ही कुचल दिया. जब उनके इस कदम के बारे में पड़ोसी को पता चला, तो उन्होंने उसकी मदद की. पोस्ट ऑफिस के ज़िम्मेदार बोल रहे हैं कि ग्रामीण हमारे पास नहीं आया, वरना कोई न कोई विकल्प नाकल कर पैसा निकाल देते.

Advertisement

पांच एकड़ खेती पर तीन भाई है आश्रित

मिश्रू कुमरे अपने परिवार में दो और भाइयों के साथ रहते हैं और तीनों भाइयों के बीच पांच एकड़ खेती की जमीन है, जिस पर तीनों के परिवार आश्रित हैं. खेत में पानी नहीं होने की वजह से महज बारिश की फसल ही हो पाती है.

Advertisement

आदिवासियों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व होता है अहम

दरअसल, आदिवासियों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही अहम होता है.  लिहाजा, महाशिवरात्रि के पहले घर के रंग रोगन ओर त्योहार के पूजन की सामग्री के लिए मिश्रू को पैसों की ज़रूरत पड़ी, तो खेड़ी सांवलीगढ़ के पोस्ट आफिस में बचत के कुछ जमा रुपये निकालने के लिए गया था, लेकिन 4 दिनों तक आने-जाने में 120 रुपये खर्च हो गए और पैसा नहीं निकल पाया.

ग्रामीण हैं स्तब्ध, प्रशासन अलर्ट

घटना के बाद गांव के लोग स्तब्ध रह गए. उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी उंगलियों में गंभीर चोट बताई.ऐसे में एक सवाल उठ रहा है कि आखिर बायोमेट्रिक सिस्टम में ऐसी दिक्कतें क्यों आ रही हैं.

यह भी पढ़ें- MP हाईकोर्ट ने स्कूलों में उर्दू शिक्षकों की भर्ती के दिए आदेश, 5 हज़ार से ज्यादा उर्दू शिक्षकों को होगा फायदा

डिजिटल सिस्टम बना चुनौती

ग्रामीण इलाकों में बायोमेट्रिक आधारित बैंकिंग से लोगों को काफी दिक्कतें हो रही हैं. कई लोगों के फिंगरप्रिंट उम्र, मजदूरी या अन्य कारणों से काम नहीं करते हैं, जिससे उन्हें बैंकिंग सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाता हैं. यह घटना सरकार और बैंकों के लिए एक चेतावनी है कि डिजिटल सिस्टम के साथ-साथ वैकल्पिक व्यवस्था भी बनाई जाए.

यह भी पढ़ें- वाह रे कलेक्टर साहब! जनसुनवाई में स्कूल की समस्या लेकर पहुंचने वाले शिक्षक को ही कर दिया निलंबित
 

Topics mentioned in this article