सरकारी दावों की पोल खोलती तस्वीर, MP में खटिया से एम्बुलेंस तक पहुंची गर्भवती

MP News in Hindi : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल (Betul) जिले से सरकारी दावों को पोल खोलती तस्वीर सामने आई है. जिले के भयपुर गांव में एक महिला को प्रसव के बाद अस्पताल ले जाने के लिए खटिया पर 7 किलोमीटर तक ले जाना पड़ा.

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सरकारी दावों की पोल खोलती तस्वीर, MP में खटिया से एम्बुलेंस तक पहुंची गर्भवती

MP News in Hindi : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल (Betul) जिले से सरकारी दावों को पोल खोलती तस्वीर सामने आई है. जिले के भयपुर गांव में एक महिला को प्रसव के बाद अस्पताल ले जाने के लिए खटिया पर 7 किलोमीटर तक ले जाना पड़ा. महिला को भीमपुर शासकीय अस्पताल लेकर जाय जा रहा था. लेकिन गांव में पक्की सड़कों के आभाव के चलते एम्बुलेंस पहुंच नहीं पाई. यह घटना सरकार के विकास के दावों की पोल खोलती है, जहां जिले के पांच विधायक और एक सांसद होने के बावजूद यह स्थिति बनी हुई है.

एम्बुलेंस के लिए नहीं थी सड़क

मिली जानकारी के मुताबिक, भवानीपुर गांव में सोनाए बाई नामक महिला ने भारी बारिश के दौरान दो बच्चों को जन्म दिया. बारिश के कारण सभी रास्ते बंद हो गए थे, जिसके चलते गांव की महिलाओं ने मिलकर घर पर ही उसका प्रसव कराया. महिला और उसके नवजात शिशुओं को अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबुलेंस बुलाने की कोशिश की गई. लेकिन गांव तक पक्की सड़क न होने के कारण एंबुलेंस वहां नहीं पहुंच सकी.

खटिया खोल रही विकास की पोल

आखिर में आस-पास के लोगों ने लकड़ियों और खटिया की सहायता से महिला को कंधे पर उठाकर 7 किलोमीटर तक चलकर चिल्लौर पहुंचाया, जहां से उसे एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई. भीमपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में उपचार के बाद महिला को जिला चिकित्सालय रेफर किया गया. जानकारी के लिए बता दें कि यह दूसरी बार है जब भवानीपुर गांव में इस तरह के हालात देखने को मिले हैं. गांव में पक्की सड़क न होने के चलते पहले भी कई बार माताओं और बच्चों को जान गंवानी पड़ी है.

विकास के दावों की जमीनी हकीकत

यह घटना सरकार के विकास के खोखले वादों का सच सामने लाती है. बैतूल जिले में पांच विधायक और एक सांसद हैं, बावजूद इसके गांव की सड़कें अब तक नहीं बन सकी हैं. सरकार जहां एक तरफ विकास के ढोल पीट रही है, वहीं दूसरी ओर बैतूल जिले में विकास की यह तस्वीर सरकार को उनके झूठे विकास का आईना दिखा रही है.

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क्या सिर्फ कागज़ों पर सरकारी वादे ?

यह घटना एक बार फिर से यह सवाल खड़ा करती है कि क्या सच में विकास का लाभ गांवों तक पहुंच पा रहा है? क्या सरकारी योजनाएं और वादे सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गए हैं? यह घटना सरकार के दावों और वास्तविकता के बीच की खाई को स्पष्ट रूप से दिखाती है. यह स्थिति सरकार के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि विकास के वास्तविक मायने क्या होते हैं और आम जनता को इन सुविधाओं से वंचित नहीं रहना चाहिए.

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