Land Dispute: साहब सरपंच कर रहा परेशान; 15 साल न्याय के लिए भटके, अब इच्छा मृत्यु की इजाजत दे दीजिए

Euthanasia: पीड़ित परिवार कई बार थाना घरघाट, पुलिस अधीक्षक सिवनी, कलेक्टर सिवनी, SDM, और यहां तक कि मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 181 तक शिकायत कर चुके हैं. आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है.

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Land Dispute: साहब सरपंच कर रहा परेशान; 15 सालों से न्याय के लिए भटकता परिवार, अब मांगी इच्छा मृत्यु

Land Dispute Case: सिवनी ज़िले से एक दर्दनाक मामला सामने आया है, जहाँ जमीन विवाद (Land Dispute) से परेशान एक परिवार ने अब इच्छा मृत्यु (Euthanasia ) की मांग की है. ये मामला ग्राम मैली, थाना बरघाट क्षेत्र का है, जहाँ चैनसुख ग्वालवंशी और धनीराम ग्वालवंशी का परिवार पिछले 10-15 वर्षों से अपने अधिकार और न्याय के लिए संघर्ष कर रहा है. परिवार ने बताया कि उनकी पैतृक भूमि पर गांव का सरपंच संतोष ग्वालवंशी लगातार कब्ज़े की कोशिश कर रहा है, जबकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है. इसके बावजूद संतोष ग्वालवंशी खेत में पाइप डालने, मिट्टी फेंकने और ज़मीन पर कब्ज़े की कोशिश करता रहा है. उनकी गैरमौजूदगी में खेत में मिट्टी डालकर कब्ज़ा करने की कोशिश की गई. खेत में पाइप गाड़े गए, मेड़ तोड़ी गई और जमीन को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की गई.

सरपंच पर पहले से हैं कई केस

वर्तमान सरपंच संतोष ग्वालवंशी और उसका भाई अशोक दोनों आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं. उन पर पहले से कई गंभीर अपराध दर्ज हैं.एक मामले में उन्हें 3.5 वर्ष की सजा भी हो चुकी है. एक आदिवासी महिला के साथ धारा 376 (दुष्कर्म) का केस भी दर्ज है. पीड़ित परिवार का कहना है कि उन्हें लगातार धमकाया और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. 

पीड़ित परिवार कई बार थाना घरघाट, पुलिस अधीक्षक सिवनी, कलेक्टर सिवनी, SDM, और यहां तक कि मुख्यमंत्री हेल्पलाइन 181 तक शिकायत कर चुके हैं. आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है.

आरोपी सरपंच होने का फायदा उठाकर अपने पद का दुरुपयोग कर रहा है. परिवारों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी हैं. लगातार विवाद और उत्पीड़न से वे मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से टूट चुके हैं. परिजन, विशेषकर बच्चे, महिलाएँ और बुजुर्ग, भय और तनाव में जी रहे हैं.

परिवार ने दिया आवेदन

09 दिसंबर 2025 को जिला कलेक्टर को दिए आवेदन में दोनों परिवारों ने लिखा "हमारा परिवार अत्यंत परेशान है. लगातार उत्पीड़न, धमकी, और प्रशासन से सहयोग न मिलने के कारण अब जीवन असहनीय हो चुका है. अतः परिवार सहित हमें इच्छामृत्यु की अनुमति दी जाए."

10–15 वर्षों से न्याय न मिलने और लगातार प्रताड़ना से वे अब जीवन जीने का कारण नहीं देख पा रहे हैं. इच्छामृत्यु की अनुमति की औपचारिक मांग की हैं. 

परिवार ने कहा कि प्रशासन की उदासीनता के कारण उनके बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं लगातार मानसिक तनाव में हैं और अब जीवन-यापन असहनीय हो चुका है. पीड़ित परिवार ने जिला प्रशासन से तुरंत इच्छामृत्यु की मांग की गुहार लगाई है.

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