एमपी में बिजली उपभोक्ताओं को एक बार फिर लग सकता है महंगाई का झटका, इतने प्रतिशत बढ़ सकती है कीमत

यदि यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही प्रदेश के लाखों घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक बिजली उपभोक्ताओं को बढ़े हुए बिजली बिलों का सामना करना पड़ सकता है.

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मध्य प्रदेश में एक बार फिर बिजली उपभोक्ताओं को महंगाई का झटका लग सकता है. प्रदेश की विद्युत वितरण व्यवस्था संभालने वाली मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी ने आगामी वित्तीय वर्ष 2026–27 के लिए विद्युत दरों में लगभग 10 प्रतिशत वृद्धि का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग को भेजा है. कंपनी की ओर से दायर टैरिफ याचिका में दावा किया गया है कि वर्तमान में उस पर करीब 42 हजार करोड़ रुपये का घाटा है, जिसकी भरपाई के लिए दरों में बढ़ोतरी करना बेहद जरूरी है.

यदि यह प्रस्ताव मंजूर होता है, तो नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ही प्रदेश के लाखों घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक बिजली उपभोक्ताओं को बढ़े हुए बिजली बिलों का सामना करना पड़ सकता है. नियामक आयोग की ओर से इस याचिका पर शीघ्र ही जनसुनवाई की तारीख घोषित की जाएगी, जिसमें आम नागरिक, उपभोक्ता संगठन और ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञ अपनी आपत्तियां और सुझाव दर्ज करा सकेंगे. जनसुनवाई के बाद ही आयोग अंतिम निर्णय लेगा कि बिजली दरों में वृद्धि होगी या नहीं और यदि होगी तो कितनी.

उपभोक्ता संगठनों ने शुरू किया विरोध

दूसरी ओर, इस प्रस्ताव को लेकर उपभोक्ता संगठनों और सामाजिक संस्थाओं ने कड़ा विरोध जताया है.  नागरिक उपभोक्ता मंच  पीजी नाजपांडे ने बताया कि बिजली कंपनियों के घाटे के लिए वितरण प्रणाली की खामियां, तकनीकी नुकसान और प्रशासनिक लापरवाही जिम्मेदार हैं, न कि आम उपभोक्ता. उनका तर्क है कि राज्य शासन पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि बिजली दरों को जीएसटी से अलग रखा गया है और कोयले पर लगने वाले सेस में भी कमी की गई है, ताकि उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिल सके. ऐसे में दरों में वृद्धि का प्रस्ताव सरकार की मंशा के विपरीत है.

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अब सभी की निगाहें विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई और उसके बाद आने वाले फैसले पर टिकी हैं. यह निर्णय तय करेगा कि महंगाई के इस दौर में बिजली उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी या एक और आर्थिक बोझ उठाना पड़ेगा.

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