Happy Dussehra 2025: बड़वानी जिले का अंजड़ नगर वैसे तो अपनी गंगा-जमुनी तहज़ीब और भाईचारे के लिए मशहूर है. इसी परंपरा की मिसाल हैं नगर का आर्टिस्ट ग्रुप जो पिछले लगभग 30 सालों से दशहरे (Dussehra) पर रावण (Ravan Dahan), कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले बनाते आ रहे हैं. उनकी टीम में हिंदू-मुस्लिम (Hindu Muslim) दोनों धर्मों के कारीगर शामिल हैं. यह परंपरा न सिर्फ रोज़गार (Employment) देती है बल्कि समाज को एकता (Unity), प्रेम और भाईचारे का अनोखा संदेश भी देती है.
दशहरे के साथ-साथ इन त्योहारों पर भी बना रहता है साथ
बड़वानी के अंजड़ में दशहरा दहन, गणेश उत्सव की झांकियां हो या मोहर्रम पर्व पर बनने वाले ताजीए यह ग्रुप भाईचारे और साझा परंपराओं के लिए जाना जाता है. ग्रुप में हर धर्म और मज़हब के लोग एकजुट होकर दूसरे के त्योहारों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेकर काम करते हैं. यही कारण है की हर त्योहार में रौनक काफी बढ़ जाती है. हर कोई के चेहरे पर काफी खूशी देखने को मिलती है. आज की इस स्टोरी में हम एक ऐसे ग्रुप के बारे में बताएंगे,जो पिछले कई वर्षों से भाईचारे का मिशाल पेश कर रहा हैं.
दरअसल इसी तहज़ीब की एक अनोखी मिसाल है अंजड का आर्टिस्ट ग्रुप जो पिछले 30 सालों से दशहरे पर रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतले ओर गणेश उत्सव में झांकियां ओर मोहर्रम पर ताजिया बनाते आ रहे हैं. ग्रुप के किशोर बावनिया, छोटू शाह पेंटर ओर 10 सदस्यों की टीम द्वारा इस बार सिलावद ओर साली के रावण के पुतलों का निर्माण किया हैं.
आज उनकी टीम में 10 से अधिक कारीगर शामिल हैं, जिनमें हिंदू और मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लोग हैं. ये सभी मिलकर महीनों तक कड़ी मेहनत करते हैं, बांस और कागज़ से विशाल पुतले तैयार करते हैं, जो दशहरे पर आकर्षण का केंद्र बनते हैं. किशोर बावनिया का मानना है कि इस परंपरा से न केवल रोज़गार मिलता है, बल्कि समाज में प्यार और आपसी एकता का संदेश भी जाता है.
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