Indefinite Fast: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के धार (Dhar) जिले में कुछ लोगों की 39 साल पुरानी परेशानी का समाधान आज तक नहीं हो पाया है. जिले में नर्मदा (Narmada) किनारे आखरी छोर पर बैठे, सरदार सरोवर बांध (Sardar Sarovar Dam) से प्रभावित, पिछले 39 सालों से अपने हक और अधिकार की लड़ाई लड़ते आए, लेकिन आज भी दर-दर भटकने को मजबूर हैं. 2017 में भी इसी प्रकार डूब प्रभावितों के साथ उनके हक और अधिकार के लिए मेधा पाटकर (Medha Patkar) सहित डूब क्षेत्र के हजारों प्रभावितों के साथ अनिश्चित कालीन उपवास शुरू किया था. इस बार भी मेधा पाटकर ने अनिश्चितकालीन उपवास (Indefinite Fast Strike) शुरू किया है.
2017 में हुआ था धरने का असर
साल 2017 में भी समाजसेवी मेधा पाटकर ने डूब प्रभावितों के लिए अनिश्चितकालीन उपवास किया था. जिसके बाद मध्य प्रदेश सरकार के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा प्रत्येक पट्टा धारी को 5 लाख 80 हजार रूपए की राशि मंजूर की गई थी. साथ ही जिन प्रभावितों के पास मकान बनाने के लिए प्लॉट नहीं थे, उनके लिए 30*50 =1500 स्केयर फिट का प्लॉट उपलब्ध करना था. मगर जब क्षेत्र में अधिकारियों ने पात्र-अपात्र के चक्कर में सैकड़ों प्रभावितों को इस लाभ से वंचित रख दिया.
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साथ में आए सैकड़ों लोग
फिर से 8 साल बाद 'नर्मदा बचाओ आंदोलन' के बैनर तले समाज सेवी मेधा पाटकर के साथ सैकड़ों प्रभावितों ने अपने अधिकार के लिए चिखल्दा के खेड़ा में अनिश्चितकालीन अनशन शुरू कर दिया. साथ ही कई प्रभावित मेधा पाटकर के समर्थन में क्रमिक अनशन भी कर रहे है. अब देखना होगा की आखिर नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण इन बचे हुए प्रभावितों के साथ कब न्याय करता है.
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