Dinosaur National Park: धार को वैश्विक पहचान; यूनेस्को व लखनऊ के वैज्ञानिकों ने किया डायनासोर पार्क का दौरा

Dinosaur National Park: डायनासोर राष्ट्रीय उद्यान के इस निरीक्षण को स्थानीय स्तर पर बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. यदि इसे वैश्विक जिओपार्क की मान्यता मिलती है, तो यह न केवल धार जिले बल्कि पूरे मध्यप्रदेश के लिए गर्व का विषय होगा. इससे पर्यटन और वैज्ञानिक शोध की संभावनाएं भी कई गुना बढ़ जाएंगी.

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Dinosaur National Park: धार को वैश्विक पहचान; यूनेस्को व लखनऊ के वैज्ञानिकों ने किया डायनासोर पार्क का दौरा

Dinosaur National Park Dhar: धार जिले के बाग स्थित डायनासोर राष्ट्रीय उद्यान को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है. यूनेस्को के वैश्विक जिओपार्क के कार्यकारी वैज्ञानिक डॉ अलीरेजा (ईरान) व लखनऊ से आए वैज्ञानिक डॉ सतीश त्रिपाठी और भूगर्भशास्त्र विशेषज्ञ खोजेमा नजमी ने उद्यान का विस्तृत निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने राष्ट्रीय उद्यान में संरक्षित डायनासोर जीवाश्म, विभिन्न प्रकार की चट्टानों, समुद्री जीवों और वानस्पतिक जीवाश्मों का बारिकी से अवलोकन किया. डॉ अलीरेजा ने यहां जीवाश्मों की प्रचुर मात्रा देखकर आश्चर्य व्यक्त किया और वनमंडल धार द्वारा संरक्षण के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की.

वैश्विक मान्यता दिलाने का प्रयास

डॉ अलीरेजा ने यह भी अनुशंसा की कि डायनासोर राष्ट्रीय उद्यान को वैश्विक जिओपार्क की मान्यता दिलाई जा सकती है. साथ ही बाग गुफाओं का सांस्कृतिक और वैज्ञानिक दृष्टि से गहन अध्ययन किए जाने पर विशेष जोर दिया. इस मौके पर डॉ सतीश त्रिपाठी ने जीवाश्मों की विशेषताओं की जानकारी दी और भविष्य में शोध एवं संरक्षण की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की. वहीं, वन मंडलाधिकारी धार विजयनंथम टीआर ने बताया कि उद्यान को आधुनिक जिओपार्क के रूप में विकसित करने के लिए प्रयास जारी हैं. इसके तहत सभी जीवाश्मों का डिजिटल डॉक्यूमेंटेशन किया जाएगा, जिससे इसे वैश्विक पहचान मिल सके.

डायनासोर राष्ट्रीय उद्यान के इस निरीक्षण को स्थानीय स्तर पर बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है. यदि इसे वैश्विक जिओपार्क की मान्यता मिलती है, तो यह न केवल धार जिले बल्कि पूरे मध्यप्रदेश के लिए गर्व का विषय होगा. इससे पर्यटन और वैज्ञानिक शोध की संभावनाएं भी कई गुना बढ़ जाएंगी.

उपवनमंडलाधिकारी संतोष कुमार रनशोरे ने बाग और उसके आसपास स्थित जीवाश्म स्थलों एवं गुफाओं की ऐतिहासिक और वैज्ञानिक जानकारी दी. इस निरीक्षण दल के साथ वन परिक्षेत्र अधिकारी डॉ. शैलेन्द्र सोलंकी, श्री सुनील बघेल और वेस्ता मण्डलोई भी मौजूद रहे. अधिकारियों ने वैज्ञानिकों को उद्यान का भ्रमण कराया और अब तक किए गए संरक्षण कार्यों की जानकारी साझा की.

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