Cyber Fraud: ग्वालियर में डिजिटल अरेस्ट कर महिला से ठग लिए 38 लाख रुपए, ऐसे हुई वारदात

Cyber Fraud: साइबर ठग आए दिन नए-नए तरीके से ठगी को अंजाम दे रहे हैं. इन दिनों डिजिटल अरेस्ट के मामले देखने को मिलने लगे हैं. पिछले एक महीने में ग्वालियर में दो बड़े मामले डिजिटल अरेस्ट के सामने आ चुके हैं. यहां ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले ठगों ने डर दिखाकर बड़ी रकम अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवा ली है.

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Cyber Crime: ग्वालियर डिजिटल ठगों के निशाने पर है. इस बार ठगों ने एक महिला मेडिकल ऑफिसर को निशाने पर लिया. उनके पति जीवाजी विश्वविद्यालय (Jiwaji University Gwalior) में प्रोफेसर हैं. ठगों ने महिला डॉक्टर को 22 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट (Digital Arrest) किया. म्यांमार में 60 लोगों की आंख निकालने और एमडीएमए (MDMA Drugs) नामक नशीला पदार्थ भेजने, ह्यूमन ट्रैफिकिंग और मनी लॉन्ड्रिंग का सीबीआई (CBI) में केस दर्ज होने और उस मामले में गिरफ्तार करने का डर दिखाया और डराकर पहले उनसे 10 एफडी (FD) तुड़वाकर पैंतीस लाख और फिर तीन लाख रुपये अपने बैंक खातों में ट्रांसफर करवाए. खास बात ये है कि ठगी करने के बाद ठगों ने महिला के पति से कहा कि आप ठगी का शिकार हुए हैं, अब जाकर थाने में रिपोर्ट करो. कैसे हुई यह ठगी इस पूरे मामले पर देखिए NDTV की यह रिपोर्ट.

ऐसा है घटनाक्रम

पीड़ित महिला डॉक्टर सुजाता बापट परिवार कल्याण केंद्र में मेडिकल ऑफिसर हैं, जबकि उनके पति प्रो वापट जीवाजी विवि में प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष हैं. वे सिटी सेंटर में एक पॉश टाउनशिप में रहते हैं. मेडिकल ऑफिसर सुजाता को ठगों ने 9 अप्रैल को कॉल कर झांसे में लिया.

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ठगों ने 9 अप्रैल को डॉ सुजाता को दोपहर में कॉल किया और बताया कि उन्होंने लखनऊ से म्यांमार के लिए एक पार्सल बुक किया है, जिसमें 50 ग्राम एमडीएमए निकला है. सुजाता ने जब इस मामले से इनकार किया तो उन्होंने पुलिस थाना और सीबीआई थाना कोर्ट में कॉल कनेक्ट करने, फिर उनका अरेस्ट वारंट और असेट सीज करने के ऑर्डर की बात कही. जब डॉ सुजाता घबरा गईं तो ठगों ने मदद का आश्वासन देते हुए, उन्हें झांसे में लिया और दस अलग-अलग एफडी तुड़वाकर 35 लाख रुपये की रकम अपने खाते में आरटीजीएस से ट्रांसफर करवा ली.

इस पूरी घटना के दौरान ठग सुजाता को इस मामले के बारे में अपने पति या अन्य किसी को भी बताने पर गम्भीर परिणाम भुगतने की धमकी देते रहे. उन्होंने भरोसा दिया कि 26 अप्रैल को केस सेटल होने पर उन्हें राहत मिल जाएगी. उन्होंने उनके अकाउंट में बचे रुपयों की जानकारी लेकर तीन लाख रुपये और अपने खाते में ट्रांसफर करवा लिए.

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सीबीआई अफसर बनकर लगाया चूना

सीबीआई अफसर बने ठग ने अपना नाम राजीव गुप्ता बताया. उसने डॉ सुजाता को बताया कि उनके पार्सल में 20 पासपोर्ट, 3 क्रेडिट कार्ड, एक लैपटॉप, 50 ग्राम एमडीएमए और कपड़ा निकला है. पार्सल में रिसीवर का नाम जॉन डेविड हाउस नम्बर 207 सिटी डेगान यंगून म्यांमार लिखा है. ठग ने उनसे लखनऊ के थाना आलमबाग में शिकायत करने को कहा तो सुजाता ने बताया कि वे लखनऊ में नहीं ग्वालियर में रहती हैं. इसके बाद उन्हें लखनऊ थाना और सीबीआई थाने से कनेक्ट करने का झांसा देकर ठग लिया गया.

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मैसेजिंग एप पर भेजे डॉक्यूमेंट

पीड़िता के पति विवेक वापट बताते हैं कि सीबीआई ऑफिसर बने ठग ने उनकी पत्नी को यह भी बताया कि म्यांमार में 60 लोगों के आंख, नाक, कान निकालने पर 3.80 करोड़ रुपये आपके एचडीएफसी बैंक एकाउंट में पहुंचे हैं. यह बात सुनकर सुजाता घबरा गई और कहा कि उनका तो इस बैंक में कोई अकाउंट ही नहीं है. इस पर ठग बोला केस निपटने के बाद आपकी सारी रकम आपके खाते में वापस आ जाएगी.

एक मई को सुजाता ने अपने पति से ठगों की बात करवाई तो विवेक वापट ने कहा कि मेरी सीबीआई अफसर से बात कराइए. उधर से जवाब में ठग हंसते हुए बोला कि आपके साथ स्कैम हो गया है. आप टेलीग्राम ग्रुप से बाहर हो जाइए और नजदीक के साइबर थाने जाकर शिकायत कीजिए. प्रोफेसर वापट अपनी पत्नी को लेकर एसपी धर्मवीर सिंह से मिले और सारा घटनाक्रम बताया तो उन्होंने सायबर थाने को मामला जांच करने को कहा.

पुलिस ने क्या कहा?

एडिशनल एसपी निरंजन शर्मा का कहना है कि मामले की जांच की गई है. जिन खातों में पैसे ट्रांसफर हुए उनके डिटेल निकाली गई है. तीन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. वहीं चूंकि पैसा बिटक्वॉइन के जरिए आगे ट्रांसफर कर दिए गए हैं. इसलिए अब उन अकाउंट्स की पड़ताल भी की जा रही है.

एक महीने में दूसरी बड़ी घटना

ग्वलियर में एक माह के भीतर डिजिटल अरेस्ट कर ठगने की यह दूसरी बड़ी घटना है. इससे पहले वृद्ध शिक्षिका आशा भटनागर से ऐसे ही एफडी तुड़वाकर 51 लाख रुपये की ठगी की गई थी. उस मामले में पुलिस ने चार आरोपियों  को गिरफ्तार भी किया था.

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