Bulldozer Action का इफेक्ट ! 400 करोड़ की जमीन हुई खाली, धनतेरस पर डर कर भागे कब्जाधारी

MP Samachar Hindi : इस कदम के बाद अन्य अतिक्रमणकारियों के लिए एक सख्त संदेश माना जा रहा है. प्रशासन ने पूरी कार्रवाई अंजाम देते हुए 400 करोड़ की कीमती जमीन को अतिक्रमण मुक्त कर दिया गया है.

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सरकारी खजाने में धनवर्षा ! धनतेरस पर डर कर भागे कब्जाधारी, खाली हुई 400 करोड़ की जमीन

Bulldozer Action : धनतेरस (Dhanteras 2024) के मौके पर जब पूरे देश में लोग अपनी बचत से सोना-चांदी और अन्य कीमती चीजों की खरीदारी में व्यस्त थे.... तभी, जबलपुर जिले में प्रशासन ने बड़ा कदम उठाते हुए 400 करोड़ रुपए की बहुमूल्य जमीन को सरकारी खजाने में वापस शामिल किया. ये एक्शन जबलपुर के जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना के आदेश पर किया गया. दरअसल, जब्त की गई ये जमीन गांव तेवर और गांव चौकीतल में है. इस जमीन पर कई सालों से अवैध कब्जा किया गया था. इस जमीन को सीलिंग कानून के तहत राज्य सरकार के अधीन माना जाता है... लेकिन स्थानीय लोगों और कुछ रसूखदारों ने उस पर काफी लंबे समय से कब्जा जमाए रखा था. इसे लेकर प्रशासन ने कई बार चेतावनी और नोटिस दिए गए लेकिन कब्जाधारियों ने इसे नजरअंदाज करते हुए इस पर कोई ध्यान नहीं दिया.

धनतेरस के दिन प्रशासन ने उठाया कदम

जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना के नेतृत्व में प्रशासनिक टीम और पुलिस बल की भारी तैनाती की गई. जिसके बाद इस जमीन पर कब्जा मुक्त कराने का अभियान शुरू किया गया. इस अभियान में काफी संख्या में पुलिस कर्मियों और अधिकारियों की मौजूदगी रही. कब्जाधारियों के विरोध के बावजूद प्रशासन ने सख्ती से इस कार्रवाई को अंजाम दिया.

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400 करोड़ की जमीन हुई खाली 

बताया जा रहा है कि जमीन खाली कराने के दौरान कुछ तनावपूर्ण हालत भी देखने को मिले. लेकिन प्रशासन की मौजूदगी के चलते कोई बड़ी घटना नहीं हुई. आखिरकार 400 करोड़ रुपये मूल्य की ये भूमि सरकारी खजाने में वापस कर दी गई. इस कदम के बाद अन्य अतिक्रमणकारियों के लिए एक सख्त संदेश माना जा रहा है. प्रशासन ने पूरी कार्रवाई अंजाम देते हुए 400 करोड़ की कीमती जमीन को अतिक्रमण मुक्त कर दिया गया है.

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क्या होती है नजूल की जमीन ?

मालूम हो कि नजूल की जमीन उस जगह को कहा जाता है, जो सरकारी होती है और जिस पर किसी तरह का निजी स्वामित्व या कब्जा नहीं होता. आमतौर पर यह जमीन किसी व्यक्ति या संस्था को कानूनी रूप से आवंटित नहीं की जाती है और इसका इस्तेमाल सरकारी योजनाओं, विकास कार्यों या सार्वजनिक योजनाओं के लिए किया जाता है. नजूल की जमीन का प्रशासनिक कब्जा राज्य सरकार या स्थानीय प्रशासन के पास होता है और यदि इस जमीन पर कोई अवैध अतिक्रमण होता है... तो प्रशासन इसे खाली कराने की कार्रवाई कर सकता है. नजूल भूमि का इतिहास भारत में ब्रिटिश काल से जुड़ा हुआ है जब सरकारें सार्वजनिक भूमि का रिकॉर्ड रखने लगीं और उसे 'नजूल' भूमि कहा गया.

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