शिवजी रात 12 बजे सौंपेंगे भगवान विष्णु को पृथ्वी का भार,पालकी में सवार होकर जाएंगे बाबा महाकाल

Devuthani Ekadashi: मान्यता के अनुसार देव शयनी एकादशी से चार माह के लिए भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने चले जाते हैं. तब पृथ्वी लोक की सत्ता शिवजी के पास होती है. 

विज्ञापन
Read Time: 4 mins

Hariar Milan In Ujjain: मध्यप्रदेश के उज्जैन में सोमवार को हरिहर मिलन होगा. मतलब  शिव जी भगवान विष्णु को सृष्टि का भार सौंपकर तपस्या करने कैलाश पर्वत जाएंगे. इस मिलन को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग महाकाल से गोपाल मंदिर तक की सवारी में शामिल होंगे और जमकर आतिशबाजी भी होगी. इसको देखते हुए पुलिस ओर प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम करने शुरू कर दिए.

परंपरानुसार सोमवार को बैकुंठ चतुर्दशी होने से रात 11 बजे  श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में पूजन के बाद बाबा महाकाल की सवारी निकलेगी. इसमें रजत पालकी में विराजित बाबा की सवारी द्वारकाधीश गोपाल मंदिर पहुंचेगी. तत्पश्चात  गोपाल मंदिर में विधिविधान से पूजा होगी और रात 12 बजे हर (शिवजी) श्री हरि (भगवान विष्णु) को सृष्टि का भार सौंपकर कैलाश पर्वत पर चले जाएंगे. 

मान्यता है कि इसके बाद चार माह तक पृथ्वी का संचालन भगवान विष्णु करेंगे. यह मिलन देवउठनी एकादशी के बाद बैकुंठ चतुर्दशी पर होता है. खास बात यह है कि इससे पहले शाम कार्तिक माह की दूसरी सवारी भी निकलेगी.

ऐसे सौंपते हैं सृष्टि का भार

गोपाल मंदिर में सवारी पहुंचने पर पुजारी पूजन कर बाबा श्री महाकालेश्वर जी की ओर से बिल्व पत्र की माला गोपाल जी को भेंट करेंगे. वहीं बैकुंठनाथ अर्थात श्री हरि तुलसी की माला बाबा श्री महाकाल को भेट करेंगे. इस तरह शिवजी सृष्टि का भार भगवान विष्णु को सौंपेंगे. पूजन उपरांत बाबा महाकाल की सवारी पुनः इसी मार्ग से श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस लौट आएगी.

Advertisement

सवारी की तैयारी पूरी

महाकाल मंदिर प्रशासक प्रथम कौशिक के अनुसार हरिहर मिलन की सवारी महाकालेश्वर मंदिर सवारी निकलकर गुदरी चौराहा,पटनी बाजार से होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी. सवारी में हजारों श्रद्धालु पूरे रास्ते पर बाबा का स्वागत करने के लिए जोरदार आतिशबाजी करते हैं.  लेकिन शहर में प्रतिबंधात्मक धारा लागू है और हिंगोट फेंकने पर भी बैन है.

एसपी प्रदीप शर्मा ने बताया की सवारी मार्ग पर बैरिकेटिंग की जा रही हैं, पर्याप्त फोर्स लगाया जाएगा. हिंगोट फेंकने से  कई बार आगजनी की घटनाएं हो जाती हैं. इसलिए सवारी मार्ग पर 20 दमकल तैनात की जाएगी गलियों में भी लाइट और सीसीटीवी कैमरे लगा  रहे, जिससे कोई प्रतिबंधित आतिशबाजी करता है तो उसकी पहचान कर कार्रवाई की जा सके.

Advertisement

क्या है हरिहर मिलन की मान्यता

मान्यता के अनुसार देव शयनी एकादशी से चार माह के लिए भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने चले जाते हैं. तब पृथ्वी लोक की सत्ता शिवजी के पास होती है. फिर जब देव उठनी एकादशी पर विष्णुजी जागते हैं तब बैकुंठ चतुर्दशी के दिन शिवजी यह सत्ता पुनः विष्णुजी को सौंपकर कैलाश पर्वत पर तपस्या के लिए लौट जाते हैं. इसी परंपरा को हरि-हर कहते हैं.

इस दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक, पंचामृत अभिषेक, रुद्राभिषेक करें और  माता पार्वती का  भी पूजन करें। सफेद पुष्प, सफेद चंदन, अक्षत, पंचामृत, सुपारी, फल, गंगाजल / पानी से भगवान शिव-पार्वती का पूजन करें तथा 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते रहे। इन दिनों शिव जी के मंत्र, चालीसा, आरती, स्तुति, कथा पढ़ें अथवा सुनें. 

Advertisement

दीपदान, ध्वजादान का भी महत्व

इस दिन गरीबों को भोजन कराएं या सामर्थ्यनुसार दान करें. व्रत हो तो फल का उपयोग कर सकते हैं. भगवान को दीपदान, ध्वजादान की भी करना चाहिए. गाय को घास खिलानी चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इस दिन किए धार्मिक कार्यों का किसी भी अन्य दिनों की अपेक्षा में किए गए पूजा-पाठ से 10 गुना अधिक फल मिलता है.

ये भी पढ़ें "शादी पक्की कराओ तभी टावर से उतरूंगा नीचे..." रातभर टावर पर चढ़ हाईवोल्टेज ड्रामा करता रहा सनकी आशिक

Topics mentioned in this article