Farmers News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के डिंडोरी (Dindori) जिले में कछारी गांव के किसानों (Farmers) ने कमाल कर दिया है. डिंडौरी जिले में सरकारी सिस्टम (Government System) से हताश कछारी गांव के किसानों ने खेतों की सिंचाई (Irrigation) के लिए आपस में चंदा जुटाकर पानी (Irrigation Water) का जुगाड़ (Jugad) किया है. पानी की किल्लत के चलते फसलों (Crops) को बचाने के लिए किसानों ने हर बार की तरह इस बार भी पहले जल संसाधन विभाग (Water Resource Department) के अधिकारियों से गुहार लगाई थी, लेकिन जब अधिकारियों ने किसानों की नहीं सुनी तो उन्होंने आपस में चंदा कर पैसे जुटाए और खेतों की सिंचाई के लिए पानी का जुगाड़ कर लिया. अब आप यहां आकर देख सकते हैं कि इस जुगाड़ के पानी से किसानों के खेतों में उड़द और मक्के की फसल कैसे लहलहा रही है. किसानों ने कैसे जुगाड़ के सहारे खेतों तक पानी पहुंचाया जानते हैं इस रिपोर्ट में...
किसानों का आरोप नहर से आजतक नहीं मिला एक बूँद पानी
डिंडौरी जिले के शहपुरा तहसील क्षेत्र अंतर्गत कछारी गांव में अपनी फसलों को बचाने के लिए किसानों द्वारा जुगाड़ के सहारे पानी का इंतज़ाम किया है. जलसंकट (Water Crisis) से जूझ रहे कछारी गांव के किसानों ने खेतों में सिंचाई के लिए पानी का इंतज़ाम करने आपस में चंदा जुटाकर पैसे एकत्रित किये और जेसीबी मशीन के जरिये पहले नाले में पानी को जमा किया, फिर मोटर पंप और पाइपलाइन के सहारे पानी को तालाब तक लाया गया. इसके बाद तालाब में दूसरा मोटर पंप और पाइप लगाकर खेतों तक पानी पहुंचा दिया. हैरान करने वाली बात यह है कि कछारी गांव में लाखों की लागत से बनाया गया बड़ा जलाशय है और खेतों तक नहरें भी बनी हुई हैं, लेकिन नहरों से किसानों को एक बूंद पानी भी नसीब नहीं होता है.
किसानों ने यह भी बताया की बांध और नहरों की मरम्मत के नाम पर जल संसाधन विभाग के अधिकारी हर साल लाखों रुपये निालते हैं जबकि नहर से किसानों को एक बूंद पानी भी नसीब नहीं हो पाता है. बांध और नहर को शोपीस बतलाते हुए क्षेत्र के किसानों ने जिले के जिम्मेदार अधिकारीयों एवं जनप्रतिनिधियों से भी मामले की शिकायत की है, लेकिन अबतक किसी ने भी किसानों की सुध नहीं ली है.
बांध और नहर निर्माण के दौरान हुआ था जमकर भ्रष्टाचार : पूर्व विधायक
शहपुरा विधानसभा के पूर्व विधायक भूपेंद्र मरावी ने क्षेत्र में बाँध और नहरों के निर्माण में जलसंसाधन विभाग के अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. पूर्व विधायक ने बताया कि जल संसाधन विभाग के रिकाॅर्ड के मुताबिक जिले के बांध और नहरों से हजारों हेक्टेयर भूमि सिंचित दर्ज़ है, जबकि जमीनी हकीकत बिल्कुल इससे परे है. डिंडौरी जिले में एक दो बांध को छोड़कर बाकी के बांध और नहर सिर्फ सफ़ेद हाथी की तरह है। ख़ास बात यह है की बांध और नहरों से किसानों को भले एक बूँद पानी नहीं मिलता है लेकिन इन बाँध और नहरों की मरम्मत के नाम पर विभाग के अधिकारी सरकार से हरसाल करोड़ों रूपये का बजट प्राप्त कर लेते हैं.
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