ग्वालियर : ग्वालियर और चंबल इलाके का हथियारों से प्रेम किसी से छिपा नहीं है. मध्य प्रदेश में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं इसलिए शस्त्र लाइसेंस पाने की चाहत रखने वालों की भीड़ बढ़ गई है. चुनावों के वक्त नेता दबाव में रहते हैं. लिहाजा लोग मंत्रियों और विधायकों की सिफारिशी चिट्ठियां भी लेकर पहुंच रहे हैं. लाइसेंस के आवेदकों की बढ़ती भीड़ से अधिकारी परेशान हैं जिसके चलते ग्वालियर की कलेक्ट्रेट पर तो बाकायदा नोटिस चस्पा किया गया है कि शस्त्र लाइसेंस के संबंध में संपर्क न करें.
ग्वालियर कलेक्ट्रेट के एडीएम दफ्तर के दरवाजे पर एक बोर्ड चिपका हुआ है जिस पर लिखा है कि शस्त्र लाइसेंस के लिए किसी भी प्रकार का संपर्क न करें. दरअसल शस्त्र लाइसेंस चाहें बंदूक का हो या रिवॉल्वर का या पिस्टल का, इसका आवेदन कलेक्ट्रेट में एडिश्नल जिला मजिस्ट्रेट (ADM) के समक्ष किया जाता है. चुनाव आते ही इसके लिए आवेदन करने वालों की संख्या में सैकड़ों गुना का इजाफा हो गया है. चूंकि प्रशासनिक अमला निर्वाचन के जरूरी कामों में जुटा है. लिहाजा उसने अब इससे संबंधित प्रक्रिया रोककर फाइलें बस्ते में बंद करके रख दी हैं. एडीएम मिल नहीं रहे जबकि उनके दफ्तर के बाहर लाइसेंस पाने की चाहत रखने वालों की भीड़ लग रही है. वे प्रशासन के इस रवैये से सख्त नाराज हैं.
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ग्वालियर में 31,400 लोगों के पास लाइसेंस
मध्य प्रदेश में चुनाव सिर पर हैं. मौके का फायदा उठाकर मतदाता तरह-तरह की मांगें नेताओं के सामने रखने में लगा है. कोई सड़क, पानी, बिजली मांग रहा है तो कोई नौकरी लेकिन ग्वालियर चंबल अंचल के लोगों के शौक ही निराले हैं. उनकी डिमांड सुनकर नेताओं के पसीने छूट रहे हैं. यहां हर किसी को शस्त्र लाइसेंस चाहिए. किसी को बन्दूक चाहिए तो किसी को पिस्टल या रिवॉल्वर.
400 आवेदनों के साथ सिफारिशी पत्र
सूत्रों का कहना है कि इस समय मंत्री और विधायक अपने-अपने क्षेत्र में सघन दौरे कर समर्थन की गुहार लेकर जब लोगों के दरवाजे पहुंचते हैं तो लोग भी मौके पर चौका लगाने से नहीं चूक रहे हैं. वे भी लगे हाथों मंत्री और विधायकों के हाथों में अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य के नाम से शस्त्र लाइसेंस का आवेदन थमा देते हैं. सूत्र बताते हैं कि कलेक्ट्रेट में अभी लगभग 400 आवेदन तो ऐसे हैं जिनमें केंद्रीय मंत्री, राज्य के मंत्रियों, सांसद और विधायकों के सिफारिश वाले पत्र भी साथ आए हैं. यह संख्या निरंतर बढ़ रही है. नेता भी परेशान हैं लेकिन असहाय हैं.
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'शस्त्र लाइसेंस के लिए संपर्क न करें'
एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हर रोज लगभग एक दर्जन से अधिक लोग शस्त्र लाइसेंस की चाहत में उनके पास पहुंचते हैं. यही हाल अंचल के हर मंत्री और विधायक का है. वे उनकी सूची तैयार कर उन्हें प्रशासन तक भिजवा देते हैं. यही कारण है कि इस समय प्रशासन के अधिकारियों के पास शस्त्र लाइसेंस बनवाने के आवेदनों की संख्या हजारों में हो चुकी है. यह लोग फिर कलेक्ट्रेट पहुंचकर अफसरों पर दवाब बनाते हैं. इससे तंग आकर प्रशासन के अधिकारियों ने अपने दफ्तरों के सामने शस्त्र लाइसेंस के आवेदन न लेने और इस संबंध में भेंट के लिए न आने की सूचना ही चस्पा कर कर दी है.
देश में सबसे ज्यादा लाइसेंसी हथियारों वाला इलाका
लंबे समय तक चंबल अंचल में सेवा दे चुके एमपी पुलिस के गैलेंट्री अवर्डेड डीएसपी केशव देव सोनकिया कहते हैं इस क्षेत्र में शस्त्र लाइसेंसी बंदूकों का सबसे अधिक उपयोग स्टेटस सिंबल के लिए होता है. लोग इसे अपनी शान समझते हैं. कहा जाता है कि जिसके कंधे पर लाइसेंसी बंदूक टंगी होती है उसका समाज में मान सम्मान ज्यादा होता है. गांव में प्रतिष्ठा का आंकलन घर में मौजूद लाइसेंसी हथियारों की संख्या से होता है. यही वजह है कि यहां लोग अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं. लाइसेंस बनवाने के लिए वे हमेशा रास्ता तलाशते रहते हैं.
स्टेटस सिंबल वालों को नहीं मिलेगा लाइसेंस
वहीं जिले में शस्त्र लाइसेंसों की बढ़ती संख्या पर ग्वालियर के कलेक्टर ( District Magistrate) अक्षय कुमार सिंह कहते हैं कि यह सही बात है. शस्त्र लाइसेंस की परंपरा इस क्षेत्र में काफी अधिक है लेकिन धीरे-धीरे हम इसको कम करने की कोशिश कर रहे हैं. हमने इसको लेकर वरिष्ठ नेताओं और अधिकारियों से बातचीत की है. उन्होंने बताया है कि यहां पर कई बार ऐसा होता है कि किसी को जान का खतरा हो या कोई कोर्ट का मामला हो तो उसको शस्त्र लाइसेंस की अनुशंसा की जाती है लेकिन जो लोग बिना वजह सिर्फ झूठी शान या स्टेटस सिंबल को लेकर सस्ते लाइसेंस की मांग कर रहे हैं, उनको बिल्कुल भी नहीं दिया जाएगा.
अपराध बढ़ने के पीछे बड़ा कारण
ग्वालियर के एसपी राजेंश सिंह चन्देल कहते हैं कि चुनाव के समय पुलिस हो या प्रशासन दोनों पर काफी काम होता है. निर्वाचन में शस्त्र लाइसेंस सस्पेंड कर दिए जाते हैं, ऐसे में नए शस्त्र लाइसेंस कैसे जारी हो सकते हैं? शायद इसीलिए प्रशासन ने यह निर्णय लिया है. इसके अलावा यहां के लोग सबसे अधिक शस्त्र लाइसेंस का इस्तेमाल सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी के लिए करते हैं. रिटायर पुलिस अधिकारी केडी सोनकिया कहते हैं कि ग्वालियर चंबल में ज्यादा अपराध होने की एक वजह बड़ी संख्या में लाइसेंसी हथियार होना भी है. पूरे मध्य प्रदेश में सबसे अधिक शस्त्र लाइसेंस इस इलाके में हैं और आंकड़े बताते हैं कि इनका जमकर दुरुपयोग भी होता है. बीते कुछ माह पहले मुरैना के लेपा गांव में छह लोगों को हत्या की घटना हो या इसी माह दतिया जिले में की गई पांच लोगों की हत्या की घटनाएं इसके ताजा उदाहरण हैं. हर साल लाइसेंस की वजह से कई जानें जाती हैं और यहां पर हत्याएं होती हैं.