
Vidisha Hindi News: मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में एक युवका का शव 7 घंटे तक एंबुलेंस में पड़ा रहा. इसे लेने न कोई जिम्मेदार आया और न ही कोई कार्रवाई की गई. अब आप इसकी वजह जानकर चौंक जाएंगे, क्योंकि शव न उठाने का कारण दो थानों के बीच झगड़ा था. इस घटना ने पुलिस के काम करने के तरीके पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.
पडरायत गांव का रहने वाले पवन आदिवासी ने (26) ने जहर खाकर जान दे दी. हालांकि, ऐसा कदम उठाने की अभी वजह सामने नहीं आई है. वैसे पवन ने 3 मई को जहर खाया था और फिर उसे निजी अस्पताल में भर्ती कराया. 11 दिनों तक चले इलाज के बाद 13 मई की दोपहर उसकी हालत ज्यादा खराब हो गई.
मेडिकल कॉलेज लाया गया
फिर उसे 14 मई यानी बुधवार को दोपहर करीब 1 बजे मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया. जब तक एंबुलेंस मेडिकल कॉलेज पहुंची, तब तक पवन की सांसें थम चुकी थीं. मौके पर परिजन भी पहुंच गए, लेकिन उसकी जान जा चुकी थी. वहीं, मोर्चरी ने भी शव लेने से मना कर दिया. इसकी वजह उसने पुलिस की कोई कार्रवाई नहीं होना बताया था. जब पुलिस को बुलाया गया तो मामला थाना क्षेत्र को लेकर फंस गया.
एक-दूसरे का बताया मामला
सिविल लाइन थाने ने कहा कि यह कोतवाली का मामला है और कोतवाली ने कहा- ये सिविल लाइन का मामला है. इसी उधेड़बुन में सात घंटे बीत गए और पवन का शव भीषण गर्मी में एंबुलेंस में ही पड़ा रहा.
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क्या बोले परिजन
मामले में परिजनों ने बताया कि हमें बोला गया कि हालत गंभीर है, लेकिन यहां लाकर पता चला कि वो तो पहले ही मर गया था. सात घंटे तक हम दर-दर भटकते रहे. कोई सुनने को तैयार नहीं था.
एंबुलेश चालक ने बताया कि एक निजी अस्पताल से हम शव को मेडिकल कॉलेज लाए हैं, लेकिन मेडिकल कॉलेज ने शव को लेने से इसलिए मना कर दिया, क्योंकि यह दो थानों का मामला बता रहे हैं.