18 साल में 10वीं बार मां बनी महिला, बेटे को दिया जन्म, सबसे बड़े बेटे की उम्र 17; हाई रिस्क डिलीवरी सफल

दमोह जिले के हटा ब्लॉक के एक आदिवासी गांव में परिवार नियोजन के प्रयासों की जमीनी हकीकत सामने आई है. रनेह गांव की एक 38 साल की महिला ने दसवीं संतान को जन्म दिया है. हाई रिस्क डिलीवरी के बावजूद समय पर अस्पताल पहुंचने से मां और नवजात दोनों सुरक्षित हैं.

विज्ञापन
Read Time: 2 mins

दमोह जिले के हटा ब्लॉक में आने वाले रनेह गांव में जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन अभियानों की वास्तविक स्थिति उजागर हुई है. गांव में रहने वाली कुसुम आदिवासी ने गुरुवार को अपने दसवें बच्चे को जन्म दिया. 38 वर्षीय कुसुम आदिवासी की यह डिलीवरी हाई रिस्क श्रेणी में थी, लेकिन समय रहते स्वास्थ्य विभाग पहुंचने के कारण जच्चा और बच्चा दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं.

जानकारी के अनुसार, कुसुम आदिवासी के पति नंदराम की उम्र 43 वर्ष है और वह मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं. दोनों का विवाह लगभग 18 वर्ष पूर्व हुआ था. दंपती के कुल दस बच्चे हैं, जिनमें तीन बेटे और सात बेटियां शामिल हैं. महिला के सबसे बड़े बेटे की उम्र 17 साल है. इससे पहले महिला की सभी नौ डिलीवरी घर पर ही हुई थीं, जिससे जोखिम लगातार बढ़ता जा रहा था.

बेटे को दिया जन्म

गुरुवार को प्रसव पीड़ा शुरू होने पर आशा कार्यकर्ता ने महिला को समझाइश दी और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रनेह में भर्ती कराया गया. यहां तैनात नर्स देवकी कुर्मी ने बताया कि महिला के प्रसव को हाई रिस्क मानते हुए विशेष निगरानी में रखा गया था. प्राथमिक उपचार और सतर्कता के चलते महिला की सामान्य डिलीवरी कराई गई. उसने एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया.

जागरूकता की कमी

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार समय पर अस्पताल पहुंचना इस मामले में सबसे अहम साबित हुआ. कुसुम का 10वें बच्चे को जन्म देना साफ तौर पर ग्रामीण इलाकों में परिवार नियोजन और जागरूकता की कमी को दर्शाता है. इससे साफ है कि स्वास्थ्य विभाग को ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान और मजबूत करने की जरूरत है, ताकि मातृ और शिशु स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सके. 

Advertisement

MP में 'क्रिमिनल' बन रही पुलिस! 329 पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज, मंदसौर के 'मॉडल थाने' ने खोली सड़ांध

Topics mentioned in this article