Corruption in Amrit Sarovar Yojana: मध्यप्रदेश के आदिवासी बाहुल्य डिंडौरी (Dindori) जिले में केंद्र सरकार की अति महत्वाकांछी योजनाओं में शुमार अमृत सरोवर योजना (Amrit Sarovar Yojana) पूरी तरह से भ्रष्टाचार (Corruption) की भेंट चढ़ गई है. भ्रष्टाचार का आलम यह है की सरोवर निर्माण के नाम पर ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के अधिकारीयों ने सिर्फ ढांचा खड़ा कर दिया और सरकारी दस्तावेजों में कार्य पूर्ण दर्शाकर लाखों रुपये का बंदरबांट कर लिया. हालिया मामला शहपुरा जनपद के ग्रामपंचायत अमठेरा का है, जहां करीब दो साल पहले ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के द्वारा अमृत सरोवर योजना के तहत 42 लाख रुपये की लागत से सरोवर का निर्माण कराया गया था. सरोवर के निर्माण में किस कदर भ्रष्टाचार किया गया है, उसका अंदाजा यहां आकर बड़ी आसानी से लगा सकते हैं. जल रिसाव के कारण सरोवर का 90 प्रतिशत हिस्सा पूरी तरह से सूख चुका है और सरोवर के अंदर सूख चुकी जमीन पर अब किसानों ने खेती करना भी शुरू कर दिया है.
मटर और मसूर की फसलें उगाईं
यहां मटर और मसूर की लहलहाती फसल को देखकर आप यह सोचेंगे कि ये किसी खेत की तस्वीर है, लेकिन यह तस्वीर सूख चुके एक सरोवर की है. यह अनोखा सरोवर ग्राम पंचायत अमठेरा के पोषक ग्राम बड़झर में है, जहां अमृत सरोवर योजना के तहत सरोवर निर्माण के नाम पर सिर्फ ढांचा खड़ा कर लाखों रुपये निकाल लिए गए. सरोवर का निर्माण इतना घटिया कराया गया है कि बारिश के मौसम में जमा हुआ पानी ठंड के मौसम में ही सूख जाता है. सरोवर में जगह-जगह पानी का रिसाव तेजी से होता है, जिसके कारण सरोवर में पानी संरक्षित नहीं हो पाता है. सरोवर के निर्माण में भ्रष्टाचार की शिकायत करते-करते जब ग्रामीण और किसान थक गए, तब हताश होकर कुछ किसानों ने सरोवर के अंदर सूख चुकी जमीन पर खेती करना शुरू कर दिया है.
सरपंच ने लगाए गंभीर आरोप
जब हमने अमृत सरोवर योजना के तहत बनाये गए सरोवर में जल संरक्षण करने के बजाय खेती किये जाने के संबंध में ग्राम पंचायत के सरपंच शिवकुमार से बात की तो उन्होंने बताया कि सरोवर के निर्माण में ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों ने जमकर भ्रष्टाचार किया है. सरोवर से पानी का रिसाव होने की वजह से वह सूख जाता है लिहाजा स्थानीय किसान सूखे सरोवर के अंदर फसल लगा लेते हैं. सरपंच ने यह भी बताया कि गांव से काफी दूर बने सरोवर तक पहुंचने के लिए ग्राम पंचायत के द्वारा करीब 14 लाख रुपये की लागत से ग्रेवल सड़क का निर्माण भी कराया गया है.
अधिकारियों का क्या कहना है?
इस मामले में जनपद पंचायत के सीईओ अरविंद बोरकर का कहना है कि सरोवर का निर्माण ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के द्वारा किया गया है जिसमें फ़िलहाल जल का संरक्षण नहीं हो रहा है, यह जांच का विषय है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरोवर में पानी नहीं होने की वजह से लोग सरोवर में खेती करके उसका सदुपयोग कर रहे हैं.
ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री दीपक आर्मो से इस मामले में बात की गई तो उनका कहना है कि तात्कालीन अधिकारीयों को निर्माण के पहले सही स्थान का चयन करके सरोवर का निर्माण करना चाहिए था, लेकिन कई सरोवर गलत स्थानों पर बना दिए गए हैं, जिसके कारण आज ये स्थिति हुई है. हालांकि उन्होंने बड़झर गांव में सरोवर निर्माण में भ्रष्टाचार के आरोपों पर जांच कराने के बाद कार्यवाही का आश्वासन दिया है.
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