Jal Jeevan Mission : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के बैतूल (Betul) जिले के कई गांव जलजीवन मिशन की योजनाएं पूरी होने के बावजूद बैक्टीरिया युक्त मटमैला पानी पीने को मजबूर हैं. गंदा पानी पीने से ज़्यादातर इलाकों में लोग बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं. जलजीवन मिशन में हो रहे भ्रष्टाचार ने समस्या को और बढ़ा दिया है. ऐसा ही एक गांव व है जिले का बोरिकास गांव जहां हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि यहां के लोगों को पानी का सैंपल जिला मुख्यालय तक ले जाकर प्रशासन को दिखाना पड़ा.
गंदा पानी पीकर बीमार हो रहे लोग
बैतूल जिले में ताप्ती नदी के किनारे बसे ग्राम बोरिकास के बाशिंदे इन दिनों मटमैला बैक्टीरिया युक्त पानी पीकर तरह तरह की बीमारियों से जूझ रहे हैं. पिछले एक डेढ़ महीने से तो हालात बहुत बदतर हैं. पीने का पानी लेने के लिए लोगों को कई मील दूर जाना होता है और जो हैंडपंप गांव के अंदर है.... उसका पानी फ्लोराइड और कचरे से भरा हुआ है जिसे पीकर गांव के लोग बीमार हो रहे हैं.
कागज़ी योजना बना जल जीवन मिशन
सैकड़ों अन्य गांवों की तरह बोरिकास गांव में भी जल जीवन मिशन के तहत 50 हजार लीटर क्षमता की टंकी बनाई गई है. हर घर तक पाइप लाइन बिछाई गई है लेकिन पानी का पता ठिकाना नहीं है इसलिए जलजीवन मिशन इलाके के लोगों के लिए केवल कागज़ी योजना साबित हों रही है.
जिम्मेदार अधिकारियों ने रखी बात
समस्या से जूझते हुए दो महीने बीत जाने के बावजूद जब कोई हल नहीं निकला तो ग्रामीण पानी का सैंपल लेकर कलेक्टर कार्यालय भी गए. आनन फानन में प्रशासन ने गांव मे टैंकर की मदद से जलापूर्ति की व्यवस्था कर दी लेकिन जलजीवन मिशन पर आला अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं. PHE विभाग के अधिकारी कहते हैं कि बोरिकास गांव मे एक ट्रांसफार्मर खराब होने से जलापूर्ति रुकी है जिसे सही करने की कोशिश की जा रही है.
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आखिर कब तक नसीब होगा पानी ?
बोरिकास गांव तो सिर्फ एक उदाहरण है जबकि बैतूल जिले में ऐसे दर्जनों गांव हैं...जहां जलजीवन मिशन योजना तो पहुंच गई लेकिन लोगों के घर तक पानी नहीं पहुंचा पाया है. पिछले कुछ दिनों से बैतूल के कई गांवों में मौसमी बीमारियों और चर्म रोग फैलने से लोग परेशान हैं. ऐसे में अगर गांव के लोग ऐसा मटमैला गंदा पेयजल पीएंगे तो हालात और बदतर हो सकते हैं.
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