दिग्विजय सिंह ने बेटे जयवर्धन को यूं ही नहीं बना दिया नेता, पहले ली थी ऐसी परीक्षा, सुनकर चौंक जाएंगे आप

Digvijay Singh News: जयवर्धन सिंह ने बताया कि शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अपने पिता से राजनीति में आने की इच्छा जताई, तो उनके पिता दिग्विजय सिंह ने पहले पूरी तरह मना कर दिया. इसके बाद शर्त रखी कि अगर जयवर्धन सिंह राघौगढ़ में रहेंगे और गांव की गर्मी और सर्दी बर्दाश्त करते हुए एक-एक परिवार को सम्मान देंगे, तो आगे देखा जाएगा.

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Jayvardhan Singh Rathore Latest News: नेताओं के बेटे का नेता बनना तो आम बात है, लेकिन मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने अपने बेटे जयवर्धन सिंह राठौर को नेता बनाने के लिए बहुत गंभीर टास्क दिया था. फिर बेटे के पिता के टास्क पर खड़ा उतरने के बाद दिग्विजय सिंह ने बेटे को राजनीतिक जीवन में आने की अनुमति दी. जी हां, इसका खुलासा मंगलवार को एनएसयूआई (NSUI) छात्र समागम में राघौगढ़ विधायक ने किया.

एनएसयूआई द्वारा आयोजित कार्यक्रम में राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह ने अपने छात्र जीवन से लेकर राजनीति में आने तक का सफरनामा बेहद ही रोचक अंदाज में सुनाया. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री का बेटा होने की वजह से 9 साल की आयु में उन्हें पढ़ने के लिए बोर्डिंग स्कूल भेज दिया गया था, जहां उन्होंने शिक्षा के साथ-साथ अनुशासन भी सीखा. समानता का भाव भी हॉस्टल में ही उन्होंने हासिल किया था, क्योंकि वहां सभी छात्र एक समान थे. किसी को भी घर से कोई सामान लाने की इजाजत नहीं थी.

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दिग्विजय सिंह ने बेटे के सामने रखी थी ये शर्त

इसके बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से बी.कॉम ऑनर्स करने के बाद मुंबई में उन्होंने 4 सालों तक एक प्राइवेट कम्पनी में जॉब की. शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने अपने पिता से राजनीति में आने की इच्छा जताई, तो उनके पिता दिग्विजय सिंह ने पहले पूरी तरह मना कर दिया. इसके बाद शर्त रखी कि अगर जयवर्धन सिंह राघौगढ़ में रहेंगे और गांव की गर्मी और सर्दी बर्दाश्त करते हुए एक-एक परिवार को सम्मान देंगे, तो आगे देखा जाएगा. जयवर्धन सिंह ने बताया कि पिता की बात उन्होंने गंभीरता से ली और गांवों में रहने के लिए पदयात्रा का विकल्प चुना. इस दौरान वह रोजाना 20 किलोमीटर पैदल चलने के दौरान एक-एक परिवार से नाता जुड़ गया. इसके बाद उन्होंने कहा कि परिणाम सबके सामने है. मतदाताओं के आशीर्वाद से आज वह तीसरी बार के विधायक हैं. जयवर्धन ने छात्र-छात्राओं को सलाह दी कि अगर राजनीति में आना है, तो जनसेवा के भाव से आएं, तभी सकारात्मक परिवर्तन कर पाएंगे.

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जयवर्धन छात्रों को समाज सेवा की दी सीख

एनएसयूआई के कार्यक्रम में विधायक जयवर्धन ने राज्य सरकार पर छात्रों और शिक्षकों की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए बताया कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा किए गए कई वायदे पूरे नहीं किए गए हैं. यहां तक कि कॉलेजों में छात्रसंघ के चुनाव तक सरकार नहीं करवा पा रही है. गुना को तात्या टोपे विश्वविद्यालय तो मिल गया है, लेकिन उसके लिए नया भवन अब तक स्वीकृत नहीं हुआ है. उन्होंने एनएसयूआई से आव्हान किया कि वे छात्र गतिविधियों के तहत धरना-प्रदर्शन तक सीमित न रहें, बल्कि सामाजिक सरोकार के कामों में भी सक्रिय रहें. जयवर्धन ने विधायक इंजी. ऋषि अग्रवाल की ओर से पीजी कॉलेज परिसर में बैडमिंटन कोर्ट की मांग समर्थन किया. उन्होंने कहा कि अगर सरकार कॉलेज में बैडमिंटन कोर्ट बनवाएगी, तो वे भी यहां खेलने आएंगे. जयवर्धन ने एनएसयूआई का उत्साह वर्धन करते हुए बताया कि संगठन की मूल संस्था कांग्रेस के जिले में दो विधायक हैं.जयवर्धन सिंह और ऋषि अग्रवाल विधानसभा में गुना के छात्र-छात्राओं की आवाज बुलंद करते रहेंगे.

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विधायक इंजी. ऋषि अग्रवाल सरकार की खोली पोल

कार्यक्रम को बमोरी विधायक इंजी. ऋषि अग्रवाल ने भी संबोधित किया.  उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें दोनों ही युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही हैं. नीट परीक्षा घोटाला और युवाओं के बीच बढ़ती बेरोजगारी पर चिंता जताते हुए अग्रवाल ने कहा कि सरकारें परीक्षाओं में धांधली के जरिए युवाओं की रीढ़ कमजोर कर रही हैं. इसके खिलाफ मुखर होना पड़ेगा. अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कार वितरित किए गए.

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गौरतलब है कि कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआई ने मंगलवार को पीजी कॉलेज के इनडोर स्टेडियम में छात्र समागम का आयोजन किया. कार्यक्रम में राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह और बमोरी विधायक ऋषि अग्रवाल बतौर अतिथि मौजूद रहे. दोनों युवा विधायकों ने एनएसयूआई के आयोजन की सराहना की और अपने-अपने छात्र जीवन से जुड़े संस्मरण भी साझा किए. इस दौरान विधायकों ने आश्वासन दिया कि गुना के एक-एक छात्र की आवाज उनके माध्यम से मध्य प्रदेश की विधानसभा में बुलंद की जाएगी. 

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