नौनीहालों की सुनिए सरकार ! मध्यप्रदेश में 34 हजार आंगनवाड़ी केन्द्र बिना भवन के, 4 हजार जर्जर हालत में

मध्यप्रदेश में आंगनवाड़ियों की स्थिति नहीं सुधर पा रही है. हालत ये हैं कि 34 हज़ार 143 आंगनवाड़ी केंद्र बिना भवन के हैं. इसकेअलावा 4044 से अधिक आंगनवाड़ी भवन जर्जर स्थिति में हैं. कुल मिलाकर प्रदेश में 40% आंगनवाड़ी केन्द्र या तो भवनविहीन या किराये पर चल रहे हैं. खुद मंत्री जी ने भी स्वीकार किया है कि शहरों में किराए पर भवन लेना पड़ता है.

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Anganwadi Centres in MP: तमाम दावों और प्रयासों के बावजूद मध्यप्रदेश में आंगनवाड़ियों की स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा है. राज्य के दूसरे जिलों या शहरों की बात छोड़िए खुद राजधानी भोपाल में भी आंगनवाड़ी केन्द्र या तो किराए के भवनों में चल रहे हैं या फिर कई केन्द्रों के भवन जर्जर हो चुके हैं. हालात को आप महज एक छोटे से आंकड़े से समझ सकते हैं. मसलन-राज्य में 34 हजार से अधिक आंगनवाड़ी केन्द्र बिना भवन के चल रहे हैं लेकिन बीते 5 सालों में महज 1399 ही नए आंगनवाड़ी भवन बनाए जा सके हैं. राज्य में करीब 4 हजार आंगनवाड़ी केन्द्रों के भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. चिंता की बात ये है कि खुद सरकार का कहना है कि हालात में कब सुधार होगा इसका साफ-साफ जवाब सरकार के पास भी नहीं है. विधानसभा की रिपोर्ट के मुताबिक  


भोपाल में ही किराए में चल रहे हैं आंगनवाड़ी केन्द्र 

NDTV ने भोपाल में ही सबसे पहले आंगनवाड़ी केन्द्रों के हालात का जायजा लिया. हम सबसे पहले पहुंचे शिवनगर में मौजूद आंगनवाड़ी केन्द्र में. ये केन्द्र किराए के छोटे से कमरे में चल रहा है. यहां कुल 87 बच्चे रजिस्टर्ड है. इसी छोटे कमरे में बच्चों के वजन मापने की मशीन और खाने के बर्तन में भी रखे हैं. यदि कभी सारे बच्चे एक साथ जुट जाते हैं तो भवन में खड़े रहने की भी स्थिति नहीं होती है. केन्द्र में काम कर रहीं कार्यकर्ता रमा कुशवाहा बताती हैं कि उन्होंने जब से ज्वाइन किया है तब से ये भवन किराए पर ही चल रहा है. सरकार समय पर किराया तो देती है लेकिन बच्चों की संख्या को देखते हुए कमरे का साइज छोटा है. इसी तरह से राजधानी भोपाल के ही रोशनपुरा में एक दूसरा आंगनवाड़ी केन्द्र हमें मिला तो टीनशेड में संचालित हो रहा है. यहां कुल 65 बच्चे रजिस्टर्ड हैं 

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आंगनवाड़ी केन्द्रों पर समय सीमा नहीं बता सकते: मंत्री

ऊपर हमने आपको बताया कि प्रदेश में किस रफ्तार से आंगनवाड़ी केन्द्रों का निर्माण हो रहा है. मौजूदा जरूरत के मद्देनजर ही यदि इसी रफ्तार से प्रदेश में आंगनवाड़ी केन्द्र बनाए जाएंगे तो प्रदेश के हर आंगनवाड़ी केन्द्र को खुद का भवन मिलने में 100 साल से अधिक समय का वक्त लग जाएगा. जब हमने इस मसले पर महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री निर्मला भूरिया से बात की उनका जवाब था कि सभी केन्द्रों के लिए खुद का भवन बना देने की समय सीमा बताना संभव नहीं हैं. मंत्री महोदया का कहना है कि हमलोग काम कर रहे हैं. कई नए आंगनवाड़ी केन्द्रों को मंजूरी भी दी गई है. आने वाले वक्त ने इसे और आगे बढ़ाएंगे. उन्होंने माना कि कई बार नगरीय क्षेत्र में परेशानी आती है, जगह नहीं मिल पाती है. इसी वजह से उन्हें किराए में चलाना पड़ता है. सरकार आने वाले वक्त में स्थिति में सुधार लाएगी. 
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