CM Rise School: 3 साल से भटक रहा है ये स्कूल, जिम्मेदार अधिकारियों ने कहा- अभी भी तलाश जारी है

CM Rise School News: सीएम राइज स्कूल के निर्माण के पहले एजेंसी द्वारा सर्वे और ड्राइंग आदि पर एक बार में 5 लाख रुपए तक का खर्च आता है. सूत्रों का कहना है कि तीन बार यह कार्य कराया जा चुका है. इस प्रकार से सरकारी राशि का उपयोग फिजूल खर्ची में हो रहा हैं.

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CM Rise School in MP: सीएम राइज स्कूल (CM Rise School) में विद्यार्थियों के समग्र विकास पर ध्यान केन्द्रित करते हुए शिक्षा (Education) दी जाती है. इससे विद्यार्थी की बौद्धिक, शारीरिक, भावनात्मक और सामाजिक क्षमताओं का विकास होगा और वे जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बन सकेंगे. नीति आयोग (NITI Aayog) ने भी सीएम राइज योजना (CM Rise Yojana) की सराहना की थी. लेकिन दुर्भाग्य हैं कि विदिशा में सीएम की योजना को अफसर पलीता लगा रहें हैं. शिक्षा सत्र शुरू हो गया हैं और स्थाई रूप से स्कूल के निर्माण के लिए जगह चिन्हित नहीं हो पाई हैं. दूसरा पहलू यह है कि वर्तमान बरईपुरा स्कूल में सीएम राइज संचालित हो रहा हैं वहां पर लाखों रूपएं खर्च कर भवन को आधुनिकता से तैयार किया गया है. ऐसे में यहां से जगह का बदलना मतलब लाखों रुपए की बर्बादी. इसे समझने में सरकारी मुलाजिमों और जनप्रतिनिधियों को देर क्यों लग रही हैं? जबकि आज नही तो कल पुरानी कृषि उपज मंड़ी को स्थानांतरित होकर नवीन मंड़ी में जाना है. सिर्फ मंड़ी प्रांगण का आधा भाग लेने से स्कूूल बनने की राह आसान हो जाएंगी.

क्या है सीएम राइज योजना / What is CM Rise School Scheme

सीएम राइज योजना की शुरूआत 11 जून 2021 को सरकार द्वारा की गई है. इस में लगभग 40 करोड़ की लागत आना है. इसके अलावा आसपास स्कूली शिक्षा में नवीन संशोधन का समावेश, आधुनिककरण, बच्चों का सर्वांगीण विकास, स्कूलों की संरचना में व्यापक सुधार, बच्चों की शिक्षा एवं अन्य गतिविधियों में जागरूकता बढ़ाना आदि के कार्य किए जाने है.

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विदिशा में 3 वर्षों में बदले तीन ठिकाने

विदिशा में 11 जून 2021 को सीएम राइज स्कूल की योजना की शुरूआत के दौरान बरईपुरा स्कूल को चिन्हित किया गया था. प्रशासन के अधिकारियों और जनपितिनिधियों ने बैठ कर मसौदा तैयार किया. राजस्व विभाग ने जगह का मौका मुआयना किया और दोनों तरफ से चिन्हित कर जमीन की नपती कर ली, इसमें पर्याप्त संभावनाएं थीं और जो जगह चिन्हित की गई थी, वह जगह शासन के अधिग्रहण में आज भी संरक्षित है. हालांकि इसमें कुछ जमीन अन्य विभाग की भी थी. अचानक बरईपुरा स्कूल की जमीन पर बदलाव हुआ और उस पर पूर्ण विराम लगा दिया गया.

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दूसरी बार जगह की तलाश हुई. गुठान की जमीन को चिन्हित किया गया और उस जमीन को अनुपयोगी करार देते हुए वहां से भी सीएम राइस स्कूल बनने का सपना अधूरा रह गया. आनन-फानन में में तीसरी जगह टीलाखेड़ी की जगह चिंहित की गई. नपती हो गई ड्राइंग बन गई. उम्मीद थी कि यहां बच्चों के सपनों को उड़ान मिल सकेगी. लेकिन संपर्क मार्ग न मिलने के कारण यहां से भी जगह में बदलाव किया जा रहा है.

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हर बार नक्शा, हर बार सर्वे, लाखों रुपए खर्च

सीएम राइज स्कूल के निर्माण के पहले एजेंसी द्वारा सर्वे और ड्राइंग आदि पर एक बार में 5 लाख रुपए तक का खर्च आता है. सूत्रों का कहना है कि तीन बार यह कार्य कराया जा चुका है. इस प्रकार से सरकारी राशि का उपयोग फिजूल खर्ची में हो रहा हैं.

15 से 20 किलोमीटर के दायरे वाले बच्चे पढ़ेंगे

शिक्षा विभाग द्वारा सीएम राइज योजना के तहत शासकीय स्कूलों को रजिस्टर किया गया है. इन स्कूलों में प्री नर्सरी से हायर सेकेंडरी कक्षा 10वीं एवं 12वीं तक की कक्षाएं उपलब्ध होंगी. दोनों माध्यम की शिक्षा प्रणाली हिंदी और अंग्रेजी इन स्कूलों में उपलब्ध होगी. आधुनिक उच्च दक्षता वाले शिक्षक सीएम राइस योजना स्कूल में नियुक्त किए जाएंगे. 15 से 20 किलोमीटर के अंतर पर रहने वाले बच्चे इन स्कूलों में पढ़ेंगे. सीएम राइज योजना के तहत बनने वाले स्कूल में बैंकिंग काउंटर, स्विमिंग पूल, डिजिटल स्टूडियो, कैफेटेरिया, जिम, थिंकिंग एरिया आदि सुविधाओं का भी समावेश शामिल है.

स्कूल विभाग के अधिकारी का क्या कहना है?

जिला शिक्षा अधिकारी आरके ठाकुर का कहना है कि सीएम राइज के लिए जगह तलाशी जा रही है. अभी जिन स्थानों पर जगह चिंहित की गई थी,वह जगह उपयुक्त नहीं पाई गई। संभवत: शीघ्र जगह उपलब्ध हो जाएगी.

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