CM Mohan Yadav! आपके शहर में खुले में नाली के किनारे पढ़ने और Mid Day Meal खाने को मजबूर हैं स्टूडेंट

Ujjain News: स्कूल के शिक्षक ने कहा कई बार वादे किए गए. दो बार विधानसभा और दो बार लोकसभा के चुनाव हो गए, लेकिन वर्षों से इसी तरह स्कूल की दुर्दशा बनी हुई है. बच्चे बाहर बड़ी नाली के पास पढ़ रहे, वहीं रोजाना मध्याह्न भोजन भी करते हैं. छात्रों ने बताया कि बारिश और तेज धूप में सबसे ज्यादा परेशानी होती है. एक रूम में इतने बच्चे बैठते हैं कि बैग रखने की भी जगह नहीं होती है.

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Ujjain School Ground Report: मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) के गृहनगर में मासूम बच्चों के स्कूल के क्या हाल हैं? यह देख़ना हो तो जवाहर नगर के शासकीय (Government School) प्राथमिक स्कूल (Primary School) में देख सकते हैं. पांचवीं तक के इस स्कूल में 60 बच्चे के उपयोग के लिए सिर्फ एक कमरा है. नतीजतन दो क्लास छोटे से कमरे में लग रही है, वहीं तीन क्लास के बच्चे नाली के किनारे पेड़ के नीचे खुले में पढ़ने को मजबूर है. यहां के दृश्य विकास के खोखले दावाें को दिखाने के लिए पार्यप्त हैं. NDTV की टीम ने यहां जाकर पड़ताल की, जिसमें कई जानकारी समाने निकलकर आयी हैं.

शहर से सीएम बने तो जगी उम्मीदें  

जवाहर नगर स्थित कुशाभाऊ ठाकरे शासकीय विद्यालय में पहली से पांचवीं तक 60 बच्चे पड़ते है. यहां सिर्फ पहली और दूसरी के बच्चे क्लास में पड़ते है. वहीं कक्षा 3-4 और 5वीं के विधार्थी नाले के किनारे पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं.

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शिक्षिका निहारिका कोठरी ने बताया कि 2015 से स्कूल इसी तरह आभाव में संचालित हो रहा है. अभी एडमिशन खुले हैं. बच्चे एडमिशन के लिए आ भी रहे हैं, लेकिन हमें मना करना पड़ रहा है.

सबसे ज्यादा परेशानी बारिश और धूप से होती है. इतने बच्चे बिठाये कहां पर? समझ नहीं आता है. जब भी बारिश जैसा लगता है तो हम बड़े बच्चों को बिठा लेते हैं और छोटे बच्चों को घर भेज देते है. डीओ ने भी कई बार भोपाल तक कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ. 

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टीचर आगे कहती हैं कि अब सीएम हमारे शहर के ही हैं तो उम्मीद जगी है कि इसी खाली पड़ी जगह पर स्कूल बनकर तैयार हो जाए, जिससे पिछले 10 वर्षों से ऐसे चल रहे स्कूल में सुधार हो जाये और बच्चों का भविष्य बन सके.

वादों के बीच निकल गए विधानसभा और लोकसभा चुनाव

स्कूल के शिक्षक ने कहा कई बार वादे किए गए. दो बार विधानसभा और दो बार लोकसभा के चुनाव हो गए, लेकिन वर्षों से इसी तरह स्कूल की दुर्दशा बनी हुई है. बच्चे बाहर बड़ी नाली के पास पढ़ रहे, वहीं रोजाना मध्याह्न भोजन भी करते हैं. छात्रों ने बताया कि बारिश और तेज धूप में सबसे ज्यादा परेशानी होती है. एक रूम में इतने बच्चे बैठते हैं कि बैग रखने की भी जगह नहीं होती है.

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कुशाभाऊ ठाकरे विद्यालय में एक कमरे में स्कूल का सामान रखा है और दूसरे में 10x10 के कमरे में कार्यालय और कक्षा लगती है. यहां बच्चे 60 रजिस्टर्ड हैं. हर दिन औसतन 50 से अधिक विद्यार्थियों की उपस्थिति रहती है. यहां दो शिक्षिकाओं के लिए दो टेबल, दो कुर्सी के अलावा कुछ नहीं है. बच्चे जमीन पर बैठते है. स्कूल में शौचालय तक नहीं है.

ऐसे में बच्चे खुले में शौच करने जाते है. आसपास कॉलोनी होने से काफी दिक्कत होती है. सबसे ज्यादा दिक्कत महिला टीचर और छात्राओं को होती है.

बरसात में नाला उफान आने पर पानी बाहर भर जाता है और मवेशी भी घूमते रहते हैं. कक्ष की छत रिसती है. कमरे में सीलन बनी हुई है.

जमीन को लेकर विवाद, निर्माण अधर में

शासकीय प्राथमिक कुशाभाऊ ठाकरे विद्यालय जवाहर नगर के लिए राशि आवंटन के बाद भवन का निर्माण प्रारंभ हो गया था. निर्माण कुछ हाइट तक ही हुआ था क़ि पुलिस विभाग की आपत्ति आ गई.

जवाहर नगर उज्जैन विकास प्राधिकरण की योजना में निर्मित है. जिसमें पुलिस चौकी के साथ प्राथमिक विद्यालय सह वाचनालय के लिए जमीन आरक्षित है. जिला शिक्षा केंद्र द्वारा जमीन की पड़ताल किए बगैर स्कूल भवन का निर्माण प्रारंभ कर दिया. इस पर आपत्ति आ गई और भवन निर्माण को रोकना पड़ गया. इसके बाद भी किसी ने कोई सुध नहीं ली है.

10 वर्षों से रेंग रही है प्रक्रिया

शिक्षा विभाग के एडीपीसी गिरीश तिवारी ने बताया कि मिडिल स्कूल में अभी एक रूम में स्कूल संचालित हो रहा है. दरअसल वहां थाना बनाना था जिसके चलते स्कूल बनाने पर रोक लगी थी. अभी कुछ दिन पहले ही कलेक्टर साहब ने विभागीय समीक्षा बैठक में निर्देशित किया है कि एसपी साहब से बात हो गई है और अब उस जगह पर स्कूल बनाने के लिए जमीन मिल जाएगा. प्रक्रिया चल रही है, नगर निगम इसकी एजेंसी है और जल्द ही निगम ही इस स्कूल को बनवाएगा.

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