Child Marriage: पंद्रह साल की नाबालिग ने शादी नहीं करने पर दी भागने की धमकी.....प्रशासन ने रोका बाल विवाह

MP News: इंदौर प्रशासन को एक पंद्रह साल की नाबालिग का बाल विवाह रुकवाने में कामयाबी मिली है. नाबालिग का बाल विवाह एक 27 साल के व्यक्ति से किया जा रहा था.

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Child Marriage: (प्रतीकात्मक फोटो)
इंदौर (मध्यप्रदेश):

Indore Administration Stopped Child Marriage: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) में प्रशासन ने वक्त रहते 15 साल की एक नाबालिग लड़की का बाल विवाह रुकवा (Stopped Child Marriage) दिया. प्रशासन को यह सफलता रविवार देर रात मिली. जहां एक नाबालिग बेटी की शादी एक 27 वर्षीय व्यक्ति से होने वाली थी. प्रशासन (Indore Administration) के एक अधिकारी ने सोमवार को कि समय रहते बाल विवाह रुकवा दिया गया है. बाल विवाह के खिलाफ महिला और बाल विकास विभाग के उड़नदस्ते के प्रभारी महेंद्र पाठक ने बताया कि इंदौर के एमआईजी क्षेत्र में 15 वर्षीय लड़की की गुजरात के अहमदाबाद के 27 वर्षीय व्यक्ति से रविवार देर रात शादी होने वाली थी.

उन्होंने बताया, "मुखबिर की जानकारी पर हमारा उड़नदस्ता जब मौके पर पहुंचा, तो मंडप सजा हुआ था और पुरोहित ने फेरों की तैयारी कर ली थी. दूल्हे की मौसी ने पहले हमें गुमराह करने का प्रयास करते हुए कहा कि उनके समुदाय में सगाई की रस्म इसी तरह से मंडप सजाकर पूरी की जाती है.''

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इंस्टाग्राम के जरिए हुई थी दोस्ती

पाठक ने बताया कि उड़नदस्ते ने जब वर-वधू के परिजनों से सख्ती के साथ पूछताछ की, तो उन्होंने स्वीकार किया कि यह मंडप विवाह के लिए ही सजाया गया था. उड़नदस्ता प्रभारी ने बताया कि वर-वधू के परिजनों को कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देकर लड़की का बाल विवाह रुकवा दिया गया. उन्होंने बताया कि इंदौर की नाबालिग लड़की और अहमदाबाद के व्यक्ति की दोस्ती इंस्टाग्राम के जरिए हुई थी जो बाद में प्यार में बदल गई थी.

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शादी नहीं होने पर दी थी भागने की धमकी

पाठक ने बताया, 'वर-वधू के परिजनों का कहना है कि इस जोड़े ने उन्हें धमकी दी थी कि अगर उनका ब्याह नहीं कराया गया, तो वे घर से भागकर शादी कर लेंगे. परिजनों के मुताबिक इस धमकी के चलते वे बिना शुभ मुहूर्त के उनका ब्याह करा रहे थे.'' बता दें कि देश में 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के और 18 साल से कम आयु की लड़की की शादी बाल विवाह की श्रेणी में आता है. बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के तहत दोषी को दो साल तक के सश्रम कारावास या एक लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों सजाओं का प्रावधान है.

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