प्रसव के दौरान हो गई थी महिला की मौत, परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए किया हंगामा

Chhatarpur News: अस्पताल की लापरवाही की वजह से 10 जून को एक महिला की जान चली गई थी. बुधवार को मृतक महिला के परिवार ने यहां हंगामा करते हुए प्रेमरूपा नर्सिंग होम के प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए इसे बंद कराने की मांग उठाई.

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Chhatarpur News: अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से गई एक जान

Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के छतरपुर (Chhatarpur) के सागर रोड शांतिनगर कॉलोनी में स्थित प्रेमरूपा नर्सिंग होम में बुधवार को शाम के वक्त जमकर हंगामा हुआ. दरअसल 10 जून को इसी नर्सिंग होम में एक गर्भवती महिला अर्चना मिश्रा का प्रसव कराया गया था. प्रसव के दौरान कथित रूप से लापरवाही बरतने और महिला को ऑपरेशन थिएटर से हालत बिगड़ने पर रेफर किए जाने के दौरान उसकी जान चली गई थी. बुधवार को अर्चना मिश्रा के परिवार ने यहां हंगामा करते हुए प्रेमरूपा नर्सिंग होम के प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए इसे बंद कराने की मांग उठाई.

अस्पताल प्रबंधक ने कहा नार्मल डिलवरी का है प्रयास

दरअसल छतरपुर के अमानगंज मोहल्ले में रहने वाले संदीप मिश्रा की पत्नि अर्चना मिश्रा को 10 जून को प्रेमरूपा नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था. अर्चना मिश्रा के देवर अभिलाष मिश्रा ने बताया कि जब हम नर्सिंग होम आए तब प्रसव का समय अधिक हो जाने के कारण ऑपरेशन से डिलेवरी कराने के लिए ही आए थे. यहां प्रबंधन के द्वारा हमें बताया गया कि हम नार्मल डिलेवरी का प्रयास कर रहे हैं और फिर दो घंटे बाद अचानक महिला और शिशु को मरणासन्न हालत में अस्पताल से बाहर स्ट्रेचर पर रख दिया गया.

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अस्पतालों में नहीं है कोई स्थाई चिकित्सक

अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि इसे झांसी ले जाना पड़ेगा. हम लोग महिला और शिशु को लेकर झांसी निकले कि तभी रास्ते में महिला ने दम तोड़ दिया और इसी के साथ उसके पेट में मौजूद बच्चे की भी जान चली गई. अभिलाष मिश्रा के परिवार ने बुधवार को नर्सिंग होम के बाहर पहुंचकर जमकर हंगामा करते हुए आरोप लगाए हैं कि इस अस्पताल में हमेशा मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ होता है. इमरजेंसी सुविधा के बिना रिहायशी इलाके में संचालित नर्सिंग होम दुकानों और मकानों में चलने वाले ज्यादातर अस्पतालों में कोई स्थाई चिकित्सक नही हैं. जरूरत पड़ने पर ही डाक्टर बुलाए जाते हैं फिर मरीजों की देखभाल अप्रशिक्षित स्टाफ के भरोसे रहती है. ऐसे में कभी मरीज की हालत बिगड़ने पर मरीज की जान तक चली जाती है. 

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