Chhatarpur: जिला अस्पताल का फायर सेफ्टी सिस्टम एक्टिव नहीं, 15 निजी अस्पताल सिर्फ वेंटीलेशन के भरोसे

Chhatarpur News: कुछ निजी हॉस्पिटलों में आग बुझाने के लिए सिर्फ धुंआ के वेंटिलेशन लगाए गए हैं. वहीं अस्पताल के पास जो एनओसी है, उसका भी समय निकल गया है, लेकिन अस्पताल संचालकों ने अबतक नई एनओसी नहीं ली है.

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MP News in Hindi: झांसी अस्पताल में हुए अग्निकांड के बाद प्रशासन ने मध्य प्रदेश के छतरपुर के अस्पतालों में फायर सिस्टम एक्टिव कराने को लेकर कवायद शुरू कर दी है. नगर पालिका ने 26 निजी अस्पतालों को नोटिस भेजकर फायर प्लान तैयार व फायर ऑडिट कराने के लिए आदेश दिया है. दरअसल, जिला मुख्यालय पर स्थित 26 अस्पतालों में से 15 निजी अस्पताल संचालकों द्वारा फायर की एनओसी और ऑडिट भी नगर पालिका से नहीं ली गई है. यह बिना फायर एनओसी के ही संचालित हो रहे हैं. वहीं जिन अस्पतालों के पास फायर एनओसी है उनके द्वारा फायर सिस्टम एक्टिव नहीं किया गया है.

यह नोटिस सरकारी जिला अस्पताल, अपना नर्मदा हॉस्पिटल, मिशन हॉस्पिटल, परी हॉसिपटल, प्रेमरूपा, चौहान हॉस्पिटल, चौबे हॉस्पिटल सहित 26 अस्पताल के नाम नोटिस जारी किया गया है.

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फायर सिस्टम लगने के बाद से अब तक नहीं हुआ ऑडिट

वहीं अस्पतालों में लगे फायर सिस्टम में तमाम प्रकार की कमियां होने से फायर प्लॉट ऑडिट नहीं हो सका है, जबकि नियमानुसार हरसाल फायर प्लान का ऑडिट होना जरूरी है, ताकि समय पर मेंटेनेंस हो सके.  इसके लिए कंसलटेंट एजेंसियां भी अधिकृत की गई है, लेकिन बार-बार नोटिस भेजने के बाद भी इन अस्पतालों में फायर सिस्टम एक्टिव नहीं हो सका है.

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शहर में स्थित जिला अस्पताल पांच मंजिला भवन में संचालित है. वहीं अस्पताल के गेट पर लगे फायर सिस्टम बॉक्स में रजिस्टर और चाबियां रखी जाती है.  यहां फायर सिस्टम लगने के बाद से इसे ऑडिट नहीं कराया गया है.

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दो साल पहले कंसलटेंट एजेंसी ने अस्पताल का निरीक्षण कर कई प्रकार की कमियां अस्पताल प्रबंधन को गिनाई
थी, जिसे आज तक सुधारा नहीं किया गया. इसमें पानी के हॉज से सप्लाई के लिए डाले गए पाइप लाइन का सही तरीके से कनेक्शन न होना, आगजनी के लिए बनाए गए प्वाइंटों पर मेंटेनेंस कार्य न होना है. लगाए गए हूटर सही तरीके से काम न करना जैसी अन्य कमियां पाई गई थी, जिसे अब तक सुधार नहीं किया.

फायर सिस्टम बॉक्स क्षतिग्रस्त हालात में

इससे साफ जाहिर होता है कि अस्पताल में सिर्फ कागजी कार्रवाई के लिए ही फायर सिस्टम लगाया गया है. ऐसे में आगजनी जैसी घटना होने से आग पर कंट्रोल कर पाना मुश्किल है. वहीं जिला अस्पताल के मुख्य गेट के बगल में लगा फायर सिस्टम बॉक्स क्षतिग्रस्त हालात में है. यह बॉक्स अस्पताल में लगे सिक्योरिटी गाडों के रजिस्टर रखने और अस्पताल की विभित्र चाबियां रखने के काम आ रहा है. दूसरी ओर बाहर दीवार में लगे एक बॉक्स से पूरा फायर सिस्टम ही गायब है.

इसी तरह कुछ निजी हॉस्पिटलों में आग बुझाने के लिए सिर्फ धुंआ के वेंटिलेशन लगाए गए हैं. साथ ही उनके पास जो एनओसी है. उसका भी समय निकल गया है, लेकिन अब तक अस्पताल संचालकों ने नई एनओसी नहीं ली.

जिला अस्पताल सहित 26 निजी अस्पतालों को नोटिस

नगर पालिका ने 26 निजी अस्पतालों को नोटिस भेजकर फायर प्लान तैयार और फायर ऑडिट कराए जाने के लिए अग्निशमन प्राधिकारी को सूचित करने के लिए निर्देश दिया था, लेकिन ये आदेश सिर्फ कागजों तक सीमित रह गया और अब तक की गई कार्रवाई से इस कार्यालय को अवगत नहीं कराया है. 

बता दें कि नोटिस में साफ कहा गया था कि दो माह बीत जाने के बाद भी फायर प्लान तैयार नहीं किया गया तो विलंब समय के लिए प्रतिदिन 500 की दर से दंड आरोपित किया जाएगा, जो एक वर्ष बाद 1 हजार रुपये की दर से देय हो गया है.

जिला अस्पताल में पाइप लाइन का काम अधूरा

जिला अस्पताल में पाइप बिछाने का काम पूरा करने के लिए भोपाल से टेंडर प्रक्रिया हुई थी.और हैदराबाद की कंपनी को कार्य करना था, लेकिन निर्माण कंपनी के ठेकेदार ने अब तक कार्य को पूरा नहीं किया है. वहीं ठेकेदार के द्वारा पाइप लाइन बिछाने में लापरवाही बरतने के कारण वाडों में बने शौचालय और पेशाब घर में सप्लाई और निकासी के लिए लगाई गई लाइन आए दिन चोक होती है.

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