महाअष्टमी पर 24 खंबा मंदिर में लगा मदिरा का भोग, इतनी दूरी तक लगेगी शराब की धार, कब से है परंपरा?

Chaitra Navratri Ashtami 2024: ऐसी मान्यता है कि सम्राट विक्रमादित्य (Samrat Vikramaditya) के शासनकाल के दौरान नगर पर महामारी आई थी. इस पर विक्रमादित्य ने 24 खंबा माता मंदिर पर शारदीय नवरात्र के अष्टमी के दिन मदिरा का भोग लगाते हुए बली चढ़ाकर माता जी को प्रसन्न करते हुए आपदा से मुक्ति की प्रार्थना की थी तभी से शारदीय नवरात्रि में यह परंपरा चली आ रही है. लेकिन कोरोना काल में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज बीमारी से मुक्ति के लिए चैत्र नवरात्रि में यह पूजन शुरु करवाया है.

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Chaitra Navratri 2024 Maha Ashtami: चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी पर मंगलवार 16 अप्रैल को महाकाल (Mahakal) की नगरी उज्जैन में सुबह 24 खंबा माता मंदिर (Shri 24 Khamba Mata Temple, Ujjain) से नगर पूजा शुरू हुई. यहां श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा के साधू-संतों (Sadhu-Sant) ने महामाया (Mahamaya Mata) और महालाया (Mahalaya Mata) माता को मदिरा (Alcohol) का भोग लगाकर पूजन किया. इसके बाद यहीं से परंपरा अनुसार 27 किलोमीटर तक नगर परिक्रमा कर शराब (Liquor) की धार लगना शुरू किया गया. कोरोना काल (Covid-19) महामारी (COVID-19 Pandemic) के दौरान चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri) की अष्टमी (Durga Ashtami) पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज ने 24 खंबा माता मंदिर में महामाया और महालया माता को मदिरा चढ़ाकर प्रकोप से मुक्ति के लिए प्रार्थना की थी. तभी से चैत्र की नवरत्रि में भी यह परम्परा शुरु हो गई. यही वजह है कि अष्टमी पर्व पर मंंगलवार सुबह निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर साध्वी मंदाकिनी पुरी संतों के साथ महामाया और महालाया माता मंदिर में माता पूजन कर अपने हाथों से मदिरा अर्पित की. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी मौजूद रहे. इसी के साथ नगर पूजा शुरू हुई जो रात तक चलेगी.

शरदीय नवरात्रि में कलेक्टर लगाते हैं मदिरा का भोग : Navratri Bhog

उज्जैन के इस मंदिर में शारदीय नवरात्रि में प्रति वर्ष कलेक्टर (Ujjain Collector) माता को मदिरा का भोग लगाते हैं और पटवारी मदिरा की धार लगाते हुए नगर परिक्रमा करते हैं. वहीं इस बार फिर चैत्र नवरात्रि में देवी और भैरव मंदिरों में मदिरा की धार देखने को मिल रही है.

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24 खंबा माता मंदिर पर पूजन के बाद परंपरा अनुसार साधू-संत भक्तों के साथ ढोल-बैंड (Band) के साथ 27 किलोमीटर मार्ग में मदिरा को हांडी में लेकर निकले. यात्रा मार्ग पर चामुंडा माता, भूखी माता, काल भैरव, चंडमुंड नाशिनी सहित 40 देवी, भैरव (Kaal Bhairav Temple) व हनुमान (Hanuman Mandir) मंदिरों में पूजा करेंगे. माताजी और भैरवजी को मदिरा का भोग लगाकर हनुमान मंदिरों में ध्वजा अर्पित की जाएगी. यात्रा का समापन लगभग रात 8 बजे अंकपात मार्ग स्थित हांडी फोड़ भैरव पर होगा.

सम्राट विक्रमादित्य ने शुरू की थी परंपरा

ऐसी मान्यता है कि सम्राट विक्रमादित्य (Samrat Vikramaditya) के शासनकाल के दौरान नगर पर महामारी आई थी. इस पर विक्रमादित्य ने 24 खंबा माता मंदिर पर शारदीय नवरात्र के अष्टमी के दिन मदिरा का भोग लगाते हुए बली चढ़ाकर माता जी को प्रसन्न करते हुए आपदा से मुक्ति की प्रार्थना की थी तभी से शारदीय नवरात्रि में यह परंपरा चली आ रही है. लेकिन कोरोना काल में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पुरी महाराज बीमारी से मुक्ति के लिए चैत्र नवरात्रि में यह पूजन शुरु करवाया है.

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