
Blood Donation Record in Rewa: मध्य प्रदेश के रीवा में ऐतिहासिक ब्लड डोनेशन कैंप का रविवार को आयोजन किया गया. शहर के इतिहास में यह पहली बार है, जब 550 से ज्यादा लोगों ने एक साथ ब्लड डोनेट किया. दरअसल, मौका था इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मोहम्मद (PBUH) के जन्मदिन का. इस मौके पर कुछ लोग संजय गांधी अस्पताल पहुंचे. वहां थैलेसीमिया के 181 बच्चे नजर आए, जिनको ब्लड की सख्त जरूरत थी. बस फिर क्या था, सभी तय किया कि इस बार मुस्लिम समाज ईद मिलादुन्नबी के मौके पर ब्लड डोनेशन कैंप लगाएगा. लिहाजा, कृष्णा राज कपूर ऑडिटोरियम में रविवार को ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया गया, जहां 550 से ज्यादा लोगों ने ब्लड डोनेशन करके रीवा में इतिहास रच दिया.
526 का रिकॉर्ड तोड़कर बनाया नया रिकॉर्ड
इसके पहले यह रिकॉर्ड तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा के समय 526 लोगों के ब्लड डोनेशन का था. तब पूरे प्रशासन से सहयोग लेने के बाद 500 से ज्यादा का आंकड़ा बमुश्किल छुआ था, जिसे रविवार को अवाम फाउंडेशन ने तोड़ दिया. प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने भी ब्लड डोनेशन कैंप पहुंचकर इस तरह की सराहनीय पहल और गंगा जमुनी तहजीब की सराहना की. वहीं, दूसरी ओर सीएमएचओ रीवा संजीव शुक्ला और उनकी टीम सुबह से ही ब्लड डोनेशन कैंप में मौजूद रही. खबर लिखे जाने तक यह सिलसिला लगातार जारी था.
उम्मीद से ज्यादा लोग पहुंचे
रीवा के कृष्णा राज कपूर ऑडिटोरियम में रविवार को सुबह 8:00 बजे से ही ब्लड डोनेशन कर का सिलसिला शुरू हो गया, जो शाम को 6:00 बजे के बाद भी लगातार जारी था. डॉक्टरों की टीम दिनभर ब्लड निकालने में जुटी रही. लगातार यह सिलसिला जारी रहा. ब्लड निकलने के लिए लगभग 20 बिस्तर लगाए गए थे, जो सुबह से लेकर शाम तक लगातार भरे रहे. दरअसल, प्रशासन सहित किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि इतनी बड़ी तादाद में मुस्लिम समाज के लोग ब्लड देने पहुंचेंगे.
ऐसे मिली प्रेरणा
दरअसल, संजय गांधी अस्पताल में 181 थैलेसीमिया के मरीजों को देखकर और उनकी बातें सुनकर पूरे मुस्लिम समाज के बच्चों ने तय किया था कि इस बार हमें मोहम्मद साहब (PBUH) के जन्मदिन के मौके पर उन बच्चों की मदद करनी है, जो खून के अभाव में असमय ही अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं.
उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने की सराहना
समाज के इस पहल की प्रदेश के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने भी गंगा जमुनी तहजीब बताते हुए सराहना की. उन्होंने कहा कि ब्लड किसी की जान बचाता है, आपका दिया हुआ ब्लड नहीं देखता कि हम हिंदू की जान बचा रहे हैं, या मुसलमान की. इससे बड़ी समाज सेवा का काम दूसरा नहीं हो सकता. वहीं, दूसरी ओर लड़कों ने भी इस बार तय किया था कि हम इतिहास रचेंगे. 526 से ज्यादा लोग हर हालत में ब्लड डोनेशन देंगे, जिसे हकीकत में बदल दिया गया.
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खबर लिखे जाने तक 550 से ज्यादा लोग ब्लड दे चुके थे. वहीं, दूसरी ओर कुछ संगठन इस मौके पर नशा मुक्ति का संदेश देते भी नजर आए.
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