Lokayukta Notification: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के नए लोकायुक्त जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह (Justice Satendra Kumar Singh) की नियुक्ति को लेकर 9 मार्च की रात को अधिसूचना (Notification) जारी की गई थी. नियुक्ति की अधिसूचना जारी होने के बाद से ही यह नियुक्ति विवादों में घिरती हुई दिखाई दे रही है. मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष (Leader of Opposition) उमंग सिंघार (Umang Singhar) ने प्रेस विज्ञप्ति (Press Release) जारी करते हुए इस नियुक्ति की अधिसूचना को अवैध बताया. नेता प्रतिपक्ष ने इसको निरस्त करने की मांग भी की है. उनका कहना है कि लोकायुक्त की नियुक्ति नियमानुसार हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) सहित नेता प्रतिपक्ष से परामर्श लेने के बाद की जाती है. लेकिन, उनसे कोई परामर्श नहीं लिया गया.
'नियुक्ति की प्रक्रिया अवैध'
मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि सरकार द्वारा एक नाम पर अपना अंतिम निर्णय लेकर लोकायुक्त नियुक्ति की अधिसूचना जारी की गई है. इसके लिए नेता प्रतिपक्ष से कोई परामर्श नहीं लिया गया. सरकार ने लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए विधि संगत प्रक्रिया ना अपनाकर अवैध तरीका अपनाया है.
'अपने दायित्व निभाऊंगा'
उमंग सिंघार ने आगे लिखा कि 'नेता प्रतिपक्ष के रूप में सरकार द्वारा किए गए उपरोक्त अवैध काम पर मेरी मौन स्वीकृति जनतंत्र एवं जनहित में नहीं होगी. नेता प्रतिपक्ष के रूप में मध्य प्रदेश की जनता के प्रति मेरे जो भी दायित्व हैं, उनके प्रति मैं प्रतिबद्ध हूँ.'
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क्या है नियुक्ति का मामला?
बता दें कि वर्तमान में जस्टिस एन. के. गुप्ता मध्य प्रदेश के लोकायुक्त है. लोकायुक्त का कार्यकाल 6 साल का होता है. वर्तमान लोकायुक्त का कार्यकाल अक्टूबर 2023 में समाप्त हो चुका है. इसको लेकर पिछले महीने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पटवारी ने एक प्रेसवार्ता कर सरकार से सवाल भी पूछा था कि नए लोकायुक्त की नियुक्ति कब होगी. जीतू पटवारी ने जमकर आरोपों की झड़ी लगाई थी.
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