
Cough Syrup Case: मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ सिरप से हुई बच्चों की मौत के बाद एक और बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. इस मामले में एक बात सामने आई है कि दो साल पहले जो कफ सिरप फॉर्मूला बैन हुआ था, वह अब भी बाजार में उपलब्ध था. जिसे पीने से मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत हुई है.
केंद्र सरकार ने जारी किया था आदेश
18 दिसंबर 2023 को केंद्र सरकार ने एक आदेश जारी किया था. जिसमें ये कहा गया था कि 4 साल से छोटे बच्चों को क्लोरफेनिरामाइन मेलिएट 2 mg और फिनाइलफ्राइन एचसीएल 5mg वाले सिरप न दिए जाएं. इन सिरप का फायदा कम और नुकसान ज्यादा पाया गया. दवा के लेबल पर चेतावनी लिखने को भी अनिवार्य किया गया था. लेकिन आदेश के बाद भी पालन नहीं हुआ. दवा कंपनियों ने लेबल नहीं बदले. इतना ही नहीं राज्य सरकारें भी इस मामले में गंभीर नहीं हुईं और रोक नहीं लगाई गई. न ही कोई जागरूकता अभियान चलाया गया. इसके परिणामस्वरूप मध्य प्रदेश में 16 से ज्यादा बच्चों की मौत “कोल्ड्रिफ सिरप” से हुई.
इस सिरप में वही बैन फॉर्मूला (पेरासिटामोल + क्लोरफेनिरामाइन + फिनाइलफ्राइन) था. बोतल पर कोई चेतावनी नहीं लिखी थी.केंद्र ने पहले ही फाइल नंबर 04-01/2022-डीसी से इस फॉर्मूले पर बच्चों में रोक लगाई थी. जांच में पाया गया कि दवा पर चेतावनी लेबल नहीं था, जिससे टीमें भी चौंक गईं.
गांबिया कफ सिरप घटना के बाद केंद्र ने कहा था कि हर कंपनी को WHO-GMP प्रमाण पत्र (गुणवत्ता प्रमाण) लेना होगा.देश में कुल 5308 एमएसएमई दवा कंपनियां हैं.इनमें से 3838 कंपनियों ने प्रमाण पत्र लिया.1470 कंपनियों ने अब तक आवेदन भी नहीं किया.
नहीं मिला जीएमपी प्रमाण पत्र
मध्य प्रदेश में कफ सिरप बेचने वाली श्रीसन फार्मा कंपनी के पास भी जीएमपी प्रमाण पत्र नहीं मिला. फिर भी यह कंपनी जेनेरिक दवाएं बनाकर बेच रही थी. CDSCO की जांच में श्रीसन फार्मा की फैक्ट्री में डीईजी के बिना बिल वाले कंटेनर मिले.यह केमिकल बहुत जहरीला होता है.नियम के अनुसार सिरप में 0.1% तक ही डीईजी मिलाया जा सकता है.
लेकिन कंपनी 46-48% तक मिला रही थी.फिनाइलफ्राइन एचसीएल एक महंगा केमिकल है. क्लोरफेनिरामाइन काफी सस्ता मिलता है. कंपनी फिनाइलफ्राइन पर खर्च बचाने के लिए डीईजी का इस्तेमाल कर रही थी.
केंद्र ने ऑनलाइन नेशनल ड्रग लाइसेंसिंग सिस्टम ONDLS बनाया है.ये दवाओं, कॉस्मेटिक और चिकित्सा उत्पादों से संबंधित लाइसेंस आवेदनों की प्रक्रिया के लिए एक सिंगल-विंडो प्लेटफॉर्म है.यह सिस्टम सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग CDAC और सीडीएससीओ ने मिलकर बनाया. CAPA पोर्टल भी बनाया गया. ताकि दवा उद्योगों में सुधारात्मक कार्रवाई हो सके. लेकिन इससे अब तक सिर्फ 18 राज्यों ने जुड़े बाकी राज्य निष्क्रिय हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि ब्लड बैंक लाइसेंसिंग में सब राज्य ऑनलाइन हो गए. लेकिन दवाओं के लाइसेंस में नहीं.कुल मिलाकर केंद्र ने दो साल पहले ही चेतावनी और रोक जारी कर दी थी.लेकिन राज्यों की लापरवाही और कंपनियों की गैर-जिम्मेदारी से बच्चों की मौतें हुईं.देश में अब भी 1400 से ज्यादा दवा फैक्ट्रियां बिना गुणवत्ता प्रमाण पत्र के चल रही हैं.
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