भोपाल बना कचरे की राजधानी! शुल्क लेने पर भी नहीं हो रही सफाई, आखिर किस काम के हैं 8500 कर्मचारी?

Bhopal News: वैसे तो भोपाल को देश के बड़े, साफ शहरों में से एक माना जाता है, लेकिन यहां कचरा इतना नजर आ रहा है कि मानो ये कचरे की राजधानी हो.. 

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खाली पड़ा जमीन बना कूड़ादान

Swachh Bharat Mission in Bhopal: स्वच्छता सर्वेक्षण (Cleanliness Survey) में कई सालों से राजधानी भोपाल (Bhopal) को सबसे स्वच्छ राजधानी का खिताब मिलता रहा है... देश भर में स्वच्छता के मामले में पांचवें नंबर पर भोपाल आया है, लेकिन जमीनी तौर पर देखा जाये तो हकीकत कुछ और ही है.. जगह-जगह कचरे का अंबार है और बीमारियों ने जगह बना रखी है.. कई मोहल्लों में खाली जमीन कचरा घर बनी हुई है. ये भी सच्चाई है कि लोग ही कचरा फैला रहे हैं, लेकिन ये भी सच है कि डोर टू डोर कचरा इकठ्ठा करने की रकम वसूलने के बावजूद कचरा नहीं उठया जा रहा है..

अलग-अलग करना है कचरा-दारोगा

स्थानीय लोगों ने कचरा और गंदगी फैलने के बात पर कहा, 'हम दारोगा को इसको लेकर शिकायत कर चुके हैं, लेकिन वो बोलते हैं कि जो नई गाइडलाइंस आई हैं उसके तहत कचरे को अलग-अलग करना है. इसी में सभी कर्मचारी व्यस्त हैं. यहां पर कोई नहीं पहुंच रहा है. ऐसे में यहां दिन भर गंदगी रहती है. हमारे बच्चे बीमारियों से जूझ रहे हैं. हम खुली हवा में सांस तक नहीं ले सकते हैं..'

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कागजों में स्वच्छता अभियान

जिले में 8500 से अधिक सफाई कर्मी सफाई में लगे हैं. कचरा इकठ्ठा करने के लिये 750 से ज़्यादा वाहन हैं. अपर आयुक्त से लेकर वार्डों में सफाई दरोगा काम देखते हैं. फिर भी गंदगी से जुड़ी हर महीने करीब 5 हज़ार शिकायतें दर्ज हो रही हैं. 200 मीट्रिक टन से अधिक कचरा रोज खुले में डंप हो रहा है. स्वच्छता के नाम पर हर साल 500 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. सफाई के नाम पर जनता से भी शुल्क लिया जाता है.

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खुले में कचरा फेंक रहे हैं लोग

रहवासियों ने सड़कों के किनारे कचरा फेंक कर छोटे-छोटे ट्रेचिंग ग्राउंड बना दिए हैं. शिकायतें की जाती हैं, पर निगम नदारद रहता है. लोगों के घरों कचरा नहीं उठाने पर लोग 200 मीट्रिक टन से अधिक कचरा खुले मैदानों में फेंक रहे हैं. ऐसे में शहर को गंदगी मुक्त बनाने का दावा खोखला साबित हो रहा है.

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