'उड़ने' पर मोहन यादव सरकार हर दिन खर्च करती है 9.25 लाख...साल भर में करीब 33 करोड़

MP News: मध्य प्रदेश की मोहन सरकार ने हवाई यात्राओं के लिए 32.85 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. इसकी जानकारी खुद सरकार ने विधानसभा सत्र में दी है.

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Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री,मंत्रियों और अधिकारियों ने एक साल में हवाई यात्राओं पर ₹32.85 करोड़ से खर्च किये हैं.यानी औसतन हर दिन लगभग ₹9.25 लाख रुपये. मध्य प्रदेश सरकार ने विधानसभा में खुलासा किया कि मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव, मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने सरकारी और निजी विमानों का उपयोग करते हुए इस दौरान 666 हवाई यात्राएं की हैं.

कांग्रेस विधायक ने पूछा था सवाल

दरअसल विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल ने मोहन सरकार की हवाई यात्राओं के बारे में सवाल पूछा था. इसके जवाब में सरकार ने हवाई यात्राओं आंकड़ा दिया है.

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विमानन विभाग ने बताया कि जब सरकारी विमान उपलब्ध नहीं होते,तब निजी विमान किराए पर लेने पड़ते हैं, इन यात्राओं में मुख्यमंत्री का कुल उपयोग लगभग 90% है,जबकि अन्य मंत्रियों का उपयोग कम है.   

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428 यात्राएं किराए के विमानों पर और 238 सरकारी विमानों और हेलीकॉप्टरों पर की गईं. किराए के विमानों के उपयोग पर ₹36.39 करोड़ खर्च हुए, जिनमें 222 बार निजी विमान और 97 बार हेलीकॉप्टर किराए पर लिए गए.

क्रैश और उसके बाद का असर

किराए के विमानों पर निर्भरता मई 2021 में ग्वालियर हवाई अड्डे पर मध्य प्रदेश सरकार के C-90 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद शुरू हुई,यह विमान रेमडेसिविर इंजेक्शन पहुंचाने के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. तब से राज्य सरकार नियमित रूप से विमान किराए पर ले रही है और यह व्यवस्था तब तक जारी रहेगी जब तक 234 करोड़ रुपये का नया चैलेंजर 3500 जेट 2026 में नहीं आ जाता. C-90 विमान कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में ₹62 करोड़ में खरीदा गया था, दुर्घटना के बाद बेकार पड़ा है. 

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शिवराज सिंह चौहान सरकार के कार्यकाल में अप्रैल 2020 से मार्च 2023 के बीच, सरकार ने हवाई यात्रा पर प्रति घंटे ₹4 लाख खर्च किए और इस दौरान 1,639 यात्राएं कीं.

मार्च 2023 में कांग्रेस विधायक मेवाराम जाटव ने विधानसभा में सवाल उठाते हुए निजी विमानन कंपनियों को भुगतान किए गए खर्च का ब्यौरा मांगा था. जिसके जवाब में सरकार ने बताया कि इसके लिए उन्हें 36.39 करोड़ का भुगतान किया गया.

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विमान कैसे किराए पर लिए जाते हैं?

मध्य प्रदेश विमानन विभाग विमानों को किराए पर लेने के लिए एक प्रक्रिया का पालन करता है.  निजी विमानन कंपनियों को हर साल एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) के माध्यम से सूचीबद्ध किया जाता है. विमानों को उपलब्धता के आधार पर किराए पर लिया जाता है, जिसमें सूचीबद्ध कंपनियों को प्राथमिकता दी जाती है. मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के लिए आमतौर पर 7-सीटर जेट की मांग की जाती है,यदि यात्रा 8 घंटे से अधिक होती है,तो DGCA के नियमों के अनुसार कंपनी को दूसरा विमान उपलब्ध कराना पड़ता है. यदि किराए पर लिया गया विमान उपयोग में नहीं आता,तो भी कंपनी को कम से कम दो घंटे का किराया दिया जाता है.सरकार के नए विमान की डिलीवरी में अभी दो साल बाकी हैं, और तब तक मध्य प्रदेश सरकार किराए के विमानों पर ₹72 करोड़ अतिरिक्त खर्च करेगी.

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