Bhind News: फूप थाना पुलिस की कथित गुंडागर्दी, हवालात में बर्बर मारपीट और उसके बाद अदालत के आदेश की खुलेआम अवहेलना का गंभीर मामला सामने आया है. घटना को हुए 13 दिन हो चुके हैं, लेकिन पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत के कारण अदालत द्वारा आदेशित पैनल बोर्ड से मेडिकल जांच अब तक नहीं कराई गई. इस लापरवाही पर अब कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए फूप टीआई सतेंद्र राजपूत और जिला अस्पताल के सीएमएचओ डॉ. जे.एस. यादव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. दोनों अधिकारियों को आज अदालत में जवाब देना है.
कैसे शुरू हुआ पूरा विवाद?
घटना 21 नवंबर की शाम की है. सब्जी के ठेले पर खड़े विवेक शर्मा से छोटू जाटव की बाइक टकरा गई. टक्कर लगते ही दोनों सड़क पर गिर पड़े और वहीं विवाद शुरू हो गया. छोटू जाटव को चोट आई, जिसको लेकर विवेक शर्मा और उसके परिजन के बीच कहासुनी हुई. मामला धीरे-धीरे बढ़ा और सड़क पर जाम की स्थिति बन गई.
सादा वेश में पहुंचे आरक्षक से हुई बहस
घटना स्थल पर सादा ड्रेस में पुलिस आरक्षक राहुल राजावत पहुंच गया. इसी दौरान वहां मौजूद एक कथित वसूली कटर (जो पुलिस के नाम पर वाहनों से अवैध वसूली करता है) वीडियो बनाता दिखा. विवेक शर्मा ने उसका मोबाइल छीन लिया. बस इसी बात पर आरक्षक राहुल राजावत भड़क गया. उसने तत्काल पुलिस बल बुलाया और विवेक शर्मा व उसके परिजनों को बीच सड़क पर ही पीटना शुरू कर दिया. महिलाओं ने भी आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उनसे बदसलूकी की, जिससे मौके पर हंगामा बढ़ गया और स्थिति बिगड़ती गई.
रात में घर से उठाकर ले गई पुलिस
रात में पुलिस ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए महिलाओं और बच्चियों को छोड़कर घर में मौजूद विवेक शर्मा, प्रमोद शर्मा, अभिषेक शर्मा, सुरेश शर्मा और दीपक शर्मा को उठा लिया और थाने में हवालात में बंद कर दिया. पीड़ितों का आरोप है कि थाने में कैमरा लगा होने के चलते पुलिस उन्हें टॉयलेट में ले गई और वहां लाठी-डंडों, जूतों और हाथ-पैरों से जमकर पिटाई की. विवेक के भाई प्रमोद शर्मा को इतनी गंभीर चोट आई कि वह कोर्ट में भी ठीक से चल नहीं पा रहा था. दीपक शर्मा को भी गंभीर चोटें बताई गईं. पुलिस की मेडिकल रिपोर्ट में कुल 11 चोटें दर्ज की गईं. साथ ही पीड़ितों ने यह भी बताया कि पुलिस ने धमकाकर उनसे कई कागजों पर हस्ताक्षर करवाए.
एक दिन में दर्ज कर दी तीन एफआईआर
पुलिस ने पांचों पीड़ितों पर एक के बाद एक तीन अलग-अलग FIR दर्ज कर दीं, और उन्हें मामले में आरोपी बनाकर अगले दिन कोर्ट में पेश किया. भिंड कोर्ट में पेशी के दौरान प्रमोद शर्मा और दीपक शर्मा दोनों भाइयों ने जज को बताया कि उन्हें हवालात में बर्बरता से पीटा गया है.
कोर्ट ने पुलिस मेडिकल रिपोर्ट को अमान्य माना
पीड़ितों की चोटों को देखकर कोर्ट ने पुलिस द्वारा कराई गई मेडिकल रिपोर्ट को संदिग्ध और अमान्य मानते हुए पैनल मेडिकल बोर्ड से दोबारा मेडिकल कराने का आदेश दिया. कोर्ट ने तमाम आरोपों को देखते हुए सभी आरोपियों को मौके से ही जमानत दे दी. यह आदेश मिलते ही पुलिस और स्वास्थ्य विभाग दोनों में हलचल मच गई, क्योंकि पैनल मेडिकल होने पर गंभीर चोटों का खुलासा होना तय था.
13 दिन बाद भी नहीं कराया मेडिकल; अब कोर्ट की सख्ती
कोर्ट के आदेश के बाद 2 दिसंबर को स्वास्थ्य विभाग को मेडिकल कराने के लिए पत्र लिखा. लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने बहाना बनाते हुए कहा कि हड्डी रोग विशेषज्ञ छुट्टी पर है, इसलिए मेडिकल नहीं कराया जा सकता. यह कहकर विभाग ने पत्र वापस कर दिया. नतीजा—मेडिकल आज तक नहीं हो पाया. अब 13 दिन बाद भी आदेश का पालन न होने पर कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए फूप टीआई सतेंद्र राजपूत और सीएमएचओ जे.एस. यादव को नोटिस थमाया और दो दिन में जवाब देने का निर्देश दिया. दोनों अधिकारी आज कोर्ट में अपना जवाब दाखिल करने जा रहे हैं.
कोर्ट के आदेश से पुलिस और स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप
जैसे-जैसे मामला तूल पकड़ रहा है, पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही उजागर होती जा रही है. पुलिस को डर था कि पैनल बोर्ड की सटीक रिपोर्ट आने पर हवालात में हुई मारपीट की हकीकत सामने आ जाएगी. इसी कारण आदेश होने के बावजूद मेडिकल परीक्षण टालने का आरोप दोनों पर लग रहा है.
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