वनखंडेश्वर महादेव मंदिर का सुलझा विवाद, पुजारियों को लेकर हाईकोर्ट ने सुनाया ये फैसला

मंदिर के पुराने पुजारी राजकुमार शर्मा ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं, लेकिन उनका पक्ष सही तरीके से नहीं रखा गया. अब अगली सुनवाई में वे अपना जवाब प्रस्तुत करेंगे.

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Vankhandeshwar Mahadev Temple : भिंड (Bhind) शहर के प्रसिद्ध वनखंडेश्वर महादेव (Vankhandeshwar Mahadev) मंदिर के पुजारियों के विवाद पर ग्वालियर हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मंदिर के वर्तमान पुजारियों की नियुक्ति को शून्य घोषित कर दिया है और नए सिरे से पुजारियों की नियुक्ति करने का आदेश दिया है. अब ये नियुक्ति मध्य प्रदेश सरकार के कानून के अनुसार होगी. जानकारी के लिए बता दें कि वनखंडेश्वर महादेव मंदिर लगभग 800 साल पुराना है. इसका निर्माण 11वीं सदी में सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने कराया था. यह मंदिर वंश परंपरा के अनुसार पीढ़ियों से चल रहा था. याचिकाकर्ता अनुराग मिश्रा के पूर्वज कई पीढ़ियों से इस मंदिर के पुजारी रहे हैं.

कहां से शुरू हुआ था विवाद ?

अनुराग मिश्रा ने ही साल 2008-09 में कलेक्टर न्यायालय में एक अपील दायर की थी. इसमें उन्होंने वर्तमान पुजारी वीरेंद्र कुमार और राजकुमार शर्मा की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे. कलेक्टर ने जांच के बाद पुजारियों के नियुक्ति दस्तावेज न मिलने पर FIR दर्ज करने और नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का फैसला दिया था.

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हाईकोर्ट की सुनवाई में आया फैसला

विवादित पुजारियों ने कलेक्टर के आदेश को चुनौती देते हुए अपर आयुक्त चंबल संभाग मुरैना में अपील की. हालांकि, इस अपील को उच्च न्यायालय ग्वालियर में चुनौती दी गई जहां न्यायाधीश आनंद पाठक ने 21 फरवरी 2018 को कमिश्नर के आदेश को निरस्त कर दिया. कोर्ट ने कलेक्टर को नई जांच कर पुजारियों की नियुक्ति प्रक्रिया विधि के अनुसार करने का आदेश दिया.

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कलेक्टर ने जांच के बाद दिए थे निर्देश

कलेक्टर ने जांच कर यह पाया कि वीरेंद्र कुमार और राजकुमार शर्मा के पास पुजारी नियुक्ति से संबंधित कोई दस्तावेज नहीं हैं. इसलिए उनकी नियुक्ति को शून्य घोषित कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने इस आदेश को फिर से अपर आयुक्त चंबल संभाग में चुनौती दी लेकिन उनकी अपील खारिज कर दी गई.

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हाईकोर्ट का आखिर फैसला क्या?

आखिरकार, ग्वालियर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 26 सितंबर 2024 को फैसला सुनाते हुए दोनों पुजारियों की नियुक्ति को शून्य घोषित कर दिया. कोर्ट ने कहा कि नियुक्तियों का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है और प्रतिवादी नियुक्ति से जुड़े दस्तावेज प्रस्तुत करने में असमर्थ रहे. अब कलेक्टर को नए सिरे से पुजारी नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं.

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पुराने पुजारी ने जाहिर की प्रतिक्रिया

मंदिर के पुराने पुजारी राजकुमार शर्मा ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वे कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं, लेकिन उनका पक्ष सही तरीके से नहीं रखा गया. अब अगली सुनवाई में वे अपना जवाब प्रस्तुत करेंगे. यह मामला काफी लंबे समय से चल रहा था. लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले ने के बाद अब मंदिर में पुजारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया प्रदेश सरकार के कानून के मुताबिक शुरू होगी.

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