Brutality in Police Custody: पुलिस हवालात में एक ही परिवार के 5 लोगों से बर्बरता; कोर्ट ने दिखाई सख्ती

Brutality in Police Custody: इस घटना ने एक बार फिर पुलिस हिरासत में आरोपियों के साथ व्यवहार और मानवाधिकारों को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह कानून व्यवस्था और पुलिस कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाएगा. अब सबकी निगाहें कोर्ट की अगली सुनवाई और पुलिस द्वारा पेश की जाने वाली रिपोर्ट पर टिकी हुई हैं.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
Brutality in Police Custody: पुलिस हवालात में एक ही परिवार के 5 लोगों से बर्बरता; कोर्ट ने दिखाई सख्ती

Brutality in Police Custody Bhind: भिंड जिले (Bhind News) में पुलिस हवालात (Police Custody) में कथित तौर पर एक ही परिवार के पाँच लोगों के साथ बर्बरता से मारपीट किए जाने का गंभीर मामला तूल पकड़ता जा रहा है. पीड़ित पक्ष ने पुलिस पर झूठे केस दर्ज करने और थाने में थर्ड डिग्री टॉर्चर देने के आरोप लगाते हुए न्यायालय (Court) में शिकायत दायर की गई है. मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने शिकायत पर संज्ञान लेते हुए पुलिस से जाँच प्रतिवेदन तलब किया है. प्रकरण की अगली सुनवाई 9 जनवरी को तय की गई है.

एक ही दिन में तीन केस, पूरा परिवार बना आरोपी

शिकायत में बताया गया है कि 21 नवंबर को पुलिस ने दीपक शर्मा, प्रमोद शर्मा सहित एक ही परिवार के पाँच सदस्यों को हिरासत में लिया था. आरोप है कि पुलिस ने एक ही दिन में तीन अलग-अलग मामलों में फरियादी ढूंढकर पाँच लोगो के खिलाफ केस दर्ज किए. इन मामलों में शासकीय कार्य में बाधा डालने, मोबाइल छुड़ाने और अन्य धाराओं में अपराध पंजीबद्ध किए गए. पीड़ितों का कहना है कि ये सभी मामले झूठे हैं और उन्हें दबाव में लेने के लिए बनाए गए.

हवालात में थर्ड डिग्री टॉर्चर का आरोप

पीड़ित पक्ष का आरोप है कि थाने में लगें सीसीटीवी कैमरे से बचने के लिए टॉयलेट में सभी आरोपियों के साथ बेरहमी से मारपीट की गई. लात-घूंसे, डंडों और अन्य तरीकों से प्रताड़ित किया गया, जिससे कई लोगों को गंभीर चोटें आईं. प्रमोद शर्मा की हालत सबसे ज्यादा खराब बताई जा रही है. मारपीट के कारण वह ठीक से चलने-फिरने में भी असमर्थ हो गए थे.

कोर्ट में पेशी के दौरान उजागर हुई सच्चाई

21 नवंबर की घटना के बाद पुलिस ने 22 नवंबर को सभी आरोपियों को न्यायालय में पेश किया. कोर्ट में पेशी के दौरान प्रमोद शर्मा की गंभीर हालत को देखकर न्यायालय ने तत्काल संज्ञान लिया. कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिए कि प्रमोद शर्मा का मेडिकल बोर्ड से दोबारा मेडिकल कराया जाए, ताकि चोटों की वास्तविक स्थिति सामने आ सके.

Advertisement

मेडिकल रिपोर्ट में देरी, कोर्ट के आदेश की अवहेलना का आरोप

इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि कोर्ट के तत्काल मेडिकल बोर्ड के आदेश के बावजूद पुलिस ने 22 दिन बाद मेडिकल रिपोर्ट तैयार कराई. पीड़ित पक्ष ने इसे जानबूझकर की गई देरी बताया है, ताकि पुलिस की कथित बर्बरता के सबूत कमजोर पड़ जाएं. मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में चोट होने की पुष्टि हुई है. जिसको लेकर रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है, जिसे पीड़ित पक्ष पुलिसिया मारपीट का परिणाम बता रहा है.

थर्ड ओपिनियन के लिए ग्वालियर मेडिकल कॉलेज का सहारा

मामले की गंभीरता को देखते हुए अब मेडिकल रिपोर्ट की पुष्टि के लिए ग्वालियर मेडिकल कॉलेज से थर्ड ओपिनियन मांगे जाने की तैयारी है. इससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि चोटें किस प्रकृति की हैं और क्या वे हिरासत के दौरान हुईं.

Advertisement

कोर्ट ने तलब किया जाँच प्रतिवेदन

प्राइवेट परिवाद पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने पुलिस से पूरे मामले में जाँच प्रतिवेदन तलब किया है. साथ ही अगली सुनवाई की तारीख 9 जनवरी तय की गई है. कोर्ट के इस कदम से पीड़ित परिवार को न्याय की उम्मीद जगी है.

यह भी पढ़ें : e-Zero FIR लॉन्च; अभ्युदय MP ग्रोथ समिट से गृहमंत्री अमित शाह ने CM मोहन के इस विजन को बताया लाभकारी

Advertisement

यह भी पढ़ें : Abhyudaya MP Growth Summit: ग्वालियर से अमित शाह ने दी MP को 2 लाख करोड़ की सौगातें; CM मोहन ने ये कहा

यह भी पढ़ें : Veer Bal Diwas 2025: वीर बाल दिवस पर जानिए गुरु गोविंद सिंह के साहबजादे का बलिदान? इस बार इनको पुरस्कार

यह भी पढ़ें : Viral MMS: सावधान! विंध्य व्यापार मेला के बाथरूम में बना अश्लील वीडियो वायरल; FIR के बाद जांच शुरू