
Bad Condition in Anuppur: आजादी के 75 साल बाद भी अगर कोई समुदाय प्यासा है, बीमार है और अलग-थलग है, तो ये सिस्टम पर बड़ा प्रश्न चिह्न है. मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के अनूपपुर जिले के कोतमा क्षेत्र का एक गांव गड़ाई टोला, आज भी बुनियादी जरूरतों के लिए तरस रहा है.गड़ाई टोला चोड़ी ग्राम पंचायत के भीतर बसा बैगा जनजाति का एक टोला, जहां तक न तो सड़क पहुंची है और न ही सरकार की योजना है. यह लगभग 150 - 200 बैगा आबादी वाला गांव हैं, लेकिन पीने का साफ पानी नहीं मिलना आज भी इनकी सबसे बड़ी परेशानी है.

टोले में जाने के लिए सड़क भी नहीं
बुजुर्गों ने बताई परेशानी
गांव के बुजुर्ग बताते है कि हम दो कुओं से पानी भरते हैं, लेकिन पानी पीने लायक नहीं है. बरसात में तो बिलकुल ही गंदा हो जाता है. इस गांव के बच्चे कुपोषण का शिकार हैं. लेकिन, न आंगनवाड़ी नियमित चलती है, न स्वास्थ्य जांच होती है. और रास्ता इतना खराब है कि बारिश के दिनों में लोग गांव से बाहर तक नहीं जा पाते हैं.

कुएं से गंदा पानी पीने के लिए मजबूर हैं बैगा जनजाति के लोग
ये भी पढ़ें :- नक्सलियों के बिछाए IED की चपेट में आ गए CRPF कोबरा अधिकारी सागर बोराडे, KGH हिल्स ऑपरेशन में गंवाया अपना बायां पैर
टोले तक नहीं आती एंबुलेंस
एक स्थानीय महिला ने बताया कि हमारे गांव में कभी भी एंबुलेंस नहीं आती है. कभी कोई बीमार हो जाए, तो वहीं बिस्तर पर पड़े रहता है. बता दें कि यह कोई जंगल के बीच बसा इलाका नहीं है, बल्कि सरकारी दावों के मुताबिक विकसित भारत का हिस्सा है. लेकिन, यहां हालात ऐसे हैं जैसे समय थम गया हो.
ये भी पढ़ें :- न्याय की आस में भटक रही तीन बेटियों की मां, एक महीने बाद भी नहीं हुआ समाधान