चुनाव नज़दीक ही प्रदेश में सरकारी वादों के खूब ढोल पीते जाते हैं. कभी विकास यात्रा, तो कभी विकसित संकल्प भारत यात्रा के नाम पर लोगों तक सरकारी योजनाओं को पहुंचाने की बात की जाती है... लेकिन जमीनी हकीकत को देखा जाए तो इन वादों की पोल खुलते देर नहीं लगती. आज भी प्रदेश के कई हिस्सों में लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. आज हम ऐसे गांव की तस्वीर से रूबरू करवाएंगे जहां पर ज़्यादा तादाद में बैगा समुदाय के परिवार रहते हैं. यह तस्वीर अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ विधानसभा की है. यहां के माझेटोला में आज भी मूलभूत सुविधाओ की दरकार है.
अंधेरे में गुमनाम इस गांव को बिजली की तलाश
छोट- छोटे बच्चे बिजली न होने के चलते दीपक जलाकर अंधेरे में पढ़ाई कर रहे हैं. स्कूल, आगनबाड़ी भवन दूर होने के चलते बच्चे पढ़ाई से भी महरूम रह जाते है. इस गांव में न तो पक्की सड़क है और न ही पीने के लिए पर्याप्त पानी है. शौचालय तो ढूंढने से ही दिखाई पड़ सकते है और तो और इन गांव के ग्रामीणों को उज्ज्वला योजना का लाभ भी नहीं मिल पाया है. इस गांव की आबादी 125 के करीब है. वहीं, पंचायत के छिंदीटोला, पड़ाव, घुर्री टोला मिलाकर बगैर बिजली के गांवों की आबादी 350 के करीब है. फिर भी इन टोला मजरो में आज तक ग्रामीणों ने बिजली नहीं देखी है. इस गांव के लोगों ने बताया कि
बुनियादी सुविधाओं के लिए मोहताज लोग
यहां के टोलो मजरो में बिजली व अन्य सुविधाओं को लेकर जब हमने गांव की सरपंच राजकुमारी बैगा से बात की तो उन्होंने कहा कि हमने अपनी तरफ से प्रयास किये हैं. अधिकारी न जाने हमारे गांव की तरफ क्यों ध्यान नही दे रहे. एक नहीं अनेकों बार कोशिश की गई है. आज तक इन टोलो मजरो में बिजली न पहुंचने को लेकर जब विधुत विभाग के आलाधिकारी से बात की तो उनका कहना है कि बोदा के लगभग गांव का सर्वे कराया जा चुका है. कुछ टोलो मजरो के लिए राशि भी मंजूर हो चुकी है जल्द ही गांव तक बिजली पहुंचेगी. ऐसे में सवाल उठता है कि प्रदेश के ही लोग बुनियादी सुविधाओं के लिए कब तक मोहताज होते रहेंगे.