Pandit Deendayal Upadhyaya Birth Anniversary: 25 सितंबर को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती (Pandit Deendayal Upadhyay Jayanti) मनायी जाती है. इस मौके पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (Dr Mohan Yadav) ने विशेष लेख के जरिए अपने विचार व्यक्त किए हैं. सीएम मोहन लिखते हैं कि विलक्षण व्यक्तित्व के धनी, ऋषि राजनेता, एकात्म मानव दर्शन तथा अंत्योदय के प्रणेता और हमारे मार्गदर्शक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चरणों में कोटिशः नमन. संपूर्ण समाज, मानवता और राष्ट्र के लिये समर्पित श्रद्धेय दीनदयाल ने राष्ट्र निर्माण के लिये जो सूत्र दिये हैं वह भारतीय संस्कृति, परंपरा, देशज ज्ञान और एकात्म पर केंद्रित हैं. श्रद्धेय दीनदयाल ने जनसंघ की स्थापना से लेकर अंतिम सांस तक, अपने जीवन को यज्ञ में आहुति की तरह समर्पित किया और समग्र कल्याण का दर्शन दिया. इस दर्शन को विश्व एकात्म मानव दर्शन के रूप में जानता है.
ये प्रेरणा लेनी चाहिए : CM
पंडित जी मौलिक विचारक थे. उनका कहना था कि हमारी विरासत हजारों साल पुरानी है. हमें अतीत से प्रेरणा लेनी है और उज्ज्वल भविष्य का निर्माण करना है. उनका मानना था, जब समाज आत्म-निर्भर होगा तभी स्वाभिमानी होगा और जब स्वाभिमानी होगा तभी स्वावलंबी होगा. वे कहते थे, हमें देशानुकूल होने के साथ युगानुकूल भी होना है.
पंडित दीनदयाल जी ने अपने व्याख्यानों में विकास और निर्माण का मंत्र दिया. वे कहते थे, स्वाभिमानी बनो! अपने पुरुषार्थ से स्वाभिमानी कैसे बना जाये, वह इसका भी उल्लेख करते थे. उन्होंने देश-दुनिया को चतुर्पुरुषार्थ की संकल्पना दी. ये पुरुषार्थ हैं धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष. यह चतुर्पुरुषार्थ मन, बुद्धि, आत्मा और शरीर के संतुलन से संभव हैं. इनके द्वारा ही एक आदर्श समाज और आदर्श राष्ट्र का निर्माण हो सकता है.
इन पुरुषार्थ का किया जिक्र
पहला पुरुषार्थ धर्म है जिसमें शिक्षा, संस्कार और व्यवस्था है तो दूसरे अर्थ में साधन, संपन्नता और वैभव आता है. अर्थ उपार्जन सही तरीके से हो, इसके लिये पंडित दीनदयाल जी ने मानव धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी. इस तरह धर्मानुकूल, अर्थात उचित मार्ग से अर्थ उपार्जन करने का मार्ग प्रशस्त किया. तीसरा पुरुषार्थ है काम, जिसमें मन की समस्त कामनाएं शामिल हैं. मनुष्य को संतुलित, समयानुकुल और सकारात्मक स्वरूप में कार्य करना चाहिए. चौथा पुरुषार्थ है मोक्ष, अर्थात संतोष की परम स्थिति. यदि व्यक्ति संतोषी होगा तो वह समाज और राष्ट्र निर्माण का आधार बन सकता है. इन चार पुरुषार्थों की अवधारणा के अनुसार, यदि व्यक्ति और समाज को विकास के अवसर दिये जायें तो स्वावलंबी और समर्थ समाज का निर्माण किया जा सकता है. इस समाज की परिकल्पना हमारे वेदों में की गई है. यही पंडित दीनदयाल जी की एकात्म मानव दर्शन की मूल अवधारणा है.
अंत्योदय के मायने Antyodaya Diwas
अंत्योदय अर्थात समाज के सबसे अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का कल्याण. पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अंत्योदय के लिये जो मार्ग बताया था, वह माननीय प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में धरातल पर दिखाई दे रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी गांव, गरीब, किसान, वंचित, शोषित, युवा और महिलाओं के कल्याण के लिये संकल्पित हैं. देश के गरीब से गरीब व्यक्ति के जीवन में सामाजिक सुरक्षा, मुद्रा, जनधन, उज्ज्वला, स्वच्छता मिशन, शौचालय निर्माण, दीनदयाल ग्राम ज्योति, प्रधानमंत्री आवास, जन औषधि केंद्र तथा आयुष्मान भारत जैसी जनकल्याणकारी योजनाओं से अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है.
गरीब कल्याण
मध्यप्रदेश में गरीब कल्याण के लिये कई योजनाएं और कार्य अमल में लाये जा रहे हैं. इनमें इंदौर की हुकुमचंद मिल के 4 हजार 800 श्रमिक परिवारों को उनका अधिकार दिया गया है. स्वामित्व योजना के माध्यम से 23 लाख 50 हजार लोगों को भू-अधिकार पत्र वितरित किये गये हैं. मुख्यमंत्री जनकल्याण योजना 2.0 के अंतर्गत 30 हजार 500 से अधिक श्रमिक परिवारों को 670 करोड़ रुपये से अधिक की अनुग्रह सहायता प्रदान की गई है और सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना से प्रतिमाह 55 लाख 60 हजार से अधिक हितग्राहियों को पिछले एक वर्ष में लगभग 4 हजार करोड़ रुपये से अधिक की पेंशन राशि वितरित की गई. इसी तरह तेंदूपत्ता संग्राहकों का मानदेय 3 हजार रुपये प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर चार हजार रुपये किया गया. पीएम जन-मन योजना से विशेष पिछड़ी जनजातियों को अधोसंरचना, बिजली की उपलब्धता, आहार अनुदान तथा अन्य समुचित व्यवस्था के लिये योजनाएं चलाई जा रही हैं.
हमारे पथ प्रदर्शक, मार्गदर्शक, राष्ट्र निर्माण के दृष्टा, विराट समर्पण के प्रतीक, मां भारती की सेवा में जीवनपर्यंत समर्पित पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी को एक बार पुनः नमन.
(लेखक, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं.)
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