अंकिता और हसनैन की लव स्टोरी में आया नया ट्विस्ट, पिता की याचिका पर कोर्ट ने सुनाया ये फैसला

Jabalpur News: युवती के पिता ने विवाह रोकने के लिए हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसे युगलपीठ ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विशेष विवाह अधिनियम की धारा-4 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को धर्म, जाति या समुदाय के भेदभाव के बिना विवाह का संवैधानिक अधिकार है.

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Ankita and Hasnain love story: इंदौर की अंकिता और जबलपुर के हसनैन ने विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह के लिए आवेदन किया था, जिसे अपर कलेक्टर और विवाह अधिकारी न्यायालय ने खारिज कर दिया है. अपर कलेक्टर और विवाह अधिकारी नाथू राम गौड़ ने अपने आदेश में बताया कि विशेष विवाह अधिनियम की धारा-5 के तहत आवेदन की तारीख से कम से कम 30 दिन पहले दोनों में से किसी एक का जिले में निवास करना अनिवार्य है.

सिहोरा निवासी हसनैन अंसारी पिछले 10 वर्षों से इंदौर में नौकरी कर रहे हैं. हालांकि सिहोरा तहसीलदार की रिपोर्ट के अनुसार, आवेदन की तारीख 7 अक्टूबर 2024 के बाद 30 दिनों की अवधि के दौरान हसनैन जिले में निवासरत नहीं थे. इस वजह से आवेदन को अमान्य मानते हुए खारिज कर दिया गया.

सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट का रुख

अंकिता ठाकुर और हसनैन अंसारी ने अपनी सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में दोनों ने बताया कि वे पिछले चार वर्षों से प्रेम संबंध में हैं और एक साल से लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे हैं. शादी के निर्णय के बाद लड़की के परिवार और कुछ धार्मिक संगठनों से जान का खतरा होने की आशंका व्यक्त की गई.

हाईकोर्ट की एकलपीठ ने सुनवाई करते हुए पुलिस अधीक्षक, जबलपुर को दोनों को सुरक्षा प्रदान करने के निर्देश दिए. अदालत ने यह भी आदेश दिया कि अंकिता को 12 नवंबर को विशेष विवाह अधिनियम के तहत अपना बयान दर्ज कराने कलेक्टर कार्यालय में पेश किया जाए. इस दौरान वह विवाह के संबंध में निर्णय ले सकती हैं, लेकिन हसनैन या उनके परिवार के सदस्य उससे संपर्क नहीं करेंगे.

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युवती के पिता की अपील खारिज

युवती के पिता ने विवाह रोकने के लिए हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसे युगलपीठ ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विशेष विवाह अधिनियम की धारा-4 के तहत प्रत्येक व्यक्ति को धर्म, जाति या समुदाय के भेदभाव के बिना विवाह का संवैधानिक अधिकार है.

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि विशेष विवाह अधिनियम के लिए पर्सनल लॉ लागू नहीं होता और शादी में किसी प्रकार की बाधा नहीं होनी चाहिए. कोर्ट ने पुलिस को विवाह के एक महीने बाद तक सुरक्षा देने और विरोध करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया. विवाह रजिस्ट्रार को भी शादी की प्रक्रिया में किसी प्रकार की देरी या बाधा न डालने का आदेश दिया गया.

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