Anganwadi Kendra : आंगनबाड़ी के रजिस्टर में दर्ज हैं 30 बच्चे, भोजन मिल रहा सिर्फ तीन को; ये फर्जीवाड़ा या लापरवाही!

Anganwadi Negligence : कुपोषण की लड़ाई ऐसे में कमजोर पड़ जाएगी. क्योंकि सागर जिले की एक आंगनवाड़ी में रजिस्टर में 30 बच्चे दर्ज हैं. लेकिन खाना सिर्फ तीन को ही मिल रहा है. ये लापरवाही है या फर्जीवाड़ा. हालांकि, विभाग ने इस पर संज्ञान लिया है.

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Anganwadi Negligence : आंगनवाड़ी केंद्र पर जांच के लिए निर्देश.

Anganwadi Kendra :  मध्य प्रदेश में कुपोषण के खिलाफ मोहन सरकार लगातार प्रयासरत है. इसके लिए आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिनका मकसद बच्चों को बेहतर पोषण और देखभाल देना है. लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट है. सागर जिले के अंबेडकर वार्ड स्थित एक आंगनबाड़ी केंद्र से सामने आए वीडियो ने सरकारी योजनाओं की जमीनी स्थिति की पोल खोलकर रख दी.

इन वीडियोज में आंगनवाड़ी केंद्र में व्याप्त अनियमितताएं स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं. बच्चों को दी जाने वाली सब्जियों की हालत इतनी खराब थी कि कोई भी उसे खाने की हिम्मत नहीं जुटा सकता. खाने की गुणवत्ता के अलावा केंद्र की व्यवस्थाओं में भी गंभीर लापरवाही सामने आई. जब मीडिया टीम मौके पर पहुंची, तो केंद्र पर कोई सहायिका या कर्मचारी मौजूद नहीं था. केवल एक स्थानीय महिला वहां उपस्थित थी, जिसने बताया कि आंगनबाड़ी की सहायिका उसे रोज केंद्र संभालने के लिए बुलाती है.

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रोजाना केवल 3 से 4 बच्चों को ही भोजन दिया जाता है

पूछताछ में यह भी सामने आया कि केंद्र में करीब 30 बच्चों का नाम रजिस्टर में दर्ज है, लेकिन वास्तव में रोजाना केवल 3 से 4 बच्चों को ही भोजन दिया जाता है. यह घोर लापरवाही और फर्जीवाड़े का स्पष्ट प्रमाण है.

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इस पूरे मामले की जानकारी मिलते ही जिला कार्यक्रम अधिकारी भरत सिंह राजपूत ने त्वरित संज्ञान लेते हुए संबंधित समूह पर कार्रवाई के निर्देश जारी कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि बच्चों के हक में की जा रही इस तरह की लापरवाही को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जल्द ही दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.

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कौन कर रहा है बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़

एक तरफ सरकार देश के भविष्य यानी बच्चों के लिए तमाम योजनाएं बनाकर उन्हें बेहतर पोषण देने की कोशिश कर रही है. वहीं, दूसरी ओर कुछ लालची तत्व इन योजनाओं का लाभ खुद उठाकर बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं. ऐसे मामलों में त्वरित और सख्त कार्रवाई जरूरी है. ताकि व्यवस्था में सुधार हो और बच्चों को उनका हक मिल सके.

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