MP News: मदरसे में फर्जीवाड़े को लेकर सख्त हुआ प्रशासन, CEO ने उठाया यह कदम

Bhind Latest: जिले में संचालित होने वाले मदरसों में कई दिनों से फर्जीवाड़े का मामला सामने आ रहा था. सीईओ ने मध्यान भोजन शाखा प्रभारी से सवाल करते हुए जवाब मांगा है.

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Hindi News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के भिंड (Bhind) जिले में संचालित मदरसों में फर्जीवाड़े (Fraud) को लेकर जिला पंचायत सीईओ (CEO) ने सख्त रवैया अपनाया है. सीईओ ने मध्याह्न भोजन शाखा प्रभारी को तलब कर पूछा है कि मदरसों में यदि बच्चे ही नहीं पढ़ रहे हैं, तो फिर मध्याह्न भोजन कहां जा रहा है... इसकी जांच करके तत्काल रिपोर्ट दी जाए. अगर फर्जीवाड़ा है तो संबंधित व्यक्ति से रिकवरी कराई जाए. दरअसल, जिले में संचालित मदरसों में तालीम लेने वालों में मुस्लिम बच्चों से अधिक 44% हिंदू हैं.

मदरसे में नहीं पढ़ते हैं बच्चे

मदरसों में जिन हिंदू बच्चों का दाखिला दिखाया गया है, वे हकीकत में निजी या सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं. ये मदरसे कभी गए ही नहीं. इनकी समग्र आईडी जुटाकर मदरसा संचालकों ने यहां फर्जी तरीके से दाखिला दिखाया है. फर्जी दाखिलों का यह फर्जीवाड़ा अनुदान बच्चों के लिए खाद्यान्न और मिड डे मील का पैसा हड़पने के लिए किया जा रहा है. 100 बच्चों वाले हर मदरसे में 50 से 60 हजार रुपए पर माह का अनुदान मिलता है. इस खुलासे के बाद जिला पंचायत सीईओ जगदीश कुमार गोमे ने संज्ञान लिया.

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सीईओ ने लगाई शाखा प्रभारी की क्लास

उन्होंने मध्याह्न भोजन शाखा प्रभारी को तलब करके कहा कि मदरसों के लिए मध्याह्न भोजन सप्लाई किया जाता है. वहां जब बच्चे ही पढ़ने नहीं जा रहे हैं, तो फिर यह भोजन कहां जा रहा है. इसमें कौन-कौन लोग शामिल हैं. सभी की भूमिका की जांच की जाए. साथ ही, लंबे समय से यदि गड़बड़ी पाई जाती है, तो भोजन की राशि हड़पने वालों से रिकवरी भी कराई जाए. बता दें कि मदरसों की जांच के लिए जिला शिक्षा अधिकारी ने भी एक समिति गठित कर चुके है.

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