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Acharya Satyendra Das Death: 34 वर्षों से रामलला के मुख्य पुजारी रहे सत्येंद्र दास के बारे में जानिए सबकुछ

Acharya Satyendra Das: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने अयोध्या राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के निधन पर कहा, "श्री अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र कुमार दास का निधन अत्यंत दुःखद है. मैं प्रभु श्री राम से प्रार्थना करता हूं कि उन्हें अपने चरणों में स्थान दें. उनका संपूर्ण जीवन राम लला की सेवा में बीता."

Acharya Satyendra Das Death: 34 वर्षों से रामलला के मुख्य पुजारी रहे सत्येंद्र दास के बारे में जानिए सबकुछ
Acharya Satyendra Das Passes Away: कौन थे आचार्य सत्येंद्र दास महराज

Acharya Satyendra Das Passes Away: अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि (Shri Ram Janmbhoomi) मंदिर (Ram Mandir Ayodhya) के मुख्य पुजारी (Pujari) आचार्य सत्येंद्र दास (Acharya Satyendra Das) का आज लखनऊ के SGPGI में निधन हो गया. अस्पताल ने इसकी पुष्टि की है. उन्हें 3 फरवरी को SGPGI में भर्ती कराया गया था और स्ट्रोक आने के बाद वह न्यूरोलॉजी वार्ड HDU में थे. उनके निधन पर देशभर से शोकसंदेश आ रहे हैं. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने लिखा है कि परम रामभक्त, श्री राम जन्मभूमि मंदिर, श्री अयोध्या धाम के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र कुमार दास जी महाराज का निधन अत्यंत दुःखद एवं आध्यात्मिक जगत की अपूरणीय क्षति है. विनम्र श्रद्धांजलि. प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दे तथा शोक संतप्त शिष्यों एवं अनुयायियों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. ॐ शांति. आइए जानते हैं कैसा था आचार्य सत्येंद्र दास का जीवन?

बाबरी विध्वंस में रामलला को गोद में लेकर भागे

सत्येंद्र दास लगभग 34 साल से रामजन्मभूमि में बतौर मुख्य पुजारी सेवा दे रहे थे. जबकि वे 20 साल की उम्र से ही मंदिरों में पूजा-पाठ करने लगे थे. 1992 में बाबरी विध्वंस के दौरान वे रामलला को गोद में लेकर भागे थे. 20 मई 1945 को उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में सत्येंद्र दास जी महराज का जन्म हुआ था. सत्येंद्र दास बचपन से ही राम के प्रति अत्यधिक लगाव रखते थे. उन्होंने अपने गुरु अभिराम दास जी से प्रभावित होकर संन्यास लेकर आश्रम में रहने का मन बनाया और 1958 में अपना घर छोड़ दिया था.

अभिराम दास जी महराज वही संत थे जिन्होंने राम जन्मभूमि में 22-23 दिसंबर 1949 में गर्भगृह में राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और सीता जी की मूर्तियों के प्रकट होने का दावा किया था. इन्हीं मूर्तियों के आधार पर आगे की लड़ाई लड़ी गई.

अभिराम दास जी की रामलला के प्रति सेवा देखकर सत्येंद्र दास बहुत प्रभावित हुए थे. 1990-92 के दौरान 1992 में रामलला के पुजारी लालदास थे. 1 मार्च 1992 को सत्येंद्र दास की नियुक्ति रामलला की मुख्य पुजारी के रूप में हुई. इनको शुरूआती दौर में केवल 100 रुपये मासिक पारिश्रमिक मिलता था. बाद में उन्हें सहायक पुजारी भी रखने का अधिकार मिला. वहीं वर्षों से सेवा दे रहे सत्येंद्र दास को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद 22 जनवरी 2024 को फिर से मुख्य पुजारी बनाया गया था.

आचार्य सत्येंद्र दास 1975 में संस्कृत विद्यालय से आचार्य की डिग्री भी हासिल की थी. इसके बाद 1976 में उन्हें अयोध्या के संस्कृत महाविद्यालय में व्याकरण विभाग में सहायक अध्यापक की नौकरी भी की थी. 

30 जून 2007 को वे अध्यापक के पद से रिटायर हए थे. वहीं उनके स्वास्थ्य खराब होने पर श्रीराम जन्‍मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्‍ट की ओर से उनसे कार्य मुक्ति का निवेदन किया था. हालांकि ट्रस्‍ट ने कहा कि मुख्य पुजारी पहले की तरह जब भी चाहेंगे, राम मंदिर आ सकेंगे. उनके आने-जाने और पूजा पाठ करने में कोई रोक टोक नहीं होगी.

सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते रहेंगे : रविकिशन

गोरखपुर के सांसद रविकिशन ने लिखा है कि श्री राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी, आचार्य सत्येंद्र दास जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद और पीड़ादायक है. वे संपूर्ण जीवन श्री रामलला की सेवा, भक्ति और धर्म की रक्षा के प्रति समर्पित रहे. उनकी आध्यात्मिक साधना, धर्म पर गहरी पकड़, और सनातन संस्कृति के प्रति अटूट निष्ठा ने उन्हें न केवल अयोध्या बल्कि समस्त हिंदू समाज में एक पूजनीय संत के रूप में स्थापित किया.

उनका योगदान श्री राम जन्मभूमि आंदोलन से लेकर रामलला के पुनर्स्थापन तक अविस्मरणीय रहेगा. उनकी मधुर वाणी, ज्ञान की गहराई, और भक्ति की ऊर्जा ने असंख्य श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान किया. उनकी अनुपस्थिति से अयोध्या और समस्त भक्त समुदाय में एक अपूरणीय शून्य उत्पन्न हो गया है, जिसे भर पाना असंभव है.

ईश्वर से प्रार्थना है कि वे पूज्य आचार्य सत्येंद्र दास जी की पुण्य आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिवार, भक्तों तथा अनुयायियों को इस कठिन समय में धैर्य एवं संबल प्रदान करें. उनका आशीर्वाद और शिक्षा सदैव हमें धर्म और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते रहेंगे.

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