मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित जीवाजी वेधशाला (Jivaji Observatory) में सोमवार को बड़ी संख्या में पर्यटक ओर विद्यार्थी खगोलीय घटना देखने पहुंचे. वजह आज (22 दिसंबर) साल का सबसे छोटा दिन है, जो विशेष यंत्रों से दिखाया जाना है. दरअसल, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आज एक खास दिन है. इसके अनुसार, 22 दिसंबर का दिन सबसे छोटा और रात सबसे बड़ी होती है.
अब 23 दिसंबर से दिन बड़े और रातें छोटी होने लगेंगी. इन सभी घटनाओं को शासकीय जीवाजी वेध शाला में शंकु यंत्र के जरिए आसानी से समझा जा सकता है. इसलिए विज्ञान में रुचि रखने वाले विद्यार्थी और पर्यटक पहुंचे.
आज 10 घंटे 41 मिनट का दिन
जीवाजी वेधशाला अधीक्षक राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने बताया इस खगोलीय घटना को शंकु यंत्र के माध्यम से देखा जाता है. सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के चक्कर लगाने के कारण 22 दिसंबर को सूर्य मकर रेखा पर लंबवत् होता है. इस दिन सूर्य की क्रान्ति 23 अंश 26 कला 15 विकला दक्षिण किंतर्फ होगी, जिससे भारत सहित उत्तरी गोलार्द्ध में स्थित सभी देशों में सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात रहेगी. 22 दिसंबर को उज्जैन में सूर्योदय 7 बजकर 5 मिनट पर हुआ व सूर्यास्त 5 बजकर 46 मिनट पर होगा. इससे 22 दिसंबर दिन की अवधि 10 घंटे 41 मिनट और रात 13 घंटे 19 मिनट की हो जाएगी.
21 मार्च को दिन रात बराबर
गुप्त ने बताया कि आज से सूर्य सायन मकर राशि में प्रवेश कर रहा है और सूर्य की स्थिति मकर राशि में 0 अंश 39 कला एवं 20 विकला होगी. 22 दिसंबर के बाद सूर्य की गति उत्तर की ओर दृष्टिगोचर होना प्रारंभ हो जाती है, जिसे सायन उत्तरायन का प्रारम्भ कहते हैं. सूर्य की उत्तर की ओर गति होने के कारण उत्तरी गोलार्द्ध में दिन धीरे-धीरे बड़े होने लगेंगे तथा रात छोटी होने लगेंगी. अब 21 मार्च 2026 को फिर खगोलीय घटना होगी, जिसमें सूर्य विषुवत रेखा पर लम्बवत् होगा तब दिन-रात बराबर होंगे.
बच्चों को दिखाते खगोलीय घटना
शिक्षक मुकेश राठौर ने बताया कि इस घटना को हम धूप में ही देख सकते है. इसलिए बच्चों को लेकर वैधशाला लेकर आए हैं. साल में तीन से चार बार जब भी खगोलीय घटनाएं होती हैं और मौसम व दिनों में परिवर्तन होते हैं तो प्रयास रहते हैं कि बच्चों को इन घटनाओं से परिचित करवा सकें. 21 मार्च को एवं 23 सितंबर को दिन एवं रात बराबर होते हैं. 21 जून को दिन सबसे लंबा और 22 दिसंबर को दिन सबसे छोटा होता है.