
World Tourism Day 2025: भारत हमेशा से ही पूरी दुनिया में धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों का गढ़ रहा है. लेकिन, मध्य प्रदेश में प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक धरोहरें, संस्कृति और गौरवशाली परंपराएं हमेशा से ही दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती रही हैं. प्रदेश के ये स्थल न केवल मन को सुकून देते हैं, बल्कि मानव सभ्यता, कला, कौशल से आज की पीढ़ी को अवगत कराते हैं. पर्यटन की दृष्टि से मध्य प्रदेश काफी समृद्ध राज्य है. यहां सांस्कृतिक धरोहर से लेकर वन्य प्राणी संरक्षण तक अनोखा काम हुआ है. यहां विविधतापूर्ण पर्यटन दिखता है. आइए पर्यटन दिवस पर जानते हैं देश के हृदय प्रदेश की खूबियां.
Hindustan Ka Dill Dekho! Come, witness the wonder that is Madhya Pradesh — the heart of Incredible India.
— Madhya Pradesh Tourism (@MPTourism) April 16, 2025
From the roar of tigers in Bandhavgarh to the serene chants of 'Jai Mahakal' in Ujjain, enjoy this adored, feel-good rhyme.
From marble mountains to ancient rock art in… pic.twitter.com/1uBZO84vMM
ऐतिहासिक धरोहरें
मध्यप्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों (Heritage Sites) को वैश्विक पहचान मिल रही है. प्रदेश की 18 यूनेस्को विश्व धरोहर (UNESCO World Heritage Sites) में 15 टेंटेटिव और 3 स्थाई सूची में शामिल हैं. सम्राट अशोक के शिलालेख, चौसठ योगिनी मंदिर, गुप्तकालीन मंदिर और बुंदेला शासकों के महल और किलो को यूनेस्को की टेंटेटिव लिस्ट में घोषित होना प्रमाणित करता है कि मध्यप्रदेश अपनी सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के कारण देश में विशेष स्थान रखता है.
मध्यप्रदेश में अब यूनेस्को द्वारा घोषित 18 धरोहरों है. जिसमें से 3 स्थाई और 15 टेंटेटिव सूची में है. यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में प्रदेश के खजुराहो के मंदिर समूह, भीमबेटका की गुफाएं एवं सांची स्तूप यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल स्थायी सूची में शामिल है.
वहीं यूनेस्को की टेंटेटिव सूची में मांडू में स्मारकों का समूह, ओरछा का ऐतिहासिक समूह, नर्मदा घाटी में भेड़ाघाट-लमेटाघाट, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और चंदेरी भी शामिल है. यह उपलब्धि हमारी धरोहरों के संरक्षण तथा संवर्धन के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है.
क्यों खास है MP?
अतुल्य भारत का हृदय प्रदेश मध्यप्रदेश, प्रकृति की गोद और संस्कृति की आत्मा से परिपूर्ण है. राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 30% भाग वनाच्छादित है, जो देश में सर्वाधिक है. यहाँ 12 राष्ट्रीय उद्यान, 24 वन्यजीव अभयारण्य और 9 टाइगर रिजर्व हैं; 785 बाघ हमारी वन संपदा की समृद्धि का परिचायक हैं. कान्हा और पेंच की हरित वादियों ने रुडयार्ड किपलिंग की ‘द जंगल बुक' के कल्पनालोक को जीवन दिया. हमारी जीवनदायिनी नदियाँ—माँ नर्मदा और क्षिप्रा—प्रदेश की प्रकृति और संस्कृति दोनों का स्पंदन हैं: भेड़ाघाट की संगमरमरी घाटियों के बीच धुआँधार का गूँजता जलप्रपात और उज्जैन का सिंहस्थ कुंभ—दोनों ही हमारे आध्यात्मिक-प्राकृतिक वैभव के प्रतीक हैं.
अद्भुत विरासत से समृद्ध मध्यप्रदेश गर्व से कह सकता है कि वह भारत के बहुमूल्य यूनेस्को विश्व धरोहर परिदृश्य का धनी संरक्षक है—खजुराहो के मंदिर समूह, साँची के बौद्ध स्मारक और भीमबेटका के शैलाश्रय हमारी अस्मिता के शिखर हैं. वर्ष 2025 में हमारी सांस्कृतिक धरोहर को नई मान्यताएँ भी मिलीं—भगोरिया आदिवासी नृत्य, गोंड चित्रकला (पाटनगढ़) और नर्मदा परिक्रमा को राष्ट्रीय अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया गया. साथ ही, ग्वालियर किला, खूनी भंडारा (बुरहानपुर), चंबल घाटी रॉक आर्ट, भोजेश्वर महादेव, रामनगर के गोंड स्मारक, धामनार, मांडू, ओरछा, भेड़ाघाट–लमेटाघाट, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व और चंदेरी सहित 15 स्थलों का यूनेस्को टेंटेटिव लिस्ट में समावेश तथा अशोक शिलालेख स्थल, चौसठ योगिनी मंदिरों की श्रृंखला, उत्तर भारत के गुप्तकालीन मंदिर और बुंदेलों के महल–दुर्ग जैसे सीरियल नामांकन हमारी समृद्धि की वैश्विक मान्यता का विस्तृत प्रमाण हैं.
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