Holi 2024: होली के दिन जन्मे थे चैतन्य महाप्रभु, श्री कृष्ण के इस भक्त के बारे में यहां जानिए पूरी कहानी...

चैतन्य महाप्रभु का जन्म होलिका दहन के दिन हुआ था. चैतन्य महाप्रभु (Chaitanya Prabhu) के अनुयायी इस पूर्णिमा को गौरव पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं, कहा जाता है कि चैतन्य महाप्रभु श्रीकृष्ण का अवतार (Shri Krishna Avtar) हैं और उनका जन्म चमत्कारी रूप में हुआ था.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

Chaintanya Mahaprabhu Jayanti 2024: 25 मार्च 2024 को होली के दिन चैतन्य महाप्रभु का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. चैतन्य महाप्रभु का जन्म होलिका दहन के दिन हुआ था. चैतन्य महाप्रभु (Chaitanya Prabhu) के अनुयायी इस पूर्णिमा को गौरव पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं, कहा जाता है कि चैतन्य महाप्रभु श्रीकृष्ण का अवतार (Shri Krishna Avtar) हैं और उनका जन्म चमत्कारी रूप में हुआ था. आइए जानते हैं कैसे चैतन्य महाप्रभु का जन्म हुआ और उनका इतिहास क्या है?

 "हरिनाम संकीर्तन आंदोलन" की शुरुआत

चैतन्य महाप्रभु के माता-पिता को पहले 8 अन्य कन्या हुईं, लेकिन जन्म लेते ही उनकी मृत्यु हो गई, इसके बाद जब चैतन्य महाप्रभु का जन्म हुआ तो उनकी कुंडली देखकर ज्योतिष ने भविष्यवाणी की. ये बालक एक महापुरुष बनेगा. चैतन्य महाप्रभु को कृष्ण भक्ति में बहुत रुचि थी, चैतन्य महाप्रभु ने वैष्णव संप्रदाय की आधारशिला रखी, मानव जाति को एक सूत्र में पिरोने के लिए चैतन्य महाप्रभु ने "हरिनाम संकीर्तन आंदोलन" की शुरुआत की और चारों तरफ़ हरी नाम का प्रचार-प्रसार किया.

यह भी पढ़ें: Amalaki Ekadashi 2024: पंडित जी ने जानिए पूजा विधि से लेकर पूजा सामग्री के बारे में वो सारी जानकारी, जिससे सारे कष्ट दूर होने की है मान्यता

चमत्कारी जन्म

चैतन्य महाप्रभु का जन्म चमत्कारी रूप में हुआ था. आम तौर पर नौ महीने माँ के गर्भ में रहने के बाद शिशुओं का जन्म होता है लेकिन चैतन्य महाप्रभु का चमत्कारी और रहस्यमई कहा जाता है. 1907 संवत में फाल्गुन पूर्णिमा को होलिका दहन के दिन जन्मे चैतन्य महाप्रभु ने 24 साल में अपना परिवार त्याग दिया था.

Advertisement

24 साल की उम्र में वैराग्य

चैतन्य महाप्रभु किशोर अवस्था में आए तो उन्होंने श्रीकृष्ण को अपना सर्वस्व मान 24 साल की उम्र में ही घर परिवार छोड़ दिया और संन्यासी बन गई, देश भर में कृष्ण के संदेश का प्रचार किया और "हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे" का नाम लेते हुए वैरागी हो गए और उन्हें देखकर उनके अनेक शिष्य बनते गए, आज पूरी दुनिया चैतन्य महाप्रभु को याद करती है.

यह भी पढ़ें: Holi 2024: आखिर क्यों मनाई जाती है होली? क्या कहती है भोलेनाथ और कामदेव की पौराणिक कहानी

Advertisement