Sharad Purnima 2024 Kheer: शरद पूर्णिमा को हिंदू धर्म में बहुत अहम माना गया है. भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. जैसे कुछ जगह इसे कोजागरी पूर्णिमा, कुछ जगह रास पूर्णिमा तो कहीं फसल उत्सव के रूप में भी मनाया जाता है. पांचांग के अनुसार शरद पूर्णिमा अश्विन मास और अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक सितंबर या अक्टूबर में मनाई जाती है. ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन में राधा रानी और अन्य गोपियों के साथ महारास लीला की थी. वहीं इस तिथि का संबंध फसल के मौसम से भी है. आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा 2024 का शुभ मुहूर्त क्या है और इस दिन खीर बनाने के महत्व के बारे में.
पहले जानिए शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त (Sharad Purnima 2024 Shubh Muhurat)
आश्विन महीने की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा होती है. इस साल इस पूर्णिमा तिथि 16 अक्टूबर को रात 08 बजकर 40 मिनट पर शुरू होगी, जबकि समापन अगले दिन यानी 17 अक्टूबर को शाम को 04 बजकर 55 मिनट पर होगा. पूर्णिमा तिथि पर चंद्रोदय शाम को 05 बजकर 04 मिनट पर होगा. इस दिन मां लक्ष्मी का पूजन विशेष रूप से किया जाता है. उनके 8 रूप हैं, जिनमें धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, राज लक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, कमला लक्ष्मी एवं विजय लक्ष्मी हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन, देवी लक्ष्मी अपने भक्तों के घर जाती हैं और उन्हें आशीर्वाद देती हैं. इसलिए लोग पूरी रात जागकर भक्ति गीत गाते, मंत्र और देवी से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं.
क्यों शरद पूर्णिमा पर बनाई जाती है खीर? (Sharad Purnima Kheer)
शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी मां को गाय के दूध में बनी चावल की खीर का भोग लगाना अत्यंत लाभकारी माना गया है. देवी माता को पीले या सफेद रंग की मिठाइयों का प्रसाद लगाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान चंद्रदेव 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करते हैं. यही वजह है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर रखने से उसमें अमृत घुल जाता है.
शरद पूर्णिमा पर खीर को खाने के क्या फायदे हैं?
ऐसा कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा में चांदनी में रखी खीर खाने के कई फायदे हैं. अश्विन पूर्णिमा के दिन इस खीर का सेवन करने से व्यक्ति को देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद और सौभाग्य प्राप्त होता है. यह भी माना जाता है कि भगवान कृष्ण को खीर बहुत पसंद है इसलिए अश्विन पूर्णिमा को भगवान कृष्ण को खीर का भोग लगाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन चांद से अमृत वर्षा होती है. ऐसे में शरद पूर्णिमा की रोशनी में खीर रखकर अगले दिन खाने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं. इस दिन तो कुछ लोग मिट्टी के घड़े में पानी भरकर रखते हैं फिर अगली सुबह इस पानी से नहाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इससे रोग-दोष दूर होते हैं.
- खीर कई रोगों से मुक्ति दिला सकती है, खासकर चर्म रोगों के लिए यह बहुत फायदेमंद मानी जाती है.
- इसके अलावा, यह खीर आंखों की रोशनी बढ़ाने में भी मददगार मानी जाती है.
- यह खीर वाणी के दोषों को दूर करने के साथ-साथ मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी दिलाती है.
- भोग-प्रसाद के रूप में यह अमृततुल्य खीर खाने से आपको कभी धन की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा और मां लक्ष्मी का हाथ आपके सिर पर बना रहता है.
खीर कैसे बनाएं? (Sharad Purnima Kheer Recipe)
शरद पूर्णिमा की खीर को बनाने के लिए आपको चावल, गाय का दूध, शक्कर, इलायची पाउडर, ड्राई फ्रूट्स समेत कई अन्य वस्तुओं की आवश्यकता होती है. खीर बनाने के लिए सबसे पहले सिर्फ दूध में चावल पकाएं. इसमें पानी बिल्कुल भी न मिलाएं. दूध में चावल और केसर डाल लें. जब चावल पक जाए तो थोड़ा दूध और मिलाएं और मखाना डालें. खीर जब गाढ़ी नजर आए तो इसमें चीनी मिलाएं. फिर खीर को ढक दें. अगर आपको लगता है कि खीर गाढ़ी नहीं हो पाई है तो इस आप फ्रिज में भी डाल सकते हैं या खीर को गाढ़ा करने के लिए आप इसमें नारियल कद्दूकस करके डाल सकते हैं. स्वाद बढ़ाने के लिए खीर में इलायची और ड्राई फ्रूट्स मिला सकते हैं. इस तरह प्रकार शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर आप चंद्रमा को भोग लगाने के बाद हैं और सुबह इस अमृत रूपी खीर का सेवन कर सकते हैं.
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