Payrushan Parv 2024: आज लाखों लोग मांगेंगे क्षमा, जानें जैन धर्म में 'उत्तम क्षमा पर्व' क्यों है खास?

Payrushan Parv 2024: जैन धर्म में पर्यूषण पर्व का विशेष महत्व होता है और इसका पहला दिन 'उत्तम क्षमा' के रूप में मनाया जाता है. उत्तम क्षमा पर्व की परंपरा जैन धर्म में हजारों वर्षों से चली आ रही है. भगवान महावीर ने क्षमा के सिद्धांत को अपने उपदेशों में प्रमुखता से स्थान दिया.

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Uttam Kshama Parv: जैन धर्म में पर्यूषण पर्व (Payrushan Parv) विशेष महत्व रखता है और इसका पहला दिन 'उत्तम क्षमा' के रूप में मनाया जाता है. क्षमा का अर्थ है किसी से दिल से माफी मांगना और दूसरों को उनके गलतियों के लिए माफ कर देना. यह पर्व मानव जीवन की आध्यात्मिक यात्रा का एक अहम हिस्सा है, जहां व्यक्ति आत्मा की शुद्धता और आंतरिक शांति प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर होता है.

क्यों खास है उत्तम क्षमा पर्व की परंपरा?

उत्तम क्षमा पर्व की परंपरा जैन धर्म में हजारों वर्षों से चली आ रही है. भगवान महावीर, जो जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे, ने क्षमा के सिद्धांत को अपने उपदेशों में प्रमुखता से स्थान दिया. उन्होंने कहा कि हर प्राणी को दूसरे प्राणी के प्रति क्षमाशील होना चाहिए, क्योंकि सभी आत्माएं एक समान हैं और हर व्यक्ति को अपनी गलतियों को स्वीकार कर दूसरों को क्षमा करना चाहिए. इस पर्व की परंपरा महावीर के उपदेशों पर आधारित है, जो जीवन में अहिंसा, करुणा और समता का प्रचार करते थे. 

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उत्तम क्षमा पर्व मनाने का ये है कारण

यह पर्व इसलिए मनाया जाता है ताकि लोग अपने मन से दुर्भावना, द्वेष, और घृणा को दूर कर सकें. क्षमा मांगना और क्षमा करना केवल शारीरिक कार्य नहीं है, बल्कि यह मन, आत्मा, और भावनाओं का शुद्धिकरण है. इस पर्व के माध्यम से व्यक्ति अपनी गलतियों को स्वीकारता है और दूसरों की गलतियों को माफ करता है, जिससे अंतःकरण शुद्ध होता है और एक शांतिपूर्ण जीवन की दिशा में आगे बढ़ने में सहायता मिलती है.

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क्षमा मांगने और क्षमा करने से मनुष्य को मिलता है ये लाभ

1. मानसिक की शांति: क्षमा करने से व्यक्ति के मन में शांति उत्पन्न होती है. जब हम दूसरों को माफ करते हैं, तो हमारे मन से द्वेष और क्रोध की भावना समाप्त होती है, जो मानसिक शांति का आधार बनती है.
   
2. संबंध में सुधार: क्षमा से व्यक्ति के पारिवारिक और सामाजिक संबंधों में सुधार आता है. क्षमा मांगने और देने की प्रक्रिया के माध्यम से आपसी गलतफहमियां दूर होती हैं और संबंधों में मधुरता आती है.
   
3. आत्मा की शुद्धि: जैन धर्म में आत्मा की शुद्धि को सर्वोच्च लक्ष्य माना गया है. जब व्यक्ति अपने भीतर से द्वेष, क्रोध, और अहंकार को निकालता है, तब आत्मा शुद्ध होती है, जो मोक्ष की प्राप्ति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
   
4. स्वास्थ्य लाभ: अध्ययनों से यह प्रमाणित हुआ है कि क्षमाशील होने से तनाव कम होता है, जिससे शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है. हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, और अन्य मानसिक बीमारियों में कमी देखी गई है.
   
5. सकारात्मक सोच: क्षमा से व्यक्ति के भीतर सकारात्मक सोच विकसित होती है. यह व्यक्ति को बेहतर दृष्टिकोण से चीजों को देखने की क्षमता प्रदान करती है, जिससे जीवन में कठिनाइयों का सामना करना आसान हो जाता है.

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क्षमा करने से अहंकार और क्रोध से मिलती है मुक्ति

इस पर्व का मुख्य उद्देश्य लोगों को आत्मावलोकन के लिए प्रेरित करना है. क्षमा मांगने से व्यक्ति अपने भीतर की कमजोरियों को पहचानता है और उनसे मुक्ति पाता है. वहीं दूसरों को क्षमा करने से अहंकार और क्रोध जैसे नकारात्मक भावनाओं से मुक्ति मिलती है.

उत्तम क्षमा पर्व जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो न केवल धार्मिक या आध्यात्मिक महत्व रखता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन को शांतिपूर्ण और सौहार्दपूर्ण बनाने में मदद करता है.

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