Navratri 2023 : नवरात्रि के दिनों में देवी माँ को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं. तमाम त्योहारों में महिलाओं के श्रृंगार का विशेष महत्व होता है. नवरात्रि (Navratri) के दिनों में माता का भी विशेष रूप से श्रृंगार किया जाता है जैसे चूड़ी, बिंदी, ओढ़नी व अन्य शृंगार. उन्हीं में श्रृंगार का एक हिस्सा महावर (Mahavar) या आलता भी है. आइए जानते हैं आखिर क्या वजह है कि नवरात्रि में कन्या भोज (Kanya Bhoj) के दौरान भी कन्याओं को आलता लगाया जाता है?
सकारात्मकता का प्रतीक
महावर को आलता (Aalta) के नाम से भी जाना जाता है. किसी भी शुभ कार्य और पूजा के दौरान महावर लगाना सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है. कई जगहों पर आलता के बिना माता का श्रृंगार अधूरा माना जाता है.
घर में आती है सुख-संपदा
महावर को माँ लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है. इसलिए नवजात बच्चियों और कुंवारी कन्याओं के पैरों में महावर लगाना बेहद शुभ होता है. नवरात्रि पूजन (Durga Puja) के दौरान कुंवारी कन्याओं के पैर को धोकर महावर लगाया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से घर में सुख-संपदा आती है. कन्याओं को महावर लगाने से देवी माँ की कृपा दृष्टि बनी रहती है.
इस बात का ध्यान रहे
हर शुभ कार्य करने से पहले महावर लगाया जाता है. न सिर्फ़ महिलाओं को बल्कि पुरुषों को भी महावर लगाया जाता है. आलता या महावर लगाते समय दिशा का ख़ास ख्याल रखना चाहिए. दक्षिण दिशा की ओर मुख करके महावर लगाना शुभ नहीं माना जाता है.
16 श्रृंगार का है हिस्सा
महावर को सोलह श्रृंगार का हिस्सा माना जाता है. कहते हैं कि सुहागन महिलाओं को महावर लगाने से पुण्य मिलता है और सौभाग्यवती होने का वरदान मिलता है.
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