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Karwa Chauth 2025: करवा चौथ 10 तारीख को, ये 16 श्रृंगार हैं जरूरी; यहां जानिए पूजा विधि, कथा व शुभ मुहूर्त

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं हर साल अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना लिए बगैर कुछ खाए पिए रखती हैं. महिलाएं इस दिन 16 श्रृंगार करके पूजा करती हैं. इन सभी 16 श्रृंगारों का भारतीय संस्कृति में इनका विशेष महत्व है. विवाह और विशेष अवसरों पर इन सोलह श्रृंगारों का पालन करना शुभ और आवश्यक माना जाता है.

Karwa Chauth 2025: करवा चौथ 10 तारीख को, ये 16 श्रृंगार हैं जरूरी; यहां जानिए पूजा विधि, कथा व शुभ मुहूर्त
Karwa Chauth 2025: करवा चौथ के दिन 16 श्रृंगार है जरूरी; यहां जानिए पूजा विधि, कथा व शुभ मुहूर्त

Karwa Chauth 2025: भारत में किसी भी बड़े त्योहार और खुशी के मौके पर महिलाओं के 16 श्रृंगार (Karwa Chauth 16 Shringar) का विशेष महत्व है. शादी और तीज के अलावा करवा चौथ (Karwa Chauth 2024) में महिलाओं के संवरने (Bridal Makeup)  को लेकर कई कथाएं और महत्व भी हैं. इसका स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. मेहंदी (Mehndi) को भी 16 श्रृंगारों में शामिल माना जाता है. आइए पति की लंबी आयु के लिए रखे जाने वाले व्रत के मौके पर हम आपको 16 श्रृंगार के बारे में बताते हैं.

कब है करवा चौथ? Karwa Chauth 2025 Date Shubh Muhurat

हिन्दू धर्म में करवा चौथ का बहुत महत्व माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं. पूरे दिन के व्रत के बाद महिलाएं रात में चांद देखकर अपने पति के हाथों व्रत खोलती हैं. करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रखा जाता है. 

पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 09 अक्टूबर 2025 को रा​त में  10:54 बजे प्रारंभ होकर अगले दिन 10 अक्टूबर 2025 की शाम को 07:38  बजे समाप्त होगी.

ऐसे में करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा. करवा चौथ के दिन पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त शाम 05:57 से लेकर 07:11 बजे तक रहेगा. इस तरह सुहागिनों को करवा चौथ की पूजा के लिए कुल 1 घंटा 14 मिनट मिलेंगी. जिस चांद को देखने के बाद सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत खोलती हैं, वह 10 अक्टूबर 2025 की रात को 08:13 बजे निकलेगा.

अब जानिए सभी 16 श्रृंगार के बारे में (Solah Shringar)

भारतीय संस्कृति में स्त्री के सोलह श्रृंगार का अत्यधिक महत्व है. ये 16 श्रृंगार नारी की सुंदरता, समृद्धि, और वैवाहिक स्थिति का प्रतीक माने जाते हैं. विवाह के समय और धार्मिक अनुष्ठानों में इन सोलह श्रृंगारों का विशेष रूप से पालन किया जाता है. हम आपको एक-एक करके सभी 16 श्रृंगारों की संक्षिप्त जानकारी यहां दे रहे हैं.

1.  सिंदूर (Sindoor)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

सिंदूर बालों की मांग में लगाया जाता है. यह सौभाग्य और विवाहिता होने का प्रतीक है. सिंदूर सुहाग की निशानी है. ऐसा माना जाता है कि सिंदूर लगाने से पति की आयु में बढ़ोतरी होती है. महिलाएं सिर के जिस भाग में सिंदूर लगाती हैं वहां मस्तिष्क की महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है, जिसे ब्रह्मरंध्र कहा जाता है. यह बहुत ही संवेदनशील ग्रंथि है. इस जगह पर सिंदूर लगाने से महिलाओं को मानिसक शक्ति प्राप्त होती है. सिंदूर में पारा धातु होता है जो ब्रह्मरंध्र के लिए औषधि का काम करता है.

2. बिंदी (Bindi)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

बिंदी को माथे पर भौंहों के बीच में लगाया जाता है. यह चंद्रमा का प्रतीक है. इससे मानसिक शांति मिलती है. महिलाओं के लिए खासकर शादी-शुदा महिलाओं के लिए बिंदी लगाना काफी जरूरी माना जाता है. बिंदी या कुमकुम माथे के जिस भाग पर लगाई जाती है वो जगह इंसान का आज्ञाचक्र होता है जिसका संबंध मन से होता है. इससे कॉन्सट्रेशन पावर बढ़ती है और दिमाग शांत रहता है.

3. काजल (Kajal)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

काजल आंखों में लगाया जाता है. यह आंखों की सुंदरता बढ़ाने के साथ-साथ बुरी नजर से बचाव करता है. काजल केवल आंखों की सुंदरता ही नहीं बढ़ाता अपितु नकरात्मक शक्तियों से भी दूर रखता है. साथ ही काजल से आंखों में ठंडक बनी रहती है और आंखों से संबंधित कई रोगों से भी बचाता है.

4. नथ (Nath)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

नथ, नाक में पहना जाने वाला आभूषण है. यह वैवाहिक जीवन और समृद्धि का प्रतीक है. नाक की नथ जिस जगह पर पहनी जाती है वो भी एक तरह का एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है ऐसा कहा जाता है कि इस पॉइंट पर दवाब होने से प्रसव दर्द कम करता है.

5. हार या मंगलसूत्र (Necklace or Mangalsutra)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

हार या मंगलसूत्र को गले में पहना जाता है. मंगलसूत्र वैवाहिक जीवन की स्थिरता और सौभाग्य का प्रतीक है. मंगल सूत्र के काले मोती महिलाओं को बुरी नजर से बचाते हैं. इसके अलावा ये हार्मोंन्स को सक्रिय बनाते हैं. 

6. कर्णफूल (Earrings)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

कर्णफूल या कान की बाली व कुंडल यह चेहरे की सुंदरता बढ़ाते हैं. सुंदर दिखने के अलावा कान की बाली एक और काम करती है दरअसल कान के बाहरी भाग में एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है. इस कारण कान में सही भार के कुंडल या बाली पहनने से एक्यूप्रेशर प्वाइंट पर दबाव पड़ता है जिससे किडनी और ब्लेडर स्वस्थ बने रहते हैं.

7. चूड़ियां (Bangles)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

चूड़ियां कलाई पर पहनी जाती हैं. यह समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है. सुहाग की निशानी चूड़ियां महिलाओं के लिए काफी लाभप्रद मानी जाती है. महिलाएं शारीरिक दृष्टि से पुरुषों की तुलना में अधिक कोमल होती हैं. ऐसे में चूड़ियां पहनने से महिलाओं को शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है. सोने और चांदी की चूड़ियां जब शरीर के साथ घर्षण करती हैं, तो इनसे शरीर को इन धातुओं के शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जो महिलाओं को स्वस्थ रखने का काम करते हैं.

8. बाजूबंद (Armlet)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

बाजू पर पहना जाने वाला आभूषण बाजूबंद कहलाता है. यह शक्ति और सुंदरता का प्रतीक है. सोने या चांदी के बाजूबंद से बाजुओं में स्थित प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर दबाव बनता है जिससे महिलाओं का सौन्दर्य लम्बे समय तक बना रहता है.

9. अंगूठी (Ring)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

अंगूठियां उंगलियों में पहनी जाती हैं. यह प्रेम और प्रतिबद्धता का प्रतीक हैं. उंगलियों में आलस को दूर करने के लिए प्रतिबिम्ब केन्द्र होते हैं. इस कारण से माना जाता है कि अंगूठी पहनने से महलिाएं आलसी नहीं रहती हैं.

10. कमरबंद (Waistband)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

कमरबंद को कमर पर पहना जाता है. यह आकर्षण और सुंदरता बढ़ाता है. कमरबंद सुहागन महिला के गृह स्वामिनी बनने का प्रतीक माना जाता है. पीरियड्स और प्रेगनेंसी में होने वाले दर्द से भी आराम मिलता है. चांदी कई तरह के स्किन इंफेक्शन को भी दूर करती है.

11. पायल (Anklet)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

पायल पैरों में पहनी जाती है. यह शुभता और सौंदर्य का प्रतीक है. पैरों को सुंदर बनाने के अलावा पायल की आवाज घर की नकरात्मक ऊर्जा को भी दूर करती है. पायल पहनने से खासकर चांदी की पायल से स्त्रियों को स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं. पायल हमेशा पैरों से रगड़ाती रहती है जिससे पैरों की हड्डियों को चांदी के तत्वों से मजबूती मिलती है. आयुर्वेद में भी कई दवाओं में इन धातुओं की भस्म का इस्तेमाल किया जाता है. स्वास्थ्य के लिए धातुओं की भस्म से जैसे स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं, ठीक वैसे ही लाभ पायल पहनने से प्राप्त होते हैं.

12. बिछिया (Toe Rings)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

बिछिया को पैरों की उंगलियों में पहनी जाता है. यह विवाहित होने का प्रतीक है. कहा जाता है कि बिछिया पैर की जिस उंगुली में पहनी जाती है उस उंगुली की साइटिक नर्व की एक नस को बिछिया दबाती है जिस वजह से आस-पास की दूसरी नसों में रक्त का प्रवाह तेज होता है और यूटेरस, ब्लैडर व आंतों तक रक्त का प्रवाह ठीक होता है. गर्भाशय तक सही मात्रा में रक्‍त पहुंचता रहता है. यह बिछिया अपने प्रभाव से धीरे-धीरे महिलाओं के तनाव को कम करती है.

13. लाल साड़ी (Red Saree)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

लाल कपड़ों को सुहाग की निशानी और शादी का विशेष परिधान माना गया है. इन वस्त्रों में ओढ़नी, चोली और घाघरा शामिल होते हैं. ये सभी परिधान सूती या रेशम से बने होते हैं. जिससे स्त्री की काया स्वस्थ्य और सुन्दर बनी रहती है. स्त्री के सोलह श्रृंगार न केवल उसकी शारीरिक सुंदरता को बढ़ाते हैं, बल्कि उसके वैवाहिक जीवन, समृद्धि और सौभाग्य का भी प्रतीक होते हैं.

15. मांग टीका (Maang Tikka)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

मांग टीका को बालों की मांग के बीच माथे पर पहना जाता है. यह सौंदर्य और भव्यता का प्रतीक है. सोने या चांदी के मांग टीका को स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयुक्त माना जाता है. इससे किसी भी प्रकार की बेचैनी नहीं होती है और मन भी शान्त रहता है. ये श्रृंगार स्त्री को संपूर्ण और दिव्य बनाते हैं.

16. गजरा (Flower Garland)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

गजरे से बालों को सजाया जाता है. यह सुगंध और ताजगी का प्रतीक है. यह बालों को खुशबूदार और हेल्दी बनाता है. राणिक कथाओं में, फूलों को पवित्र माना जाता है और वे पवित्रता, प्रेम और भक्ति का प्रतीक हैं. जरे में इस्तेमाल होने वाले फूल मां लक्ष्मी को पसंद हैं. देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए चमेली के फूल चढ़ाए जाते हैं. नारी को देवी का रूप माना गया है, इसलिए उनके बालों में गजरा लगाया जाता है.

16. मेहंदी (Mehndi / Henna)

Karwa Chauth 2024: सोलह श्रृंगार

मेहंदी हाथों और पैरों पर लगाई जाती है. यह सौंदर्य और शुभता का प्रतीक है. किसी भी शुभ काम करने के दौरान महिलाएं मेहंदी जरूर लगाती है. ये हाथों को सुंदर बनाने के साथ ही शरीर को ठंडा रखने का काम करता है. साथ ही ये चर्म रोग की समस्या भी दूर करती है.

करवा चौथ पूजा विधि (Karwa Chauth Puja Vidhi)

करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल व्रत रखते हुए शाम के समय शुभ मुहूर्त में चौथ माता की पूजा करती हैं. इस पूजा में करवा चौथ की व्रत की कथा को श्रद्धापूर्वक कहा या सुना जाता है. करवा चौथ वाले दिन दिन चंद्र दर्शन का बहुत ज्यादा महत्व होता है. रात में जब चंद्रमा निकलता है तो महिलाएं छलनी में दीया रखकर चांद को देखती हैं और उसकी पूजा करती हैं. इसके बाद करक से जल चढ़ाया जाता है. फिर सुहागिन महिला एक बार फिर छलनी का प्रयोग करते हुए अपने पति को देखती है. पूजा के अंत में पति अपनी पत्नी को पानी पिलाकर उसके व्रत को पूर्ण करता है.

करवा चौथ व्रत की कथा (Karwa Chauth Katha)

हिन्दू धर्म ग्रथों और दंत कथाओं की मानें, तो एक बार पुराने समय में एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी. सेठानी के सहित उसकी बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा. रात्रि को साहूकार के लड़के भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भोजन के लिए कहा. इस पर बहन ने जवाब दिया, अभी चांद नहीं निकला है. चांद को अर्घ्य देकर ही भोजन करूंगी. बहन की बात सुनकर भाइयों को कुछ सुझा. उन्होंने नगर से बाहर जाकर आग जला दी और छलनी ले जाकर उसमें से प्रकाश दिखाते हुए बहन से कहा, चांद निकल आया है. अर्घ देकर भोजन कर लो. यह सुन उसने अपनी भाभियों से कहा कि आओ तुम भी चन्द्रमा को अर्घ दे लो. लेकिन, वे इस बात को जानती थीं और उन्होंने कहा कि अभी चांद नहीं निकला, मेरे भाई तेरे से घोक्षा करते हुए अग्नि का वकालती से भोजन कर लिया.

इस तरह से बहनों का व्रत भंग हो गया और भगवान गणेश नाराज हो गए. इसके बाद उसका पति बहुत बीमार हो गया और जो कुछ घर में था उसकी बीमारी में लग गया. जब उसको अपने किए हुए दोषों को पता लगा, तो उसने पश्चाताप किया. गणेश जी की प्रार्थना करते हुए विधि विधान से पुनः चतुर्थी का व्रत करना शुरू किया. श्रद्धानुसार, सबका आदर करते हुए सबसे आशीर्वाद ग्रहण करने में ही मन को लगा दिया. इस प्रकार उसके श्रद्धा-भक्ति सहित कर्म को देखकर भगवान गणेश उस पर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवन दान देकर उसे आरोग्य करने के बाद धन-संपत्ति से युक्त कर दिया.

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