Karwa Chauth 2024 Trending Mehndi Design: भारत में किसी भी बड़े त्योहार और खुशी के मौके पर महिलाओं के 16 श्रृंगार (Karwa Chauth 16 Shringar) का विशेष महत्व है. शादी और तीज के अलावा करवा चौथ (Karwa Chauth 2024) में महिलाओं के संवरने (Bridal Makeup) को लेकर कई कथाएं और महत्व भी हैं. इसका स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. मेहंदी (Mehndi) को भी 16 श्रृंगारों में शामिल माना जाता है. आइए पति की लंबी आयु के लिए रखे जाने वाले व्रत के मौके पर हम आपको 16 श्रृंगार और एक से बढ़कर एक मेहंदी डिजाइन के बारे में बताते हैं.
पहले जानिए सभी 16 श्रृंगार के बारे में (Solah Shringar)
भारतीय संस्कृति में स्त्री के सोलह श्रृंगार का अत्यधिक महत्व है. ये 16 श्रृंगार नारी की सुंदरता, समृद्धि, और वैवाहिक स्थिति का प्रतीक माने जाते हैं. विवाह के समय और धार्मिक अनुष्ठानों में इन सोलह श्रृंगारों का विशेष रूप से पालन किया जाता है. हम आपको एक-एक करके सभी 16 श्रृंगारों की संक्षिप्त जानकारी यहां दे रहे हैं.
1. सिंदूर (Sindoor)
सिंदूर बालों की मांग में लगाया जाता है. यह सौभाग्य और विवाहिता होने का प्रतीक है. सिंदूर सुहाग की निशानी है. ऐसा माना जाता है कि सिंदूर लगाने से पति की आयु में बढ़ोतरी होती है. महिलाएं सिर के जिस भाग में सिंदूर लगाती हैं वहां मस्तिष्क की महत्वपूर्ण ग्रंथि होती है, जिसे ब्रह्मरंध्र कहा जाता है. यह बहुत ही संवेदनशील ग्रंथि है. इस जगह पर सिंदूर लगाने से महिलाओं को मानिसक शक्ति प्राप्त होती है. सिंदूर में पारा धातु होता है जो ब्रह्मरंध्र के लिए औषधि का काम करता है.
2. बिंदी (Bindi)
बिंदी को माथे पर भौंहों के बीच में लगाया जाता है. यह चंद्रमा का प्रतीक है. इससे मानसिक शांति मिलती है. महिलाओं के लिए खासकर शादी-शुदा महिलाओं के लिए बिंदी लगाना काफी जरूरी माना जाता है. बिंदी या कुमकुम माथे के जिस भाग पर लगाई जाती है वो जगह इंसान का आज्ञाचक्र होता है जिसका संबंध मन से होता है. इससे कॉन्सट्रेशन पावर बढ़ती है और दिमाग शांत रहता है.
3. काजल (Kajal)
काजल आंखों में लगाया जाता है. यह आंखों की सुंदरता बढ़ाने के साथ-साथ बुरी नजर से बचाव करता है. काजल केवल आंखों की सुंदरता ही नहीं बढ़ाता अपितु नकरात्मक शक्तियों से भी दूर रखता है. साथ ही काजल से आंखों में ठंडक बनी रहती है और आंखों से संबंधित कई रोगों से भी बचाता है.
4. नथ (Nath)
नथ, नाक में पहना जाने वाला आभूषण है. यह वैवाहिक जीवन और समृद्धि का प्रतीक है. नाक की नथ जिस जगह पर पहनी जाती है वो भी एक तरह का एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है ऐसा कहा जाता है कि इस पॉइंट पर दवाब होने से प्रसव दर्द कम करता है.
5. हार या मंगलसूत्र (Necklace or Mangalsutra)
हार या मंगलसूत्र को गले में पहना जाता है. मंगलसूत्र वैवाहिक जीवन की स्थिरता और सौभाग्य का प्रतीक है. मंगल सूत्र के काले मोती महिलाओं को बुरी नजर से बचाते हैं. इसके अलावा ये हार्मोंन्स को सक्रिय बनाते हैं.
6. कर्णफूल (Earrings)
कर्णफूल या कान की बाली व कुंडल यह चेहरे की सुंदरता बढ़ाते हैं. सुंदर दिखने के अलावा कान की बाली एक और काम करती है दरअसल कान के बाहरी भाग में एक्यूप्रेशर प्वाइंट होता है. इस कारण कान में सही भार के कुंडल या बाली पहनने से एक्यूप्रेशर प्वाइंट पर दबाव पड़ता है जिससे किडनी और ब्लेडर स्वस्थ बने रहते हैं.
7. चूड़ियां (Bangles)
चूड़ियां कलाई पर पहनी जाती हैं. यह समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक है. सुहाग की निशानी चूड़ियां महिलाओं के लिए काफी लाभप्रद मानी जाती है. महिलाएं शारीरिक दृष्टि से पुरुषों की तुलना में अधिक कोमल होती हैं. ऐसे में चूड़ियां पहनने से महिलाओं को शारीरिक शक्ति प्राप्त होती है. सोने और चांदी की चूड़ियां जब शरीर के साथ घर्षण करती हैं, तो इनसे शरीर को इन धातुओं के शक्तिशाली तत्व प्राप्त होते हैं, जो महिलाओं को स्वस्थ रखने का काम करते हैं.
8. बाजूबंद (Armlet)
बाजू पर पहना जाने वाला आभूषण बाजूबंद कहलाता है. यह शक्ति और सुंदरता का प्रतीक है. सोने या चांदी के बाजूबंद से बाजुओं में स्थित प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर दबाव बनता है जिससे महिलाओं का सौन्दर्य लम्बे समय तक बना रहता है.
9. अंगूठी (Ring)
अंगूठियां उंगलियों में पहनी जाती हैं. यह प्रेम और प्रतिबद्धता का प्रतीक हैं. उंगलियों में आलस को दूर करने के लिए प्रतिबिम्ब केन्द्र होते हैं. इस कारण से माना जाता है कि अंगूठी पहनने से महलिाएं आलसी नहीं रहती हैं.
10. कमरबंद (Waistband)
कमरबंद को कमर पर पहना जाता है. यह आकर्षण और सुंदरता बढ़ाता है. कमरबंद सुहागन महिला के गृह स्वामिनी बनने का प्रतीक माना जाता है. पीरियड्स और प्रेगनेंसी में होने वाले दर्द से भी आराम मिलता है. चांदी कई तरह के स्किन इंफेक्शन को भी दूर करती है.
11. पायल (Anklet)
पायल पैरों में पहनी जाती है. यह शुभता और सौंदर्य का प्रतीक है. पैरों को सुंदर बनाने के अलावा पायल की आवाज घर की नकरात्मक ऊर्जा को भी दूर करती है. पायल पहनने से खासकर चांदी की पायल से स्त्रियों को स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होते हैं. पायल हमेशा पैरों से रगड़ाती रहती है जिससे पैरों की हड्डियों को चांदी के तत्वों से मजबूती मिलती है. आयुर्वेद में भी कई दवाओं में इन धातुओं की भस्म का इस्तेमाल किया जाता है. स्वास्थ्य के लिए धातुओं की भस्म से जैसे स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होते हैं, ठीक वैसे ही लाभ पायल पहनने से प्राप्त होते हैं.
12. बिछिया (Toe Rings)
बिछिया को पैरों की उंगलियों में पहनी जाता है. यह विवाहित होने का प्रतीक है. कहा जाता है कि बिछिया पैर की जिस उंगुली में पहनी जाती है उस उंगुली की साइटिक नर्व की एक नस को बिछिया दबाती है जिस वजह से आस-पास की दूसरी नसों में रक्त का प्रवाह तेज होता है और यूटेरस, ब्लैडर व आंतों तक रक्त का प्रवाह ठीक होता है. गर्भाशय तक सही मात्रा में रक्त पहुंचता रहता है. यह बिछिया अपने प्रभाव से धीरे-धीरे महिलाओं के तनाव को कम करती है.
13. लाल साड़ी (Red Saree)
लाल कपड़ों को सुहाग की निशानी और शादी का विशेष परिधान माना गया है. इन वस्त्रों में ओढ़नी, चोली और घाघरा शामिल होते हैं. ये सभी परिधान सूती या रेशम से बने होते हैं. जिससे स्त्री की काया स्वस्थ्य और सुन्दर बनी रहती है. स्त्री के सोलह श्रृंगार न केवल उसकी शारीरिक सुंदरता को बढ़ाते हैं, बल्कि उसके वैवाहिक जीवन, समृद्धि और सौभाग्य का भी प्रतीक होते हैं.
15. मांग टीका (Maang Tikka)
मांग टीका को बालों की मांग के बीच माथे पर पहना जाता है. यह सौंदर्य और भव्यता का प्रतीक है. सोने या चांदी के मांग टीका को स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयुक्त माना जाता है. इससे किसी भी प्रकार की बेचैनी नहीं होती है और मन भी शान्त रहता है. ये श्रृंगार स्त्री को संपूर्ण और दिव्य बनाते हैं.
16. गजरा (Flower Garland)
गजरे से बालों को सजाया जाता है. यह सुगंध और ताजगी का प्रतीक है. यह बालों को खुशबूदार और हेल्दी बनाता है. राणिक कथाओं में, फूलों को पवित्र माना जाता है और वे पवित्रता, प्रेम और भक्ति का प्रतीक हैं. जरे में इस्तेमाल होने वाले फूल मां लक्ष्मी को पसंद हैं. देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए चमेली के फूल चढ़ाए जाते हैं. नारी को देवी का रूप माना गया है, इसलिए उनके बालों में गजरा लगाया जाता है.
16. मेहंदी (Mehndi / Henna)
मेहंदी हाथों और पैरों पर लगाई जाती है. यह सौंदर्य और शुभता का प्रतीक है. किसी भी शुभ काम करने के दौरान महिलाएं मेहंदी जरूर लगाती है. ये हाथों को सुंदर बनाने के साथ ही शरीर को ठंडा रखने का काम करता है. साथ ही ये चर्म रोग की समस्या भी दूर करती है.
ये रहें ट्रेंडिंग मेंहदी डिजाइन (Trending Mehndi Design)
एक कहानी मुगलकाल से जुड़ी है. कहा जाता है कि 12वीं शताब्दी में मेहंदी की शुरुआत ज्यादा तेजी से हुई. अमीर और गरीब सभी इस सौंदर्य प्रसाधन का इस्तेमाल करते थे. कलाकार मेहंदी का इस्तेमाल करके सुंदर रेखाचित्र बनाते थे.
कहते हैं कि अगर मेहंदी का रंग गहरा हो जाए तो दुल्हन अपने पति से बहुत प्यार करती है. दुल्हनें अपने हाथों और पैरों को खूबसूरत मेहंदी से सजाती हैं.
हम मेंहदी का उपयोग इसके एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुणों के लिए करते हैं. डिओडोरेंट बनाने के लिए मेंहदी के बीजों का उपयोग करते हैं. मेहंदी शीतलक के रूप में कार्य करती है, यह शरीर को शांत करती है और नसों को तनावग्रस्त होने से रोकती है. वहीं वास्तु के अनुसार घर में मेहंदी लगाना अशुभ होता है. इसकी गंध से हमारे घर में नकारात्मक ऊर्जा आ सकती है.
करवा चौथ के दिन महिलाएं छलनी से चांद और अपने पति को देखने के बाद व्रत तोड़ती हैं. ऐसे में व्रत पर आप खास तौर पर चांद को छलनी से देखने वाला डिजाइन बनवा सकती हैं.
इसके अलावा करवा चौथ आप अपनी हथेलियों पर राधा कृष्ण वाली डिजाइन बनवा सकती हैं.
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