विज्ञापन

Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा आज, क्यों की जाती है वट की पूजा? जानें पूजाविधि और महत्व

Vat Savitri Purnima 2024: ज्येष्ठ पूर्णिमा के मौके पर लक्ष्मी-नारायण का व्रत करना काफी महत्व. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी दुखों का नाश होता है और सुखों की प्राप्ति होती है. इस खास मौके पर जानें क्यों ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट की पूजा की जाती है?

Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा आज, क्यों की जाती है वट की पूजा? जानें पूजाविधि और महत्व

Jyeshtha Purnima 2024: ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima) सबसे पवित्र और शुभ मानी जाती है. इस साल ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत शनिवार, 22 जून यानी आज मनाई जाएगी. ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट सावित्री पूर्णिमा (Vat Savitri Purnima 2024) के नाम से भी जाना जाता है. इस पूर्णिमा पर लक्ष्मी-नारायण व्रत करने का बहुत महत्व है. इस खास दिन पर भगवान विष्णु की पूजा करने से दुखों का नाश होता है और सुखों की प्राप्ति होती है. बता दें कि ज्येष्ठ पूर्णिमा को पवित्र नदियों में स्नान करने और दान-पुण्य करने का काफी महत्व होता है. 

ज्येष्ठ पूर्णिमा को वट वृक्ष की पूजा की जाती है

दरअसल, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन स्नान-दान करना सबसे फलदायी भी माना जाता है. इस मौके पर वट वृक्ष की पूजा की जाती है. हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, यदि कोई भी व्यक्ति इस दिन गंगा स्नान करता है और दान दक्षिणा देता है तो उस व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. 

जानें ज्येष्ठ पूर्णिमा की शुभ मुहूर्त

ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि 21 जून की सुबह 7: 31 बजे से शुरू हो चुकी है और समापन 22 जून की सुबह 6:37 बजे पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा 22 जून को मनाई जा रही है. स्नान-दान का समय आज सुबह 5 बजे से लेकर सुबह 6:30 बजे तक रहेगा.  

क्यों ज्येष्ठ पूर्णिमा है महिलाओं के लिए खास

कहा जाता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन महिलाओं के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है. इस दिन महिलाओं को सुबह जल्दी उठकर स्नान करके नए वस्त्र और सोलह श्रंगार करने का काफी महत्व होता है. इस खास दिन पर सुहागन महिलाओं को बरगद के पेड़ के नीचे पूजा करनी चाहिए.

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का महत्व

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर लक्ष्मी-नारायण का व्रत करना बहुत ही महत्व है. भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी सांसारिक दुखों का नाश होता है और सुखों की प्राप्ति होती है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, व्रत एवं दान-पुण्य करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. इस दौरान चंद्रमा से जुड़ी चीजों का दान करने से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं.

इस खास मौके पर आप सफेद वस्त्र, चावल, दही,  शक्कर या फिर चांदी का दान कर सकते हैं. ऐसा मना जाता है कि इन चीजों के दान करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है. 

कैसे करें ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पूजा

1. ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर उगते सूर्य को जल दें.

2. भगवान लक्ष्मी नारायण के सामने हाथ में अक्षत, पूजा की सुपारी और जल लेकर संकल्प लें.

3. पूजा के लिए पूर्व की ओर मुख कर बैठ जाएं और एक चौकी पर लाल और पीला वस्त्र बिछा कर लक्ष्मी-नारायण को आसन दें.

4. पीला कपड़ा दाहिनी ओर बिछा कर विष्णु जी को स्थापित करें और लाल कपड़ा बाएं ओर बिछा का देवी लक्ष्मी को विराजित करें.

5. फिर लाल, सफेद और पीले पुष्प अर्पित करें. देवी लक्ष्मी को कमल का पुष्प अर्पित करें.

6. मखाने की खीर,आटे की पंजीरी या शुद्ध घी से बने प्रसाद से भगवान विष्णु और लक्ष्मी का भोग लगाएं.

7. फिर आरती करें, इसके बाद लक्ष्मीनारायण व्रत की कथा सुने.

8. ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत के मौके चंद्रमा को अर्घ्य दें इससे आपके घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.

ये भी पढ़े: Public Examination Act: 1 करोड़ का जुर्माना, 10 साल की जेल... देश में लागू हुआ एंटी पेपर लीक कानून, जानें क्या है प्रावधान?

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close